लद्दाख को कार्बन मुक्त क्षेत्र बनाने की राह में रोड़ा
आज भी लेह और करगिल के गांवों में जेनरेटरों से मिलती है बिजली
सुरेश एस डुग्गर
जम्मू, 27 मई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लद्दाख को कार्बन मुक्त क्षेत्र बनाने की घोषणा के बावजूद, लेह और करगिल के कई गांव बिजली के लिए डीजल जेनरेटर (डीजी) सेट पर निर्भर हैं। दरअसल चांगथांग, ज़ांस्कर और नुबरा सहित लद्दाख के कई दूरदराज के क्षेत्र अभी भी राष्ट्रीय बिजली ग्रिड से जुड़े नहीं हैं। लद्दाख पावर डेवलपमेंट डिपार्टमेंट (एलपीडीडी) के अनुसार, वर्तमान में लद्दाख में 41 डीजी सेट हैं, जिनमें नुबरा में 18, चांगथांग में 15 और जंस्कार में 8 शामिल हैं।
सरकार इन जेनरेटर को चलाने के लिए सालाना लगभग 25 करोड़ रुपए खर्च करती है। हालांकि, डीजी सेट पर निर्भर गांवों को 24 घंटे बिजली की आपूर्ति नहीं मिलती है। उन्हें शाम को छह घंटे और सुबह दो घंटे बिजली मिलती है, केवल ईद और लोसार (लद्दाख नव वर्ष) जैसे विशेष अवसरों पर अतिरिक्त आपूर्ति होती है। सर्दियों के दौरान, लद्दाख की बिजली की मांग 74 मेगावाट से अधिक हो जाती है, नुबरा, जंस्कार और चांगथांग के राष्ट्रीय ग्रिड से जुड़ जाने के बाद इस क्षेत्र की बिजली पर निर्भरता और बढ़ जाएगी।
वर्ष 2019 में, प्रधानमंत्री ने एलेस्टैंग (श्रीनगर) से द्रास, करगिल और खालसी होते हुए लेह तक 220 केवी ट्रांसमिशन लाइन चालू की थी। 300 एमवीए की क्षमता वाले चार जीआईएस सबस्टेशनों द्वारा समर्थित इस परियोजना ने लद्दाख के 72 परसेंट गांवों को उत्तरी ग्रिड से जोड़ दिया है, जिससे चौबीस घंटे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित हो गई है। अधिकारियों ने बताया कि एलपीडीडी वर्तमान में बिजली की उपलब्धता बढ़ाने के लिए कई परियोजनाओं को लागू कर रहा है। प्रधान मंत्री विकास पैकेज (पीएमडीपी) के तहत, नुबरा और जंस्कार को 220 केवी लाइनों और डिस्किट (नुबरा) और पदुम (जंस्कार) में 220/33 केवी सबस्टेशनों के माध्यम से उत्तरी ग्रिड से जोड़ा जाएगा। नुबरा का कनेक्शन अक्टूबर 2025 तक होने की उम्मीद है, जबकि चांगथांग को रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत 2026-27 तक जोड़ा जाना है।
लद्दाख सौर ऊर्जा में अपनी अपार संभावनाओं के लिए प्रसिद्ध है। गैर-परंपरागत ऊर्जा परियोजनाओं को लागू करने के लिए जिम्मेदार लद्दाख अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी ने प्रदूषणकारी डीजल जेनरेटर के विकल्प के रूप में लंबे समय से सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया है। 2012 में, लद्दाख अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी ने पांच साल के भीतर हाइड्रो, सोलर या जियोथर्मल पावर के माध्यम से लद्दाख को बिजली देने का लक्ष्य रखा। हालांकि, 13 साल बाद भी यह विजन काफी हद तक साकार नहीं हो पाया है।
एजेंसी ने लद्दाख अक्षय ऊर्जा पहल सहित कई परियोजनाओं को लागू किया, जिसका उद्देश्य 11 माइक्रो-हाइड्रो प्रोजेक्ट (कुल 11.2 मेगावाट) विकसित करना और अलग-अलग क्षमताओं के 125 सौर फोटोवोल्टिक प्लांट लगाना था। जबकि कुछ परियोजनाएँ पूरी हो गईं, लेकिन कुल मिलाकर क्रियान्वयन उम्मीदों से बहुत कम रहा। जैसे-जैसे लद्दाख हरित भविष्य की ओर बढ़ रहा है, महत्वाकांक्षा और क्रियान्वयन के बीच की खाई को पाटना एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है। एलपीडीडी फ्यांग/फे में 25 मेगावाट एसी और 40 मेगावाट बीईएसएस तथा 12 मेगावाट सौर संयंत्र के साथ 50 मेगावाट पी डीसी की स्थापित क्षमता वाली मेगा सौर परियोजना स्थापित कर रहा है। यह एलपीडीडी यूटी लद्दाख की स्थानीय बिजली उत्पादन होगी, जिससे बिजली शुल्क कम करने तथा सिस्टम में हरित ऊर्जा जोड़ने में मदद मिलेगी।