वोक्कालिगा ने कांताराजू रिपोर्ट को खारिज करने की मांग की

वोक्कालिगा ने कांताराजू रिपोर्ट को खारिज करने की मांग की

बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| राज्य वोक्कालिगा आरक्षण संघर्ष समिति ने मांग की है कि कांताराजू आयोग की रिपोर्ट को खारिज किया जाए और सभी वर्गों के लोगों को न्याय दिया जाए| राज्य वोक्कालिगा आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉ. श्रीकांतैया, राज्य वोक्कालिगा संघ के पूर्व सचिव एम.ए. आनंद, संघ के महासचिव संपादक नागराज येलचावाडी, कदाबगेरे वोक्कालिगा एक्शन समिति के अध्यक्ष के.सी. शिवरामु, वोक्कालिगा समुदाय के नेता रंगनरसिम्हैया, मेलुकोटे शिवराजू और अन्य ने संवाददाता सम्मेलन में बात की|

नेताओं ने मांग की कि सरकार को कांताराजू और जे.पी. हेगड़े आयोग की आरक्षण रिपोर्ट को लागू नहीं करना चाहिए क्योंकि कर्नाटक प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने आरक्षण को ५० प्रतिशत तक सीमित करने का आदेश दिया है| कर्नाटक राज्य प्रशासनिक परिषद ने अपने आदेश में कर्नाटक सरकार को ९ जजों की पीठ के लिए नियुक्तियों में ५६ प्रतिशत आरक्षण को ५० प्रतिशत तक सीमित करने का आदेश दिया है|

इसलिए कर्नाटक राज्य में आरक्षण को ५० प्रतिशत तक सीमित करना अनिवार्य है| कांताराजू और हेगड़े ने एक रिपोर्ट दी थी जिसमें ७५ प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की गई थी| कर्नाटक प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने पहले ही आरक्षण को ५० प्रतिशत तक सीमित करने का आदेश दिया है, इसलिए आरक्षण रिपोर्ट को लागू नहीं किया जा सकता है|

हम मांग करते हैं कि सरकार इन दोनों की रिपोर्ट को खारिज करे| लगभग सभी समुदायों ने कहा है कि कांताराजू आयोग की रिपोर्ट में गलतियाँ हैं| इसलिए, समिति ने सरकार से संदिग्ध सामाजिक और शैक्षणिक रिपोर्ट को त्यागने और फिर से एक विश्वसनीय सर्वेक्षण करने का आग्रह किया है| कांताराजू और जे.पी. हेगड़े द्वारा किया गया सर्वेक्षण २०१४-१५ में किया गया था| इसे पहले ही १० साल हो चुके हैं| कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अनुसार, हर १० साल में एक सामाजिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण किया जाना चाहिए और उसके आधार पर आरक्षण दिया जाना चाहिए| लेकिन यह विडंबना है कि वर्तमान कर्नाटक सरकार कानून को मान्यता दिए बिना कांताराजू और जे.पी. हेगड़े की रिपोर्ट को लागू करने जा रही है|

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अगर सरकार खुद कानून का पालन नहीं करेगी तो फिर कानून का पालन कौन करेगा| अब जो सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की गई है, उससे समाज के नागरिकों का विश्वास खत्म हो गया है| कर्नाटक सरकार ने २०१४ में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को सामाजिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण करने के लिए सूचित किया था| तदनुसार, कांताराजू को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था| उक्त आयोग ने २०१४-१५ में सामाजिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण किया था| समाज के कार्यालय को सूचित किया गया था कि सर्वेक्षण करते समय राज्य के सभी नागरिकों की जानकारी एकत्र नहीं की गई थी|

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उक्त आयोग समय पर सरकार को सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहा| २०१४-२०१५ में, राज्य की कुल आबादी के ९० प्रतिशत पर एक सामाजिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण किया गया था| यह काम पूरे पैमाने पर नहीं किया गया है| पिछले १० वर्षों में राज्य में जनसंख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है तथा अन्य पिछड़ा वर्ग की सामाजिक एवं शैक्षणिक स्थिति में भी काफी परिवर्तन आया है| इस परिप्रेक्ष्य में १० वर्ष पूर्व की रिपोर्ट को स्वीकार कर निकाले गए निष्कर्ष वास्तविकता से कोसों दूर तथा अप्रासंगिक हैं| सर्वेक्षण में सटीकता बनाए रखने के लिए सर्वेक्षण के दौरान सर्वेक्षण में ली गई समस्त जानकारी को वेबसाइट पर प्रकाशित करना तथा सभी संगठनों से आने वाली शिकायतों को स्वीकार कर उनमें सुधार करना उचित है|

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