पुलिस अधिकारियों को बिना किसी पर्याप्त सामग्री या आधार के निलंबित किया गया: कैट
बेंगलूरु भगदड़ मामला
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने मंगलवार को विकास कुमार विकास के निलंबन को रद्द कर दिया, जो ४ जून को एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में भगदड़ में ११ लोगों की जान जाने के समय अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (पश्चिम) थे, और उनके निलंबन आदेश को चुनौती दी है| इसने कर्नाटक सरकार को उन्हें उनके पद पर बहाल करने का भी निर्देश दिया| कैट ने कहा कि निलंबन आदेश यांत्रिक तरीके से पारित किया गया है और यह आदेश किसी भी ठोस सामग्री पर आधारित नहीं है|
पुलिस अधिकारियों को बिना किसी पर्याप्त सामग्री या आधार के निलंबित किया गया है| कैट ने आगे कहा कि उसे उम्मीद है कि सरकार उसी आदेश द्वारा निलंबित किए गए अन्य अधिकारियों को भी यही लाभ देगी| पूर्व शहर पुलिस आयुक्त बी. दयानंद, पूर्व डीसीपी (मध्य) एच.टी. शेखर, कब्बन पार्क के पूर्व एसीपी बालकृष्ण और कब्बन पार्क के पूर्व इंस्पेक्टर गिरीश इसी आदेश के तहत निलंबित किए गए अन्य चार अधिकारी हैं| इस आदेश को राज्य सरकार के लिए झटका माना जा रहा है, क्योंकि मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अधिकारियों के निलंबन की घोषणा खुद की थी|
सरकार के सूत्रों ने बताया कि इस आदेश को कर्नाटक उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है| न्यायमूर्ति बी.के. श्रीवास्तव और प्रशासनिक सदस्य संतोष मेहरा, सीएटी-बेंगलूरु शाखा द्वारा पारित आदेश में व्यवस्था करने के लिए समय की कमी का हवाला देते हुए कहा गया कि पुलिस भी इंसान है और न तो भगवान है और न ही जादूगर जिसके पास अलाद्दीन का चिराग जैसी जादुई शक्तियां हैं जो इतने कम समय में पर्याप्त व्यवस्था कर सकें|
कैट ने अपने आदेश में कहा सवाल उठता है कि क्या पुलिस के पास पर्याप्त व्यवस्था करने के लिए पर्याप्त समय उपलब्ध था? इसका उत्तर नकारात्मक है| ४ जून को समय की कमी के कारण, पुलिस उचित व्यवस्था करने में असमर्थ थी| पुलिस को पर्याप्त समय नहीं दिया गया| पुलिस से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि लगभग १२ घंटे के कम समय में पुलिस सभी व्यवस्थाएँ कर लेगी| प्रथम दृष्टया बड़ी भीड़ के लिए आरसीबी जिम्मेदार है अपने आदेश में कैट ने पाया कि स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम के लिए नियमों के अनुसार पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी|
कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (केएससीए) द्वारा फाइनल मैच से पहले ३ जून को कब्बन पार्क के इंस्पेक्टर को दिए गए पत्र का हवाला देते हुए ट्रिब्यूनल ने कहा कि यह पत्र लाइसेंसिंग और सभाओं और सार्वजनिक जुलूसों के नियंत्रण (बेंगलूरु शहर) आदेश, २००९ का उल्लंघन है, जिसके अनुसार सुरक्षा जमा करने के बाद कानून और व्यवस्था के प्रभारी अतिरिक्त पुलिस आयुक्त से सात दिन पहले अनुमति लेनी होती है|
कैट ने पाया कि इनमें से किसी भी प्रावधान का पालन नहीं किया गया और पत्र को अतिरिक्त आयुक्त, इस मामले में विकास कुमार विकास या आयुक्त को प्रस्तुत नहीं किया गया| कैट ने कहा केएससीए ने एक पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें अनुमति देने या व्यवस्था करने के लिए कोई अनुरोध नहीं था| पत्र में केवल इरादे के बारे में जानकारी दी गई है| उन्होंने आगे कहा इस पत्र के आधार पर, प्रथम दृष्टया पुलिस कोई सुविधा देने या कोई सहायता प्रदान करने के लिए बाध्य नहीं थी|
-पुलिस ने यथासंभव उचित व्यवस्था की
इसके बावजूद, पुलिस ने यथासंभव उचित व्यवस्था की| ४ जून को अपने सोशल मीडिया हैंडल पर बार-बार विजय परेड की घोषणा करने वाले आरसीबी के बारे में विस्तार से बताते हुए कैट ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि लगभग तीन से पांच लाख लोगों के एकत्र होने के लिए आरसीबी जिम्मेदार है| आरसीबी ने पुलिस से उचित अनुमति या सहमति नहीं ली| अचानक, उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया और उपरोक्त जानकारी के परिणामस्वरूप, जनता एकत्र हो गई| इसने आदेश में अन्यत्र इसे बिना किसी पूर्व अनुमति के उपद्रव पैदा करना बताया| कैट ने कहा कि ५ जून तक यह पता नहीं लगाया गया था कि चूक और कमियों के लिए कौन जिम्मेदार हैं| यही बात मजिस्ट्रेट जांच के आदेश से भी पता चलती है| कैट ने अपने आदेश में कहा, उक्त आदेश पारित करने के समय संबंधित पुलिस अधिकारियों की चूक या लापरवाही दिखाने के लिए कोई पुख्ता सबूत नहीं था|
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