चुनाव को लेकर राहुल के सभी दावे झूठे निकले

इंडियन एक्सप्रेस ने छापा राहुल गांधी का झूठा लेख

चुनाव को लेकर राहुल के सभी दावे झूठे निकले

दिमागी दिवालिएपन की हदें पार करते जा रहे राहुल गांधी

कहने या लिखने के पहले तथ्यों की पड़ताल भी नहीं करते

 

नई दिल्ली, 08 जून (एजेंसियां)। कांग्रेस पार्टी के सांसद और प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर देश के लोकतंत्र को लेकर अपना राष्ट्र-विरोधी एजेंडा फैलाने की कोशिश की है। उन्होंने एक लेख लिख कर चुनावों में गड़बड़ी के वही पुराने दावे दोहराएजिनका दर्जनों बार जवाब दिया जा चुका है। इसमें राहुल गांधी ने कई तथ्यों के साथ छेड़छाड़ भी की है। इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने 7 जून को राहुल गांधी का झूठा लेख प्रकाशित किया। इस लेख में राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनाव को लेकर जो भी दावे किए हैं, वे सभी तथ्यगत रूप से झूठे पाए गए हैं। इस लेख को लेकर यही कहा जा रहा है कि राहुल गांधी अब अपने दिमागी दिवालिएपन की हदें पार कर रहे हैं। अपनी आदत के मुताबिक राहुल ने महाराष्ट्र चुनाव में धांधली की बात कही और चुनाव आयोग का भाजपा के साथ मिलीभगत बताया। राहुल गांधी अपने ही देश के स्वतंत्र निकायों पर लगातार अपमानजनक और बेबुनियाद सवाल खड़े करने से बाज नहीं आ रहे हैं।

इस लेख का शीर्षक मैच फिक्सिंग महाराष्ट्र रखा गया है। राहुल गांधी ने लेख की शुरुआत में ही महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे को हताश करने वाला और गैर-आधिकारिक स्रोत पर आधारित बताया। उन्होंने अपने इस लेख में जिन-जिन बिंदुओं को आधार बनाया है वास्तव में तथ्यहीन और मनगढ़ंत हैं। द इंडियन एक्सप्रेस ने राहुल गांधी के इस अनर्गल प्रलाप को 5 चरणों में विस्तार से प्रकाशित किया है।

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर फैलाया भ्रमः लेख के पहले चरण में राहुल ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि खेल के शीर्ष प्रतियोगियों ने ही अपना अंपायर चुन लिया। उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश को नियुक्ति पैनल से हटाने को लेकर भी सवाल खड़े किए। राहुल गांधी यह भूल गए कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति हमेशा केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर राष्ट्रपति के द्वारा की जाती रही है और सुप्रीम कोर्ट ने बाद में इस मामले में सरकार को कानून बनाने का आदेश दिया था। सरकार ने इसके लिए 2023 में चुनाव आयुक्त नियुक्ति अधिनियम बनाया था। इसके लागू होने के बाद 2:1 के पैनल में विपक्ष के प्रतिनिधि को भी शामिल किया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार में विपक्ष की अपेक्षा का भाव नहीं है। इसके बावजूद भी राहुल गांधी द्वारा सवाल उठाया जाना शर्मनाक है। जहां पहले चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में विपक्ष का 1 प्रतिशत भी रोल नहीं थावहीं अब उनका प्रतिनिधि इस पूरी प्रक्रिया का हिस्सा है। सरकार द्वारा चुनाव आयोग की नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश को हटाने का फैसला अनावश्यक न्यायिक बाधाओं को दूर करने और चुनाव प्रक्रिया को गति प्रदान करने के लिए लिया गया है।

मतदाताओं की संख्या पर भी बोला झूठः राहुल गांधी ने इंडियन एक्सप्रेस में लिखे लेख में यह बताया कि महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 8.98 करोड़ थी जो 5 साल बाद 2024 लोकसभा चुनाव के लिए बढ़कर 9.29 करोड़ हो गई। उन्होंने प्रश्न उठाए कि 41 लाख की छलांग 5 महीने में कैसे संभव है। इन प्रश्नों का जवाब दर्जनों बार चुनाव आयोग दे चुका है लेकिन फिर भी अगर हम पिछले पाँच लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच मतदाताओं की संख्या के आंकड़ों पर नजर डालें तो इससे यह स्पष्ट होता है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच मतदाताओं की संख्या में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी कई बार देखी गई है। वर्ष 2024 में 4.26 प्रतिशत2019 में 1.31 प्रतिशत2014 में 3.48 प्रतिशत2009 में 4.13 और 2004 में 4.69 प्रतिशत (2024 की वृद्धि से भी अधिक) मतदाताओं का अंतर लोकसभा और विधानसभा चुनावों में देखा गया था।इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि राहुल गांधी अपनी पार्टी के घटते आधार से खिन्न होकर कुछ भी दावे कर रहे हैं।

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मतदान प्रतिशत पर भी दोहराया झूठ पर झूठः राहुल गांधी ने दावा किया कि शाम 5 बजे मतदान प्रतिशत 58.22 प्रतिशत था जो मतदान बंद होने के बाद भी लगातार बढ़ता गया। उन्होंने 76 लाख मतदाताओं के प्रतिशत वृद्धि का भी हवाला दिया। इस मामले में राहुल गांधी चतुराई से एक बात छुपा ले गए। सच्चाई है कि 5 बजे मतदाताओं की नई लाइन लगना बंद होती हैंलेकिन जितने लोग लाइन में लग चुके होते हैंउन्हें वोट डालने दिए जाते हैं। कई मामलों में चुनाव आयोग ने वोटिंग का समय भी बढ़ाया है। ऐसे में अंतिम आंकड़े 5 बजे के आंकड़ों से हमेशा ही अलग होंगे। इस मामले पर महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एस. चोकलिंगम ने जवाब देते हुए कहा था कि तय समय के बाद भी मतदान में वृद्धि होना कोई असामान्य बात नहीं है। बल्कि यह प्रक्रियाओं पर आधारित है। महाराष्ट्र के कई शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में लोग बड़ी संख्या में शाम को मतदान देने आते हैं इसलिए यह कोई असामान्य बात नहीं है। हद तो तब हो गई जब राहुल गांधी ने अपने लेख में यह लिख दिया कि किसी भी मतदान केंद्र पर असामान्य रूप से कोई भी लंबी लाइनकतार या भीड़भाड़ की रिपोर्ट नहीं मिली है। इसका मतलब राहुल गांधी को यह बात रास नहीं आ रही कि लोग सहजता से आकर मतदान करके जा रहे हैं। स्पष्ट है कि चुनाव आयोग की अनावश्यक निंदा कर राहुल गांधी घिनौनी राजनीति कर रहे हैं।

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लोकसभा-विधानसभा को एक ही तराजू से तौलाः लेख के चौथे चरण में राहुल ने आरोप लगाते हुए यह कहा कि भाजपा 2024 के विधानसभा चुनाव में 149 सीटों पर चुनाव लड़ीजिसने 132 पर उसे जीत मिली थी। उन्होंने बताया कि पार्टी का स्ट्राइक रेट 89 प्रतिशत रहा जबकि लोकसभा चुनाव में भाजपा का स्ट्राइक रेट केवल 32 प्रतिशत ही था। राहुल गांधी का यह दावा काफी हास्यास्पद है क्योंकि कुछ समय के अंतर पर छोड़ दीजिएबल्कि एक ही समय पर राज्य-केंद्र के लिए वोट करने वाला मतदाता अलग-अलग पार्टी को को वोट कर सकता है। इसका सबसे बड़ा उदहारण 2019 के ओड़ीशा और लोकसभा चुनाव हैं। अगर 2019 में हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी को ओड़ीशा के लोकसभा चुनाव में 38 प्रतिशत सीट (21 में 8) मिली थी जबकि विधानसभा चुनाव में केवल 15.6 प्रतिशत सीट(147 में से 23) मिली थी। राहुल ने बूथ की चुनिंदा सूची बनाने का भी आरोप लगाया। इस पर चुनाव आयोग उन्हें पहले ही कह चुका है कि वोटर लिस्ट की कॉपी हर चुनाव से पहले अपडेट करके कांग्रेस समेत सभी पार्टी कार्यालयों में भेजी जाती है। ऐसे में सवाल है कि राहुल ने वोटर लिस्ट की कॉपी पर चुनाव से पूर्व ही हंगामा क्यों नहीं किया?

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ईवीएम पर संदेह जताने की मौकापरस्त आदत से मजबूरः राहुल गांधी ने अपने लेख के अंतिम चरण में मतदाता सूचीवीडियोग्राफी और सीसीटीवी फुटेज को साझा करने की बात कही। जबकि भारतीय निर्वाचन आयोग के आधिकारिक पेज पर मतदाताओं की विस्तृत जानकारी सार्वजनिक रूप से पहले ही उपलब्ध है। राहुल ने चुनाव में धांधली का खेल चलने की आशंका भी व्यक्त की और चुनाव आयोग का भाजपा के साथ मिलीभगत बताया। राहुल गांधी अपने ही देश की एक स्वतंत्र निकाय के ऊपर लगातार उठा रहे अपमानजनक प्रश्नों से बाज नहीं आ रहे।

यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी ने इस तरह की तथ्यहीन और अपमानजनक बात की है। राहुल इससे पहले भी कई बार चुनाव आयोग और अन्य सरकारी एजेंसियों पर सवाल उठा चुके हैं। समझने वाली बात यह है कि राहुल का यह सवाल कांग्रेस पार्टी के जीतने पर नहीं उठता। जब लोकसभा चुनाव में भाजपा को 240 सीटें मिली जो पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले कम थी तब राहुल ने इसे अपनी जीत और भाजपा की हार बताया था। झारखंड के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ गठबंधन में लड़ी कांग्रेस ने जीत के बाद चुनाव आयोग पर कोई सवाल नहीं उठाया। दुर्भाग्य की बात है कि कांग्रेस चुनाव आयोग के दिए निर्णय पर सवाल उठने से पहले यह भूल जाती है कि ऐसा करके वह न केवल भाजपा बल्कि खुद अपनी पार्टी के हजारों नियुक्त प्रतिनिधियों को भी कटघरे में खड़ा कर रही है।

राहुल गांधी का असत्य बनाम चुनाव आयोग का तथ्य

नई दिल्ली, 08 जून (एजेंसियां)। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में धांधली के आरोपों को चुनाव आयोग ने सिरे से खारिज कर दिया है। चुनाव आयोग ने एक बार फिर राहुल गांधी के असत्य के जवाब में तथ्य प्रस्तुत किया है। हालांकि चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि लेख लिख कर विद्रूपता फैलाने के बजाय राहुल गांधी चुनाव आयोग से सीधे पूछ सकते थे।

चुनाव आयोग ने संपर्क अभियान के तहत सभी छह राष्ट्रीय दलों से अलग-अलग बातचीत के लिए उन्हें आमंत्रित किया था। पांच दलों ने आयोग के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात कीलेकिन कांग्रेस ने 15 मई की बैठक रद्द कर दी थी। ताकि वह कीचड़ फैलाने के लिए स्वतंत्र रहे। राहुल गांधी द्वारा महाराष्ट्र के मतदान केंद्रों की शाम की सीसीटीवी फुटेज मांगे जाने संबंधी सवाल पर आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि चुनाव याचिका दाखिल होने पर मतदान केंद्रों की सीसीटीवी फुटेज की जांच सक्षम उच्च न्यायालय ही कर सकता है। चुनाव की शुचिता के साथ-साथ मतदाताओं की गोपनीयता की रक्षा के लिए निर्वाचन आयोग ऐसा करता है। राहुल गांधी मतदाताओं की गोपनीयता का उल्लंघन क्यों करना चाहते हैंजिसकी चुनाव कानूनों के अनुसार निर्वाचन आयोग को रक्षा करनी होती है? किसी भी गड़बड़ी से निपटने के लिए गांधी को उच्च न्यायालयों पर भरोसा करना चाहिए। मतदाता सूची में हेराफेरी का आरोप लगाकर गांधी ने वास्तव में अपनी ही पार्टी द्वारा नियुक्त बूथ स्तर के एजेंट और महाराष्ट्र में अपनी ही पार्टी के उम्मीदवारों द्वारा नियुक्त मतदान एवं मतगणना एजेंट पर सवाल उठा दिए हैं।

इससे पहले भी निर्वाचन आयोग ने राहुल के दावों को निराधार करार दिया था और इसे कानून के शासन का अपमान बताया था। उन्होंने कहा थामहाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और मतदाता सूची को लेकर लगाए गए निराधार आरोप कानून के शासन का अपमान हैं। चुनाव आयोग ने 24 दिसंबर 2024 को ही कांग्रेस को भेजे अपने जवाब में ये सभी तथ्य सामने रखे थेजो चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। ऐसा लगता है कि बार-बार ऐसे मुद्दे उठाते हुए इन सभी तथ्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है।

तथ्यों के आधार पर चुनाव आयोग ने कहा, महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के दौरान सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान केंद्र पर पहुंचे 6,40,87,588 मतदाताओं ने मतदान किया। औसतन प्रति घंटे लगभग 58 लाख वोट डाले गए। इन औसत रुझानों के अनुसारलगभग 116 लाख मतदाताओं ने अंतिम दो घंटों में मतदान किया होगा। इसलिए दो घंटों में मतदाताओं की ओर से 65 लाख वोट डालना औसत प्रति घंटे मतदान रुझानों से बहुत कम है।

प्रत्येक मतदान केंद्र पर उम्मीदवारों या राजनीतिक दलों की ओर से औपचारिक रूप से नियुक्त एजेंटों के सामने मतदान आगे बढ़ा। कांग्रेस के नामित उम्मीदवारों या उनके अधिकृत एजेंटों ने अगले दिन रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) और चुनाव पर्यवेक्षकों के सामने जांच के समय किसी भी तरह के असामान्य मतदान के संबंध में कोई आरोप नहीं लगाया। महाराष्ट्र सहित भारत में मतदाता सूचियां जनप्रतिनिधित्व अधिनियम1950 और मतदाता पंजीकरण नियम1960 के अनुसार तैयार की जाती हैं। कानून के अनुसार या तो चुनावों से ठीक पहले और या हर साल एक बार मतदाता सूचियों का विशेष संशोधन किया जाता है और मतदाता सूचियों की अंतिम प्रति भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी सहित सभी राष्ट्रीय या राज्य राजनीतिक दलों को सौंप दी जाती है।

महाराष्ट्र चुनावों के दौरान इन मतदाता सूचियों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद 9,77,90,752 मतदाताओं के खिलाफ प्रथम अपीलीय प्राधिकारी (जिलाधिकारीके पास सिर्फ 89 अपीलें दायर की गईं और द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी (सीईओके सिर्फ केवल एक अपील दायर की गई। इसलिए यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि 2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के आयोजन से पहले कांग्रेस या किसी अन्य राजनीतिक दल की कोई शिकायत नहीं थी। मतदाता सूची के संशोधन के दौरान 1,00,427 मतदान केंद्रों के लिए निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी की ओर से नियुक्त 97,325 बूथ स्तर के अधिकारियों के साथ-साथ सभी राजनीतिक दलों की ओर से 1,03,727 बूथ स्तर के एजेंट भी नियुक्त किए गएजिनमें 27,099 कांग्रेस की ओर से नियुक्त किए गए। इसलिए महाराष्ट्र की मतदाता सूची के खिलाफ उठाए गए ये निराधार आरोप कानून के शासन का अपमान हैं। चुनाव आयोग ने 24 दिसंबर 2024 को ही कांग्रेस को दिए अपने जवाब में ये सभी तथ्य सामने रखे थेजो ईसीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध है। ऐसा प्रतीत होता है कि बार-बार ऐसे मुद्दे उठाते समय इन सभी तथ्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है।

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