केंद्रीय हिंदी संस्थान का 480वां नवीकरण पाठ्यक्रम समापन समारोह सम्पन्‍न

केंद्रीय हिंदी संस्थान का 480वां नवीकरण पाठ्यक्रम समापन समारोह सम्पन्‍न

हैदराबाद, 22 दिसंबर (शुभ लाभ ब्यूरो)। केंद्रीय हिंदी संस्थानहैदराबाद केंद्र पर आयोजित 480वें नवीकरण पाठ्यक्रम का समापन समारोह आयोजित किया गया। इस समापन समारोह की अध्यक्षता प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी निदेशक केंद्रीय हिंदी संस्थानआगरा ने की। मुख्य अतिथि प्रो. शुभदा वांजपे पूर्व हिंदी अध्यक्षउस्मानिया विश्वविद्यालयहैदराबाद पाठ्यक्रम संयोजक क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडेपाठ्यक्रम प्रभारी डॉ. फत्ताराम नायक तथा अतिथि अध्यापक डॉ. दीपेक व्यास व डॉ. राजीव कुमार सिंह भी मंच पर रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। सरस्वती वंदना श्वेता लांडे व अक्षता शेंडे द्वारा की गई। संस्थान गीत स्वाती पोतदार एवं समूह द्वारा प्रस्तुत किया गया। स्वागत गीत धनश्री कोडेंकररेखा रावराणे एवं समूह द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस कार्यक्रम में कुल 31 (महिला-08, पुरुष-23) प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।

इस पाठ्यक्रम के दौरान प्रो. गंगाधर वानोडे ने भाषा विज्ञान तथा उसके विविध पक्षध्वनिउच्चारणभाषा परिमार्जनभाषा कौशललेखन कौशलडॉ. फत्ताराम नायक ने हिंदी व्याकरण तथा उसके विविध पक्षरसछंद एवं अलंकारशब्द शक्तियाँभारतीय ज्ञान परंपराडॉ. दीपेश व्यास ने हिंदी साहित्य का इतिहासहिंदी भाषा का उद्भव व विकाससृजनात्मक लेखनसाहित्य शिक्षणडॉ. सी. कामेश्वरी ने हिंदी शिक्षण में प्रौद्योगिकी का प्रयोगहिंदी में रोजगार की संभावनाएंडॉ. राजीव कुमार ने भाषा शिक्षणसाहित्य शिक्षणपाठयोजना (गद्य/पद्य)शिक्षा मनोविज्ञान विषय को संपन्न किया तथा डॉ. संध्या दास ने कविता शिक्षण विषय पर विशेष व्याख्यान दिया।

इस कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने कहा कि मुझे विश्वास हैजब आप प्रथम बार आए थे तब आपने जो शंकाएं व्यक्त की थींउनका निश्चय ही समाधान हुआ होगा। नवीनीकरण ज्ञानार्जन का माध्यम हैइससे व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास होता है। आपके कर्म ही आपकी पहचान बनेंगे। आपको स्वयं को इतना बुलंद बनना है कि छात्र आपका अनुकरण करें।

मुख्य अतिथि प्रो. शुभदा वांजपे ने कोल्हापुर की संस्कृति व ज्ञान परंपरा को याद करते हुए वहाँ के रहन-सहन एवं अहिंदी भाषी प्रदेश होने के कारण हिंदी बोलने पर हो रही कठिनाइयों पर अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने कहा कि हम सब हिंदी भाषी परिवार के सदस्य हैं और हमें हिंदी को विश्व पटल पर स्थापित करना है।

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संयोजक व क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे ने हिंदी में बातचीत पर जोर देते हुए कहा कि आप कक्षा में हिंदी में बातचीत करेंजिससे हिंदी के वातावरण में सृजन होगा। विद्यार्थी सदैव शिक्षकों का अनुकरण करते हैं। इसलिए शिक्षकों को उत्साहित होना चाहिए।

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पाठ्यक्रम प्रभारी डॉ. फत्ताराम नायक ने सफलतापूर्वक पाठ्यक्रम पूर्ण करने पर सभी प्रतिभागियों को बधाई दी तथा कहा कि आपने जो ज्ञानार्जन किया हैउसे अपने विद्यार्थियों के बीच फैलाकर देश के भावी नागरिक तैयार करें। डॉ. दीपेश व्यास ने कहा कि शिक्षकों को हमेशा नई-नई चीजें सीखने के लिए तैयार रहना चाहिए। ताकि छात्रों को नए कौशल सिखा सकें। डॉ. राजीव कुमार सिंह ने इस अवसर पर कहा कि नई शिक्षा नीति को व्यवहारिक रूप से लागू करना शिक्षकों के हाथ में है उन्हें इसे समृद्ध बनाने में सहयोग करना चाहिए। इस अवसर पर अध्यापक प्रतिभागी दत्तात्रेय महिपती कासारीकरसुप्रभा  मारूतीराव जाधव व वसंत ज्ञानदेव कांबns ने प्रतिक्रिया व्यक्त की। देश भक्ति गीत बसलिंग मारुति मगदूम व पन्हाळकर अकबर अहमद ने प्रस्तुत कियास्वरचित कविता अक्षता शेंडे व बालकृष्ण मष्णू गणाचारी ने प्रस्तुत की। समूह नृत्य अरुंधति तेजेश ठाकरे व श्वेता लांडे ने प्रस्तुत किया। मंचस्थ अतिथियों द्वारा हस्तलिखित लघु शोध पत्रिका राजर्षि शाहूनगरी कोल्हापुर का विमोचन किया गया तथा पर परीक्षण में प्रथम पुरस्कार सुरेखा शिवाजी नंदनवाडेद्वितीय पुरस्कार मछिन्द्र गोविंद आंबेकरतृतीय पुरस्कार दत्तात्रेय महिपती कासारीकर तथा प्रोत्साहन पुरस्कार अरुंधति तेजेश ठाकरे ने प्राप्त किया। कार्यक्रम का संचालन अभिजीत पोवार व धन्यवाद सुरेखा शिवाजी नंदनवाडे ने दिया। इस पाठ्यक्रम में तकनीकी सहयोग डॉ. संदीप कुमार तथा श्री सजग तिवारी ने दिया।

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