आतंकवादी हमले के शिकार भारत भूषण की पत्नी ने अपना भयावह अनुभव बताया

आतंकवादी हमले के शिकार भारत भूषण की पत्नी ने अपना भयावह अनुभव बताया

बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| आतंकवादी लोगों पर गोली चला रहे थे और पूछ रहे थे कि वे यहां इतने खुश कैसे हो सकते हैं, यह दृश्य भयावह था| यह कहना है पहलगाम में आतंकवादी हमले में मारे गए भारत भूषण की पत्नी डॉ. सुजाता का| भारत भूषण का पार्थिव शरीर गुरुवार सुबह बेंगलूरु के केम्पेगौड़ा हवाई अड्डे पर पहुंचा| वहां से शव को एंबुलेंस में मत्तिकेरे ले जाया गया| घर लौटने के बाद डॉ. सुजाता मीडिया के सामने भावुक हो गईं और भयावह क्षणों को याद करते हुए आंसू बहाए|

उन्होंने कहा हम १८ अप्रैल को कश्मीर गए थे| २२ अप्रैल को, हमारी यात्रा के आखिरी दिन, हम पहलगाम गए| हम घोड़े पर सवार होकर लगभग ४ किमी की दूरी तय करके ब्यासरन गए थे| हम उस खुले मैदान में एक बच्चे के साथ खेल रहे थे| हम कश्मीरी पोशाक पहनकर मैदान में एक टेंट में फोटो खिंचवा रहे थे| मैं और एक अन्य परिवार पिछले दो दिनों से साथ-साथ चल रहे थे| जब तक हमने सारी तस्वीरें खींची, तब तक दोपहर के १:३० या १:४५ बज चुके थे| हमें लंच के लिए वापस नीचे जाना था| इसलिए, जब हम बिसारन से निकलने वाले थे, तो हमने एक जोरदार गोली की आवाज सुनी| जब हमने यह आवाज सुनी, तो हमें लगा कि कोई पक्षियों और जानवरों को डराने के लिए बंदूक चला रहा है| लेकिन जैसे-जैसे आवाज तेज होती गई, हमें एहसास हुआ कि पास में ही गोलीबारी हो रही है, इसलिए मेरे पति भूषण और मैं टेंट के पीछे छिप गए| लगभग १०० फीट दूर, एक आतंकवादी ने उनमें से एक से बात की और उसे गोली मार दी| उसने पूछा तुम कैसे खुश हो? तुम यहाँ बच्चों के साथ खेलकर कैसे खुश हो? उसने पूछा कि मुझे क्या करना चाहिए? उसकी बात सुने बिना, उसने गोली मार दी और धक्का दिया, और फिर उसके शरीर में तीन या चार बार गोली मार दी|


यह देखते हुए, भूषण हमें बहादुर बनने के लिए प्रोत्साहित कर रहा था, कह रहा था, "जो भी हो, बहादुर बनो| आतंकवादियों द्वारा मेरे पति को गोली मारने के बाद, मैंने ऊपर भी नहीं देखा| मैंने बच्चे को छिपा दिया| आतंकियों ने मेरे पति के सिर में गोली मारी थी| चूंकि मैं डॉक्टर हूं, इसलिए मुझे पता था कि भूषण नहीं बचेंगे| इसलिए मैं अपने तीन साल के बच्चे को बचाने के लिए वहां से भागी और भावुक हो गई| जब हम अपने टेंट में पहुंचे, तो मैंने बच्चे को छिपा दिया| मैंने उनसे विनती की कि वे हमें कुछ न करें, और कहा मुझे अकेला छोड़ दें, मेरा एक छोटा बच्चा है| आतंकियों ने मेरे पति को गोली मार दी और चले गए| जैसे ही आतंकी चले गए, वहां मौजूद लोग भागने लगे| मैंने बच्चे को उठाया और भागने लगी| जब मैं भागी, तो वहां लाशों के ढेर लगे थे| इस डर से कि वे हमारा पीछा करके हमला कर देंगे, मैंने बच्चे को उठाया और भागने लगी| उस समय बहुत से लोग भाग रहे थे| आखिरकार मुझे एक घोड़ा मिला| घोड़े पर बैठकर सीआरपीएफ मेस में पहुंची|

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