रामनगर जिले का नाम बदलकर बेंगलूरु दक्षिण कर दिए जाने के बाद लोगों को नहीं होगा फायदा: कुमारस्वामी

रामनगर जिले का नाम बदलकर बेंगलूरु दक्षिण कर दिए जाने के बाद लोगों को नहीं होगा फायदा: कुमारस्वामी

बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| केंद्रीय बड़े और मध्यम उद्योग तथा इस्पात मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने कहा कि क्या रामनगर जिले का नाम बदलकर बेंगलूरु दक्षिण कर दिए जाने के बाद लोगों को कुछ फायदा होगा| पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा मैं रामनगर का नाम बदलने को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं हूं|

उन्होंने कहा कि इसका कोई फायदा नहीं होगा| रामनगर नाम का अपना एक इतिहास है| मैं यह नहीं कहना चाहता कि वे इसे बदलने के लिए हिंदुत्व विरोधी हैं| उन्होंने तीखा प्रहार करते हुए कहा कि पैसा लूटने के लिए इस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं| बेंगलूरु दक्षिण जिले के बजाय, वह इसका नाम केंगल हनुमंतैया के नाम पर रख सकते थे, जिन्होंने विश्व प्रसिद्ध विधान सौधा का निर्माण किया था| इससे पहले केंगल हनुमंतैया ने नेहरू को हराकर राजनीति खेली थी|

उन्होंने सवाल किया कि जब २०१७ में रामनगर जिले की घोषणा की गई थी, जिसमें तीन मुख्यमंत्री थे, तो इसका विरोध क्यों नहीं हुआ था| बेंगलूरु ग्रामीण जिले के लोग बुद्धिमान हैं| मैं ही वह व्यक्ति हूं जिसने बेंगलूरु ग्रामीण नाम को आगे बढ़ाया| रामनगर को जिला मुख्यालय बनाने से आम लोगों को लाभ हुआ है| उनकी सरकार हमेशा नहीं चलेगी| मैं जानता हूं कि अगले चुनाव का परिणाम क्या होगा| उन्होंने कहा कि नाम फिर से बदल जाएगा| कुमारस्वामी, जिन्होंने मुख्य रूप से बेंगलूरु की समस्याओं का उल्लेख किया था, ने डी.के. शिवकुमार की आलोचना की| २००६-०७, २००७-०८ में जेडीएस-भाजपा गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री के तौर पर और २०१८ के बाद १४ महीने तक कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री के तौर पर मैंने जो काम किया, वह सरकारी रिकॉर्ड में है|

उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार, जो रात एक बजे तक व्यापार और लूटपाट में व्यस्त रहते हैं, वे कुछ दस्तावेज निकालकर देखें| कैबिनेट की बैठक में रामनगर जिले का नाम बदलने और बेंगलूरु में सुरंग सड़क के निर्माण के संबंध में दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए| प्रशासन ने सड़क निर्माण के लिए मंजूरी दे दी है| मुझे नहीं मालूम पैसा कहां है| उन्होंने मजाक में कहा कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री इस पर चर्चा करेंगे और निर्णय लेंगे|

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इससे पहले, बेंगलूरु के मिन्स स्क्वायर से हेब्बल तक ३० करोड़ रुपये खर्च किए गए थे| जब वे मुख्यमंत्री थे, तब एक टनल रोड के निर्माण पर चर्चा कर लागत मूल्य पर कोरियाई कंपनी को ठेका देने की तैयारी की गई थी| शाही नहरों के ऊपर एक एलिवेटेड सड़क बनाने का प्रस्ताव था| उन्होंने इस बात पर असंतोष जताया कि बदली राजनीति में सभी सरकारों ने अपने कार्यकाल की परियोजनाओं को कूड़ेदान में फेंक दिया है| साईं लेआउट में जल जमाव का कारण सरकार का रवैया है|

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पिछली भाजपा सरकार में भी यही स्थिति थी| तत्कालीन मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने स्थल का निरीक्षण किया| जब मैंने स्थानीय विधायक बसवराजू से फोन पर बात की, तो ब्यातारायपुरा और दाशरहल्ली सहित सात या आठ विधानसभा क्षेत्रों से बारिश का पानी बहकर आ रहा था और रेलवे ट्रैक के एक तरफ खड़ा था| उन्होंने कहा कि लगभग १५ करोड़ की लागत पर काम किया जाना था और उस पानी को दूसरी तरफ मोड़ने के लिए कदम उठाए जाने थे|

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उन्होंने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से चर्चा की और परियोजना शुरू की| लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि काम पूरा नहीं हुआ है और पानी स्थिर है क्योंकि मौजूदा सरकार ने ठेकेदारों को भुगतान नहीं किया है| उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री एसी बस में शहर भ्रमण की तरह रोड शो करेंगे तो इसका कोई फायदा नहीं होगा|

आउटर पेरिफेरल रिंग रोड के निर्माण की प्रक्रिया १७ वर्ष पहले शुरू हुई थी| तत्कालीन केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री बालू ने धनराशि उपलब्ध कराने पर सहमति व्यक्त की| एक निविदा भी थी| मैं केंद्र सरकार की एनयूआरएम योजना के तहत बेंगलूरु में २५,००० करोड़ रुपये लाया था| उन्होंने कहा कि जब लागत मूल्य पर एलिवेटेड कॉरिडोर के लिए निर्णय लिया गया तो उस समय उनकी सरकार में शहरी विकास मंत्री रहे डॉ. जी. परमेश्वर ने उन्हें टोकते हुए कहा कि उनसे परामर्श किए बिना कोई निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए|

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