भारत बनाएगा महाकाल की फौज देखकर ही दुश्मन रख देगा हथियार
नई दिल्ली, 01 जुलाई (एजेंसियाँ) । भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ‘DRDO 2.0’ नामक महत्वाकांक्षी रणनीति की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य पारंपरिक हथियार प्रणालियों से हटकर अगली पीढ़ी की उन्नत तकनीकों—जैसे डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स, क्वांटम सिस्टम, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और फोटोनिक रडार—पर केंद्रित होना है।
DRDO के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं ईसीएस निदेशक डॉ. बी.के. दास ने स्पष्ट किया कि ऐसे उच्च तकनीकी हथियार ही भविष्य के युद्ध की दिशा निर्धारक होंगे। डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स (DEWs) में सबसे उल्लेखनीय है 30 किलोवॉट Mk‑II(A) लेजर प्रणाली, जो ड्रोन, हल्के हेलीकॉप्टर और अन्य छोटे लक्ष्य को 3.5–5 किमी की दूरी से ऊर्जा संचालित विकिरण द्वारा काट सकती है । इससे पहले DRDO ने 2 किलोवॉट की Mk‑II(A) प्रणाली का सफल परीक्षण किया था, जिसने साबित किया कि भारत उच्च ऊर्जा लेजर सिस्टम विकसित करने में सक्षम है।
क्वांटम संचार और सुरक्षित नेटवर्किंग के क्षेत्र में DRDO और IIT‑Delhi ने 1 किमी से अधिक दूरी पर फ्री‑स्पेस क्वांंटम की‑डिस्ट्रीब्यूशन (QKD) का सफल प्रयोग किया है, सुरक्षित कुंजी दर लगभग 240 बिट/सेकंड और क्वांटम बिट त्रुटि दर 7 % से कम रही। मीडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि ISRO और DRDO मिलकर क्वांटम‑सुरक्षित संचार नेटवर्क तैयार कर रहे हैं ताकि अगले दशकों में साइबर हमलों से बचाव सुनिश्चित हो सके ।
AI आधारित प्रणाली भी इस योजना का एक अहम हिस्सा हैं। DRDO ने निकट भविष्य में स्वायत्त प्लेटफॉर्म, ट्रैकिंग सिस्टम और बुद्धिमान निर्णय समर्थन प्रणालियों का विकास शुरू कर दिया है, जिन्हें 2026 तक उपयोग के लिए तैयार करने की योजना पर कार्य चल रहा है ।
रणनीतिक दृष्टिकोण को साकार करने के लिए DRDO ने ‘DCPP’ (Develop & Produce with Production Partner) मॉडल अपनाया है, जिसमें पारंपरिक हथियारों का विकास और उत्पादन निजी कंपनियों को सौंपा जा रहा है, जबकि DRDO “10–20 %” तक तकनीकी सहायता प्रदान करेगा। इससे हाई‑टेक शोध में दक्षता बढ़ेगी और मल्टी‑डोमेन क्षमताओं का विकास बढ़ावा मिलेगा।
इसके साथ ही, MK‑II(A) की 30 kW लेजर तकनीक को निजी क्षेत्र को हस्तांतरित किया जा चुका है ताकि बड़े पैमाने पर उत्पादन और युद्ध क्षेत्र में तैनाती पर काम तेजी से आगे बढ़े।
यह ‘DRDO 2.0’ पहल भारत को तकनीकी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और वैश्विक रक्षा प्रौद्योगिकी में नेतृत्व प्रदान करने का एक दृढ़ कदम है। यह पारंपरिक हथियारों के बजाय भविष्य हेतू ऊर्जा संचालित, बुद्धिमान और क्वांटम‑सुरक्षित उपकरणों पर निर्भरता को बढ़ावा देती है। इसके साथ ही, निजी मुद्रा और सिस्टम उत्पादन में निष्पादन क्षमता तेज होगी, जिससे समय और लागत दोनों में बचत होगी।