सीएम-डीसीएम की कुर्सी की लड़ाई में कार्यकर्ता और नेता सत्ता से हो रहे वंचित
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच छिड़ी प्रतिस्पर्धा के चलते, ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि कांग्रेस सरकार के सत्ता में रहते हुए भी, निर्धारित अवधि के लिए नियुक्तियाँ न होने के कारण कार्यकर्ताओं और नेताओं को सत्ता से वंचित किया जा रहा है| विधान परिषद के चार सदस्य सेवानिवृत्त हो चुके हैं और इन पदों के लिए चार लोगों के नाम तय हो चुके थे| हालाँकि, डी.के. शिवकुमार और सिद्धरामैया समर्थकों के बीच रस्साकशी के कारण नियुक्तियाँ लंबित हैं|
सौ से ज्यादा निगम मंडलों में से केवल ७० को ही अध्यक्ष और उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है| निगमों में किसी भी अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की गई है| अब तक, सरकार किसी भी निगम मंडल में सदस्यों की नियुक्ति नहीं कर पाई है| २०१३ में मुख्यमंत्री रहे सिद्धरामैया ने भी इसी तरह का टालमटोल वाला रवैया अपनाकर अपने तीन साल बर्बाद कर दिए थे| उन्होंने कार्यकर्ताओं को केवल आखिरी दो साल का समय दिया था| इसका असर २०१८ के विधानसभा चुनावों पर पड़ा, जहाँ कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई|
हालाँकि कांग्रेस सरकार २०२३ में स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में आई, लेकिन कार्यकर्ताओं को सदस्य नियुक्त करना संभव नहीं हो पाया है| अध्यक्ष पद तो कुछ ही लोगों को मिला है, लेकिन ज्यादातर विधायक ही हैं| चुनाव के दौरान कड़ी मेहनत करने वाले कार्यकर्ता अवसरों से वंचित होकर घर बैठे हैं| डी.के. शिवकुमार बार-बार कार्यकर्ताओं को अधिकार देने की माँग करते रहे हैं| लेकिन यह संभव नहीं हो पाया है| विधायकों को खुश करने के लिए सिद्धरामैया ने निगमों और बोर्डों में विधायकों की नियुक्ति करके एक अलग रणनीति बनाई थी|
इससे कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ गया था| यह असंतोष अभी भी सुलग रहा है| केएमएफ के अध्यक्ष पद को लेकर भी खींचतान शुरू हो गई है| डी.के. शिवकुमार अपने भाई, पूर्व सांसद डी.के. सुरेश को केएमएफ का अध्यक्ष बनवाने की कोशिश कर रहे हैं| बदले में, मलूर विधायक के.वाई. नानजेगौड़ा, वर्तमान केएमएफ अध्यक्ष भीमनायक और अन्य कड़ी टक्कर दे रहे हैं| सिद्धरामैया इस मुद्दे पर फिर से दुविधा में हैं| इस बीच शिवकुमार पार्टी संगठन में किसी का दखल न होने देते हुए जिसे चाहें उसे जिला अध्यक्ष बनाने की तैयारी कर रहे हैं| इसके लिए जिला केंद्रों पर पर्यवेक्षकों की एक टीम पहले ही भेजी जा चुकी है|
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