छात्र संघ के सभी पदों पर एबीवीपी की जीत

 हैदराबाद केंद्रीय विवि छात्र संघ चुनाव में बना इतिहास

छात्र संघ के सभी पदों पर एबीवीपी की जीत

देश के सभी प्रमुख विश्वविद्यालयों में एबीवीपी कर रही कमाल

हैदराबाद, 21 सितंबर (एजेंसियां)। हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (एचसीयूके छात्रसंघ चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अध्यक्षउपाध्यक्षमहासचिवसंयुक्त सचिवखेल सचिव और सांस्कृतिक सचिव सहित सभी प्रमुख पदों पर कब्जा जमा लिया। नेपाल और बांग्लादेश की तरह भारत में भी जेन-जेड क्रांति की भ्रांति रखने वाले विपक्ष के लिए यह करारा संदेश है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के बाद हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के आनुषांगिक संगठन एबीवीपी ने छात्र संघ पर पूरा कब्जा जमा लिया है। यह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की बढ़ती साख का परिणाम है। इस जीत के साथ ही एबीवीपी ने पिछले एक साल में देश के कई प्रमुख विश्वविद्यालयों में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की है। इनमें पटना विश्वविद्यालयपंजाब विश्वविद्यालयजवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), दिल्ली विश्वविद्यालयगुवाहाटी विश्वविद्यालय और उत्तराखंड के कई विश्वविद्यालय शामिल हैं।

हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी प्रत्याशी शिवा पालेपू अध्यक्ष चुने गए। उपाध्यक्ष पद के लिए देवेंद्र ने जीत दर्ज की। श्रुति प्रिया महासचिव चुनी गई हैं। संयुक्त सचिव का पद सौरभ शुक्ला ने जीता। ज्वाला प्रसाद खेल सचिव चुने गए और वीनस सांस्कृतिक सचिव के पद पर चुनी गईं। ये सभी एबीवीपी के प्रत्याशी हैं। छात्र संघ चुनाव में न केवल पदाधिकारीबल्कि काउंसलर और बोर्ड सदस्य के पदों पर भी एबीवीपी ने बहुमत हासिल किया है। हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ चुनाव में एबीवीपी ने सभी सीटों पर जीत हासिल कर एक बार फिर अपनी संगठनात्मक ताकत और छात्रों के बीच लोकप्रियता का परिचय दिया। इस जीत को एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने छात्र हित और राष्ट्रीय मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का परिणाम बताया। एबीवीपी के स्थानीय नेताओं ने कहा कि यह जीत छात्रों के विश्वास को दर्शाती है। हम शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। संगठन की इस लगातार जीत ने विपक्षी छात्र संगठनों के लिए चुनौती खड़ी कर दी है।

पिछले छह वर्षों से एचसीयू कैंपस में वामपंथी गुटों का वर्चस्व बना हुआ था। कांग्रेस से जुड़े एनएसयूआई और दलित संगठनों का गठजोड़ भी एबीवीपी के लिए चुनौती रहा। लेकिन इस बार नतीजे पूरी तरह से उलट गए। एबीवीपी प्रवक्ता अंतरिक्ष ने कहायह जीत छात्रों की राष्ट्रवादी सोच और विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ एकजुट प्रयास का प्रतीक है। खासकर सोशल साइंस डिपार्टमेंट जैसे वामपंथी गढ़ों में जीत यह दिखाती है कि छात्र अब वैचारिक दबाव से मुक्त होना चाहते हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि कांग्रेस से जुड़ा एनएसयूआई इस बार नोटा से भी कम वोट ला सका। यह तब हुआ है जब राज्य में कांग्रेस की सरकार है। हालांकिएनएसयूआई का एचसीयू में कभी भी बड़ा आधार नहीं रहालेकिन वामपंथी संगठनों के साथ मिलकर वह हमेशा चुनावी समीकरण का हिस्सा रहा है।

एबीवीपी का कहना है कि संगठन ने कैंपस में शांति बनाए रखनेएचसीयू की जमीन की रक्षा करने और छात्र हितों को लेकर लगातार आंदोलनों में भाग लिया है। यही वजह है कि छात्रों का भरोसा इस बार बड़े पैमाने पर एबीवीपी के पक्ष में गया। एबीवीपी की तरफ से जारी बयान में कहा गयायह जीत एचसीयू के इतिहास में एक मील का पत्थर हैजिसने छात्र समुदाय के बीच एबीवीपी के प्रति बढ़ते विश्वास को साबित किया है।

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उल्लेखनीय है कि 19 सितंबर को दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) चुनाव के परिणाम आए। इसमें भाजपा समर्थित छात्र संगठन एबीवीपी ने अध्यक्ष सहित तीन पदों पर बड़ी जीत हासिल की है। संगठन ने इसे युवाओं के बीच भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति बढ़ते विश्वास का प्रतीक बताया है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा है कि भारत के जेन जेड ने राहुल गांधी को नकार दिया है। उन्होंने कहा कि डूसू चुनावों में एबीवीपी की बंपर जीत ने यह बता दिया है कि भारत का युवा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हैराहुल गांधी के साथ नहीं। उन्होंने कहा कि अब राहुल गांधी को वोट चोरी जैसी बात नहीं करनी चाहिए।

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एबीवीपी के आर्यन मान को डूसू चुनाव में 26,642 वोट मिलेजबकि दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई के जोसलीन चौधरी को 10,814 वोट मिले। यानि एबीवीपी उम्मीदवार को लगभग 16 हजार वोटों की बढ़त हासिल हुई है जो एनएसयूआई उम्मीदवार को मिले वोटों के लगभग ढाई गुने के बराबर है। इसी तरह सचिव पद पर एबीवीपी के उम्मीदवार ने एनएसयूआई उम्मीदवार को लगभग सात हजार वोटों के अंतर से और ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर लगभग चार हजार वोटों के अंतर से हराया।

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