ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर में दारू विवाद को लेकर दैतापति रामकृष्ण जांच के घेरे में
पुरी 05 मई (एजेंसी)। ओडिशा के पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर दैतापति रामकृष्ण दासमहापात्र पश्चिम बंगाल के एक टीवी चैनल को दिए गए साक्षात्कार के बाद जांच के घेरे में आ गए हैं, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि दीघा के जगन्नाथ मंदिर में स्थापित भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा और महालक्ष्मी की मूर्तियों (विग्रहों) को 2015 के नवकलेवर अनुष्ठान से बची हुई अतिरिक्त दारू (पवित्र लकड़ी) से बनाया गया है।
श्री जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी ने रविवार को दैता निजोग के सचिव रामकृष्ण दासमहापात्र और अध्यक्ष गणेश्वर दासमहापात्र को तलब किया और उनसे मामले के बारे में पूछताछ की। उन्होंने दोनों से उनकी संलिप्तता के बारे में एक घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की , हालांकि न तो मुख्य प्रशासक और न ही रामकृष्ण ने बैठक के नतीजों का खुलासा किया।
श्री गणेश्वर दासमहापात्रा ने मीडिया को बताया कि उन्होंने मुख्य प्रशासक द्वारा पूछे गए सभी सवालों के जवाब दिए हैं और चल रही जांच में पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया है।
मंदिर प्रशासन ने रविवार को दारू और भगवान जगन्नाथ के बारे में उनके विरोधाभासी बयानों को लेकर रामकृष्ण दासमहापात्रा को कारण बताओ नोटिस जारी किया। बयानों से श्रद्धालु स्तब्ध हैं और कथित तौर पर भगवान जगन्नाथ और मंदिर प्रशासन दोनों की छवि खराब हुई है। उन्हें सात दिनों के भीतर अपना जवाब देने को कहा गया है। नोटिस में चेतावनी दी गई है कि यदि निर्धारित समय के भीतर संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया जाता है तो मंदिर अधिनियम 1955 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी।
नोटिस में 2015 के नवकलेवर से अधिशेष दारू के उपयोग के बारे में बंगाल टीवी चैनल को दिए गए रामकृष्ण के शुरुआती बयान और उसके बाद ओडिशा के टीवी चैनलों पर दिए गए विरोधाभासी बयान को उजागर किया गया है। नोटिस में कहा गया है कि वरिष्ठ दैतापति और दैता निजोग के सचिव के रूप में उन्हें उच्च मानक का माना जाता है और उन्हें इस तरह की टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी। लगभग सभी निजोगों ने इस मुद्दे पर अनुष्ठान प्रशासक को लिखित बयान प्रस्तुत किए हैं। मंदिर के मुख्य प्रशासक ने सभी निजोगों को रविवार शाम पांच बजे तक अपने लिखित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।
सूत्रों ने कहा कि निजोगों ने मंदिर के भंडारण से किसी भी दारू को हटाए जाने के बारे में अनभिज्ञता व्यक्त की और गहन जांच की मांग की।
छतरिसा निजोग के जनार्दन पट्टाजोशी महापात्रा ने शनिवार को मुख्य प्रशासक को लिखे पत्र में गंभीर प्रक्रियात्मक खामियों की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि स्थापित प्रथा के अनुसार अधिशेष दारू को निर्दिष्ट मंदिर कक्ष में संग्रहीत करने के बाद चाबियाँ मंदिर प्रशासन को सौंप दी जानी चाहिए थीं, हालांकि पिछले नवकलेवर के दौरान प्रशासन दैतापतियों से चाबियाँ लेने में विफल रहा जिससे संदेह पैदा हुआ कि दारू की लकड़ी बिना प्राधिकरण के ली गई हो सकती है। उन्होंने औपचारिक जांच की मांग की।
इस बीच सामाजिक और आरटीआई कार्यकर्ता जयंत कुमार दास ने रामकृष्ण दासमहापात्र के खिलाफ सिंहद्वार पुलिस थाने में पुलिस शिकायत दर्ज कराई जिसमें भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा चलाने का आग्रह किया गया।
जगन्नाथ सेना के संयोजक प्रिय दर्शन पटनायक ने भी शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने दीघा मंदिर के लिए ''जगन्नाथ धाम'' नाम के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति जताई और ओडिशा सरकार से पश्चिम बंगाल सरकार के साथ इस मुद्दे को उठाने का आग्रह किया।
ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने पुष्टि की कि मामला मुख्यमंत्री तक पहुंच गया है और आश्वासन दिया कि भगवान जगन्नाथ को बदनाम करने का दोषी पाए जाने पर किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।