पुलिस विभाग ने जन सुरक्षा के लिए डोर-टू-डोर पुलिस नामक नई पहल लागू की
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| पुलिस विभाग ने जन सुरक्षा के लिए शुक्रवार से डोर-टू-डोर पुलिस नामक नई पहल लागू की है| यह पहल न केवल समाज में अपराध को रोकने में सहायक होगी, बल्कि शांति और स्थिरता बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी| यह व्यवस्था इस कार्य में सभी को समान रूप से शामिल करके और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जनता में जागरूकता पैदा करके जनता की प्रत्यक्ष भागीदारी सुनिश्चित करने में आशा की किरण है| इस पहल के माध्यम से समाज में पुलिस के प्रति भय की भावना के बजाय विश्वास के प्रतीक के रूप में उनकी पहचान बनाना संभव होगा|
यहां आयोजित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के वार्षिक सम्मेलन में पुलिस विभाग द्वारा जन सुरक्षा के लिए लागू की गई डोर-टू-डोर पुलिस पहल पर एक पुस्तिका का विमोचन किया गया| आधुनिक युग में पुलिस की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है| वे न केवल कानून और व्यवस्था बनाए रखते हैं, बल्कि समाज की शांति और सुरक्षा की भूमिका भी निभाते हैं| पुलिस विभाग का मुख्य कर्तव्य अपराधों को रोकना, आपराधिक मामलों की जांच करना, सार्वजनिक कार्यक्रमों में सुरक्षा प्रदान करना तथा बाढ़, भूकंप और महामारी जैसी आपदाओं के दौरान सुरक्षात्मक कार्य करना है|
विभाग की प्राथमिकता कठिन परिस्थितियों को शांतिपूर्ण तरीके से संभालकर जनता में सुरक्षा और विश्वास पैदा करना है| विभाग जनता में कानूनों के बारे में जागरूकता पैदा करने और नागरिक भागीदारी कार्यक्रम तैयार करने में प्रगतिशील रुख अपना रहा है| पुलिस विभाग आधुनिक तकनीकों के उपयोग से अधिक प्रभावी ढंग से काम कर रहा है और जन सेवा पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार कर रहा है| स्कूलों और कॉलेजों में कानूनी जागरूकता कार्यक्रम, महिला सुरक्षा पर कार्यशालाएं और युवाओं को पुलिस सेवाओं के बारे में जागरूक करने के लिए बैठकें आयोजित की जाती हैं| जनता के सहयोग से पुलिस संदिग्ध गतिविधियों की शीघ्र पहचान कर उन्हें रोक सकती है| सामुदायिक पुलिसिंग प्रणाली पुलिस और जनता के बीच विश्वास का रिश्ता बनाती है| इससे युवाओं को सकारात्मक गतिविधियों में शामिल होने में मदद मिलती है|
समाज में ऐसा माहौल बनाया जाता है, जहां गंभीर समस्याएं उत्पन्न होने से पहले ही समाधान तैयार कर लिए जाते हैं| राज्य पुलिस ने साइबर अपराध में मनी लॉन्ड्रिंग के लिए फर्जी बैंक खातों के उपयोग पर एक अध्ययन रिपोर्ट जारी की है| साइबर अपराध के मामलों में मनी लॉन्ड्रिंग के लिए फर्जी बैंक खातों के व्यापक उपयोग का अध्ययन करने और उन्हें रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों का सुझाव देने के लिए सीआईडी के साइबर अपराध जांच प्रशिक्षण और अनुसंधान केंद्र द्वारा एक विशेष टीम का गठन किया गया था|
इसके अलावा, पुलिस अधिकारियों, तकनीशियनों, बैंकिंग क्षेत्र के प्रतिनिधियों और जांचकर्ताओं के साथ कई दौर की चर्चाएँ की गई हैं| इस अध्ययन रिपोर्ट में भारत में फर्जी खातों पर नियंत्रण के लिए अपनाए जाने वाले कदमों की रूपरेखा तैयार की गई है और इन कदमों को तीन श्रेणियों में समझाया गया है| ये हैं, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा अपनाए जाने वाले कदम, पुलिस और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा अपनाए जाने वाले कदम और सरकार तथा नियामकों द्वारा उठाए जा सकने वाले कदम|