बंद पर्यटनस्थल खुले, फिर लौटने लगी कश्मीरियों की जिंदगी

बंद पर्यटनस्थल खुले, फिर लौटने लगी कश्मीरियों की जिंदगी

जम्मू16 जून (ब्यूरो)। पहलगाम के बैसरन में हुए जानलेवा हमले में 25 पर्यटकों और एक स्थानीय टट्टू संचालक की मौत के करीब दो महीने बादजम्मू कश्मीर सरकार द्वारा पहलगाम में कई पार्क और दर्शनीय स्थलों को फिर से खोलने के फैसले से कश्मीरियों की उम्मीदें जग गई है। उन्हें लगता है उनकी जिंदगी फिर से लौट आई है।

पहलगाम और उसके आस-पास के इलाकों में 800 से ज्यादा होटलगेस्टहाउस और हट्स हैंजो 7,000 से ज्यादा लोगों की आजीविका का साधन हैं। मंदी के कारण कई होटल मालिकों को अपने कर्मचारियों की संख्या कम करने या उन्हें निकालने पर मजबूर होना पड़ा। टट्टू संचालकजो पर्यटकों की आवाजाही पर बहुत ज्यादा निर्भर हैंअब उम्मीद कर रहे हैं कि उन्हें फिर से काम शुरू करने की अनुमति दी जाएगी। ब्राउन पैलेस होटल के मालिक इब्राहिम रैना कहते हैं कि हमले के बाद पहली बार हम फिर से बुकिंग देख रहे हैं। ज्यादातर पर्यटक स्थानीय हैंलेकिन कुछ पर्यटक बाहर से भी आए हैं। रैना कहते हैं कि उनके होटल में अगस्त तक बुकिंग थीलेकिन हमले के बाद वे सभी रद्द हो गईं और नए आरक्षण पूरी तरह से बंद हो गए। जबकि टट्टू संचालक बिलाल माग्रे कहते हैं कि वे प्रतिदिन 1,500 रुपए कमाते थेलेकिन हमले के बाद से उन्होंने कुछ भी नहीं कमाया।

एक अन्य टट्टू संचालक मुहम्मद इस्माइल ने उम्मीद जताई कि आगामी अमरनाथ यात्रा शुरू होने के बाद पहलगाम मार्ग से अधिक तीर्थयात्रियों को लेकर आएगी। स्थानीय लोग एडवेंचर टूरिज्म को फिर से शुरू करने की मांग कर रहे हैंजो अभी तक बंद है। ज़ोर्बिंगरॉक क्लाइम्बिंग और राफ्टिंग जैसी अन्य गतिविधियां भी रूकी पड़ी हैंजिससे कई लोगों की आजीविका प्रभावित हुई है। स्थानीय आईटी स्नातक 22 वर्षीय ईशान ने प्रशासन से पर्यावरण के अनुकूल कैंपिंग की अनुमति देने का आग्रह कियाजो स्थानीय लोगों और आगंतुकों दोनों के बीच लोकप्रिय है। पर्यटक गाइडों ने भी आशा व्यक्त की कि ट्रेकिंग मार्ग फिर से खुल जाएंगे। स्थानीय गाइड 30 वर्षीय उमर कहते थे कि हमें उम्मीद है कि हम पर्यटकों को फिर से ट्रेकिंग स्पॉट पर ले जा सकेंगे। स्थानीय कार्यकर्ता मुश्ताक अहमद पहलगामी ने सरकार के फैसले का स्वागत कियालेकिन प्रभावित लोगों के लिए अतिरिक्त सहायता का आग्रह किया।

पहलगाम टैक्सी स्टैंड परड्राइवर आने वाले दिनों में बेहतरी की उम्मीद कर रहे हैं। 45 वर्षीय कैब ड्राइवर निसार अहमद खुशी प्रकट करते हुए कहते हैं कि हमले से पहले वे पर्यटकों को अरुचंदनवाड़ी और बेताब घाटी में ले जाकर प्रतिदिन 2,000 रुपए कमाते थे। अब स्टैंड सुनसान है। हमें उम्मीद है कि सभी जगहें जल्द ही खुल जाएंगी। हालांकि उन्होंने सरकार को बंद से प्रभावित टट्टू ऑपरेटरोंटैक्सी ड्राइवरों और अन्य दिहाड़ी मजदूरों के लिए विशेष राहत पैकेज की घोषणा की भी मांग की। जबकि उन्हें उम्मीद है कि एक शांतिपूर्ण और सफल अमरनाथ यात्रा से पूरे पर्यटन उद्योग को लाभ होगा।

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