राष्ट्र प्रथम के भाव से सेवारत है महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद
राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए बोले मुख्यमंत्री
गोरखपुर, 01 जुलाई (ब्यूरो)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि महाराणा प्रताप (एमपी) शिक्षा परिषद की संस्थाएं अपने संस्थापकों की भावनाओं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा के अनुरूप राष्ट्र प्रथम के भाव से सेवा कार्य कर रहीं हैं। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय भी परिषद की इसी भावना को उच्च शिक्षा और चिकित्सा के सेवा क्षेत्र में मूर्तमान कर रही है।
सीएम योगी मंगलवार शाम महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर (एमजीयूजी) में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के मुख्य आतिथ्य में आयोजित अकादमिक भवन, पंचकर्म केंद्र व ऑडिटोरियम के लोकार्पण और गर्ल्स हॉस्टल के शिलान्यास समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 1932 में युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी ने शैक्षिक रूप से इस पिछड़े क्षेत्र में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की थी। आजादी के बाद पहला विश्वविद्यालय स्थापित करने में इसी शिक्षा परिषद का योगदान रहा। आज महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की 52 से अधिक संस्थाएं शिक्षा, स्वास्थ्य और लोक कल्याण के क्षेत्र में राष्ट्र प्रथम की सेवा भावना को साकार कर रहीं हैं।
मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति के दो दिवसीय प्रदेश दौरे के दौरान आईवीआरआई बरेली, गोरखपुर एम्स और आयुष विश्वविद्यालय के कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए कहा कि ये सभी उच्च स्तरीय संस्थान विज्ञान के अलग-अलग फील्ड में काम करते हैं लेकिन राष्ट्रपति के इस दौरे का समापन महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय में हो रहा है जो इन सभी फील्ड में काम करने वाला संस्थान है। इस विश्वविद्यालय में मॉडर्न मेडिकल साइंस, आयुर्वेद, नर्सिंग, फा
एमजीयूजी के समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का स्वागत करते हुए श्रीमती मुर्मू के संघर्ष और सफलता की यात्रा का भी ध्यान दिलाया। कहा कि देश की कोटि-कोटि मातृशक्ति के लिए राष्ट्रपति प्रेरणा पुंज हैं। वह फर्श से अर्श तक और शून्य से शिखर की यात्रा की विशिष्ट पहचान हैं। उन्होंने संघर्षों से अपना रास्ता बनाया और निजी दिक्कतों को कभी भी राष्ट्र प्रथम के मार्ग में बाधक नहीं बनने दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहली बार भारत के संवैधानिक प्रमुख का सड़क पर छात्रों के बीच आत्मीय संवाद अभिभूत करने वाला है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता, वसुधा का नेता कौन हुआ, भूखंड विजेता कौन हुआ,अतुलित यश क्रेता कौन हुआ, नव-धर्म प्रणेता कौन हुआ, जिसने न कभी आराम किया,विघ्नों में रहकर नाम किया का उद्धरण देते हुए कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इसकी साक्षात प्रतिमूर्ति हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का दौरा उत्तर प्रदेश, खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए अत्यंत प्रेरक रहा। मुख्यमंत्री ने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल का स्वागत करते हुए कहा कि उन्होंने अपने संघर्षमय जीवन में एक शिक्षिका से राज्यपाल पद तक की सेवा यात्रा की है। मुख्यमंत्री ने आज कार्यक्रम के दौरान बारिश होने को लेकर भी बात की। कहा कि 2021 में जब तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद एमजीयूजी का लोकार्पण करने आए थे तब भी काफी बारिश हुई थी। और, आज महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आगमन पर भी बारिश यज्ञ की सफलता का आधार बन रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि प्रदेश को पहले आयुष विश्वविद्यालय का उपहार देने के बाद सरकार जन आरोग्यता के लिए हर जिले में कम से कम 100 बेडेड का आयुष हेल्थ वेलनेस सेंटर बनाएगी। यहां पंचकर्म, क्षारसूत्र जैसी महत्वपूर्ण सुविधाओं को भी उपलब्ध कराया जाएगा। इसके साथ ही सरकार ने प्रदेश के उन छह मंडलों में मंडल मुख्यालय स्तर पर एक-एक आयुष महाविद्यालय बनाने का निर्णय लिया है जो अब तक ऐसे महाविद्यालय की सुविधा से वंचित थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार सम्पूर्ण आरोग्यता की दिशा में निरंतर कार्य कर रही हैं। 2014 के पूर्व भारत की आरोग्यता की प्राचीन पद्धतियों, सुविधाओं को वैश्विक मान्यता नहीं मिल पाई थी। 2014 में प्रधानमंत्री बनने पर नरेंद्र मोदी ने आयुर्वेद, योग, यूनानी, होम्यो
मुख्यमंत्री ने कहा कि महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय पीएम मोदी की प्रेरणा से सम्पूर्ण आरोग्यता के लिए बनाया गया उत्तर प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय है। लोकार्पण के साथ अब इस विश्वविद्यालय में प्रवेश प्रक्रिया भी आगे बढ़ेगी। लोगों को आयुर्वेद, होम्योपैथ, यूनानी, यो
आयुष विश्वविद्यालय के लोकार्पण समारोह में अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आयुर्वेद और नाथपंथ के आपसी जुड़ाव का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में रस शास्त्र, धातु विज्ञान का आविष्कार नवनाथ तथा चौरासी सिद्धों की परंपरा से जुड़ता है और, इसे व्यवस्थित करने का श्रेय महायोगी गुरु गोरखनाथ को दिया जाता है।
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