कौशल विकास के उत्कृष्टता केंद्र हैदराबाद, चेन्नई में खुलेंगे : जयंत चौधरी
हैदराबाद, 17 जून (एजेंसी)। कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयंत चौधरी ने हैदराबाद और चेन्नई में राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों (एनएसटीआई) में दो नए उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना की घोषणा की है।
श्री चौधरी ने कहा कि ये दोनों केंद्र देश में ऐसे पांच केंद्र विकसित करने की योजना के तहत स्थापित किए जाएंगे। श्री चौधरी सोमवार शाम हैदराबाद के कान्हा शांति वनम में कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) द्वारा आयोजित कौशल मंथन क्षेत्रीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे जिसमें दक्षिण के राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि ये केंद्र उच्च गुणवत्ता वाले प्रशिक्षक प्रशिक्षण और उभरते क्षेत्रों के साथ जुड़े विशेष कौशल के लिए राष्ट्रीय संदर्भ बिंदु के रूप में काम करेंगे।
मंत्री ने कौशल विकास में कठोर, एक ही तरह के दृष्टिकोण से दूर जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “कौशल विकास में निर्धारित नियम नहीं हो सकते। हमें राज्यों को ऐसे समाधान तैयार करने के लिए सशक्त बनाना चाहिए जो उनके स्थानीय आर्थिक संदर्भों में निहित हों और उनके युवाओं की आकांक्षाओं के अनुरूप हों। तभी हम सार्थक प्रभाव और निरंतर परिवर्तन ला सकते हैं।”
श्री चौधरी ने राज्यों के लिए कौशल विकास के लिए अधिक रणनीतिक, परिणामोन्मुखी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया - जो भारत के युवाओं की आकांक्षाओं और अर्थव्यवस्था की उभरती मांगों के साथ गहराई से जुड़ा हो। उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि वे विश्व बैंक जैसे विशेषज्ञ निकायों के सहयोग से किए गए बारीक कौशल अंतर आकलन से सूचित स्थानीय कौशल योजनाओं को विकसित करने के लिए जिलाधिकारियों के साथ मिलकर काम करके एक विकेन्द्रीकृत और डेटा-संचालित नियोजन ढांचा अपनाएं।
कान्हा शांति वनम में बायोचार उत्कृष्टता केंद्र के अपने दौरे में श्री चौधरी ने बायोचार पर पहले ग्रामीण उद्यमिता प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अग्रणी पहल का उद्देश्य ग्रामीण युवाओं को बायोचार मूल्य श्रृंखला में कौशल से लैस करना है।
कौशल मंथन क्षेत्रीय कार्यशाला की चर्चा का मुख्य विषय परिणाम आधारित कौशल के लिए केंद्र-राज्य सहयोग को गहरा करने, स्थानीय कौशल विकास को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ जोड़ने और विकसित भारत - 2047 के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाना था।
इसकी कार्यसूची में आईटीआई उन्नयन की राष्ट्रीय योजना का कार्यान्वयन, उत्कृष्टता केंद्रों का संचालन, स्किल इंडिया डिजिटल हब का लाभ, प्रशिक्षुता को अपनाने में वृद्धि और शिक्षा और उद्यमिता के साथ कौशल को एकीकृत करने पर चर्चा जैसे विषय शामिल थे।
अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल डी.के. जोशी ने कहा, “अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भारत के समुद्री भविष्य का प्रवेश द्वार बनने के लिए तैयार हैं।” उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल पर्यटन और शिपिंग क्षमता के द्वार खोलेगी बल्कि लॉजिस्टिक्स, आतिथ्य और समुद्री उद्यमिता में कौशल विकास के नए अवसर भी पैदा करेगी।
कर्नाटक के चिकित्सा शिक्षा और कौशल विकास मंत्री डॉ. शरणप्रकाश आर. पाटिल ने कहा कि राज्य में 270 आईटीआई और अंतरराष्ट्रीय प्लेसमेंट कार्यक्रमों के माध्यम से नर्सिंग और विदेशी भाषाओं जैसे क्षेत्रों में हम अपने युवाओं को न केवल भारत के लिए, बल्कि दुनिया के लिए तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमारी कौशल परिषदें भविष्य के लिए तैयार पेशेवरों को आकार देने के लिए उद्योग के साथ मिलकर काम कर रही हैं।”
केरल के सामान्य शिक्षा और श्रम एवं कौशल मंत्री वी. शिवनकुट्टी कहा, “हम इन प्रयासों को आगे बढ़ाने और यह सुनिश्चित करने के लिए निरंतर समर्थन चाहते हैं कि प्रत्येक प्रशिक्षित युवा को सार्थक रोजगार मिले।”
कार्यशाला में एमएसडीई के सचिव अतुल कुमार तिवारी, दक्षिणी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्री, कौशल विकास विभाग और रोजगार विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।