सीएम सिद्धरामैया ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर राजभवन-सरकार विवाद के बारे में बताया
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और राजभवन और सरकार के बीच टकराव के बारे में बताया| सुबह ११.२० बजे राष्ट्रपति भवन जाकर राष्ट्रपति से मुलाकात करने वाले सिद्धरामैया ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा विधानमंडल में पारित और राजभवन भेजे गए अधिकांश विधेयक खस्ताहाल हो रहे हैं| कुछ और विधेयक राष्ट्रपति भवन पहुंच चुके हैं|
उन्होंने अनुरोध किया कि उन पर तुरंत हस्ताक्षर किए जाएं| निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार संशोधन अधिनियम-२०१५, कर्नाटक खनिज अधिकार और खनिज-संबंधित भूमि संशोधन अधिनियम-२०२४, कर्नाटक पंजीकरण संशोधन विधेयक-२०२४, कर्नाटक नोटरी संशोधन विधेयक-२०२५, कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता संशोधन विधेयक-२०२५, कर्नाटक हिंदू श्रमिक संगठन और धार्मिक बंदोबस्ती संशोधन विधेयक-२०२४ राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए लंबित हैं और मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने इन पर चर्चा की है|
राज्य सरकार के महत्वाकांक्षी केटीपीटी विधेयक का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय और पिछड़े वर्गों को ठेकों में आरक्षण प्रदान करना है| विधानसभा और विधान परिषद द्वारा अनुमोदित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता संशोधन विधेयक राज्यपाल के हस्ताक्षर के बिना ही राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया है| भाजपा ने हिंदू समुदाय के साथ गलत व्यवहार करने का आरोप लगाया था और राज्यपाल पर विधेयक पर कार्रवाई न करने का दबाव बनाया था| आखिरकार यह विधेयक राष्ट्रपति भवन पहुंच गया है|
सिद्धरामैया सरकार का यह महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है और राजनीतिक गणनाओं के कारण काफी चर्चा का विषय रहा है| बाल निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा संशोधन विधेयक, जिसमें जोर दिया गया है कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा या कन्नड़ में प्रदान की जानी चाहिए| यह विधेयक २०१५ से ही चर्चा में है| सिद्धरामैया ने अपने पहले कार्यकाल में इस विधेयक को तैयार किया था| भाषा माध्यम विवाद काफी बहस का विषय रहा था| इस प्रकार यह विधेयक १० वर्षों से राष्ट्रपति भवन में चर्चा में है|
कन्नड़ भाषा माध्यम के पक्ष और विपक्ष में गहन चर्चा हुई| इसके अलावा मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार के दंड संहिता अध्यादेश १९४४, पंजीकरण अधिनियम, कर्नाटक खनिज अधिकार और खनिज से संबंधित भूमि के स्वामित्व संशोधन अधिनियम पर भी केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है| हाल ही में तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल के बीच एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि संघीय व्यवस्था का सम्मान किया जाना चाहिए| इसमें किसी तरह का भेदभाव नहीं करने का सुझाव दिया गया है| सिद्धरामैया ने इसे राष्ट्रपति के ध्यान में लाया है|