विजयेंद्र को पहले अपनी कुर्सी सुरक्षित करने का करना चाहिए प्रयास: सिद्धरामैया
भाजपा को इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र की आलोचना करते हुए कहा है कि कांग्रेस पार्टी का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होना चाहिए, यह सुझाव देना न केवल उनकी अज्ञानता और आत्म-प्रवंचना को दर्शाता है, बल्कि अहंकार को भी दर्शाता है|
इस संबंध में एक प्रेस बयान देते हुए उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि अगर विजयेंद्र को पढ़ने की आदत है, तो उन्हें इतिहास पढ़ना चाहिए कि भारतीय जनता पार्टी ने इस देश की पिछड़ी जातियों, दलितों और अल्पसंख्यकों के साथ हमेशा कैसा व्यवहार किया है| उन्होंने न केवल बंडारू लक्ष्मण नामक एक निर्दोष दलित नेता को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया, उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और उन्हें जेल में डाल दिया, बल्कि उन्हें उसी पीड़ा में मरने भी दिया? इस बारे में बात करते हुए, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम का महिमामंडन करने वाली भाजपा ने उन्हें प्रधानमंत्री क्यों नहीं बनाया? ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का राष्ट्रपति बनना एक उपलब्धि है, तो मौजूदा लोकसभा में भाजपा का एक भी मुस्लिम सांसद क्यों नहीं है? क्या वे इन सवालों का जवाब दे सकते हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव में एक भी मुस्लिम नेता को टिकट क्यों नहीं दिया गया?
राज्य की पिछड़ी जातियों के नेता एस. बंगारप्पा इस बात के गवाह हैं कि भाजपा पिछड़े नेताओं के साथ कैसा व्यवहार करती रही है| अगर आपके पिता बी.एस. येदियुरप्पा ने बंगारप्पा को खत्म किया, तो आप उनके बेटे कुमार बंगारप्पा की राजनीति को भी खत्म करने जा रहे हैं| वे इसका ब्यौरा देते रहे हैं|
बंगारप्पा हों या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जब तक वे जाति व्यवस्था पर आधारित हिंदुत्व के एजेंडे के आगे सिर झुकाते रहेंगे, तब तक उनका सिर सुरक्षित रहेगा| उन्होंने कहा है कि मोदी को भी यह बात पता होनी चाहिए| विजयेंद्र, अगर आपको दलितों और पिछड़ी जातियों की इतनी ही चिंता है, तो राज्य भाजपा अध्यक्ष का पद किसी दलित नेता के लिए छोड़ दीजिए| मैं खुद आपकी सुविधा के लिए वह नाम सुझाता हूँ| दलित नेता गोविंदा करजोल हाल ही में आपकी पार्टी में शामिल हुए हैं| वह मेरे सहयोगी थे और मूलतः एक सभ्य व्यक्ति हैं| अगर आप और आपकी पार्टी में दम है, तो करजोल को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाएँ और उन्हें अगला मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करें| मुझे पता है आप इतना अच्छा काम कभी नहीं कर पाएँगे|
उन्होंने आरोप लगाया है कि भाजपा अपने दलित नेताओं का इस्तेमाल सिर्फ दूसरी पार्टियों के दलित नेताओं का चरित्र हनन करने के लिए करती है, लेकिन उन्हें कोई सम्मान और महत्वपूर्ण दर्जा नहीं देती| विजयेंद्र, विपक्ष के नेता, नारायणस्वामी को सिर पर कपड़ों से भरी टोकरी रखकर भेजने के बजाय, आप और आपके पिता उसे क्यों नहीं ले गए? क्या आपके पास इसका कोई जवाब है? मल्लिकार्जुन खड़गे न केवल एआईसीसी अध्यक्ष हैं, बल्कि एक ऐसे राजनेता भी हैं जिनकी देश प्रशंसा करता है| वह समर्पण, कड़ी मेहनत और लोगों की चिंता से एक नेता के रूप में विकसित हुए हैं, लेकिन उन्होंने कभी दलित कार्ड दिखाकर राजनीति नहीं की| उन्हें अपने विकास के लिए किसी की सिफारिश की जरूरत नहीं है|
हमारी पार्टी तय करेगी कि कांग्रेस पार्टी में प्रधानमंत्री कौन बनना चाहिए| उन्होंने कहा कि भाजपा को इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है| विजयेंद्र, आपको अपनी पार्टी के बारे में सोचना चाहिए| आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने पचहत्तर साल पूरे कर चुके नरेंद्र मोदी को सत्ता से बेदखल करने का संकेत दिया है| भाजपा के लिए एक दलित को प्रधानमंत्री बनाने का यह एक अच्छा मौका है| इस प्रयास की शुरुआत आप खुद से करें| दूसरों को उपदेश देने के बजाय, भाजपा के प्रधानमंत्री पद के लिए किसी दलित नेता को नामित करके दलितों के प्रति अपने प्रेम का प्रमाण दें| अगर वे नाम गोविंद करजोल या चलवाडी नारायण स्वामी हैं, तो मैं सबसे पहले उन्हें बधाई दूँगा|
-मुख्यमंत्री सिद्धरामैया की ईमानदारी पर सवाल उठाए
इससे पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक बी.वाई. विजयेंद्र ने भारत में पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अल्पसंख्यकों के प्रति कांग्रेस पार्टी और मुख्यमंत्री सिद्धरामैया की ईमानदारी पर सवाल उठाए हैं| भाजपा के प्रदेश कार्यालय, जगन्नाथ भवन में एक संवाददाता सम्मेलन में विजयेंद्र ने सिद्धरामैया की आलोचना करते हुए कहा वह खुद को पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों (अहिंदा) का हिमायती कहते हैं| उन्होंने कांताराजू आयोग की रिपोर्ट को कैबिनेट में पेश करने का दावा किया था| लेकिन दिल्ली से एक फोन कॉल और राहुल गांधी के निर्देश के बाद, १६५ करोड़ की लागत वाली इस रिपोर्ट को कूड़ेदान में फेंक दिया गया| तब पिछड़े वर्गों के लिए आपकी चिंता कहाँ थी? उन्होंने हाल ही में बेंगलूरु में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की ओबीसी समिति की बैठक का जिक्र किया, जहाँ सिद्धरामैया ने दावा किया था कि देश की प्रगति के लिए सामाजिक न्याय जरूरी है और भारत के विकास के लिए वंचित वर्गों का उत्थान जरूरी है| विजयेंद्र ने सिद्धरामैया के दावों को सिरे से खारिज करते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि भाजपा कभी भी सामाजिक न्याय विरोधी नहीं रही है|
-मंडल आयोग की अनदेखी की थी
उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस ने ही अपने कार्यकाल में मंडल आयोग की अनदेखी की थी और १९५६ में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में काका कालेलकर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था| उन्होंने सवाल किया क्या सिद्धरामैया को यह इतिहास नहीं पता? विजयेंद्र ने नेहरू-गांधी परिवार पर पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों के साथ नौकरों जैसा व्यवहार करने का आरोप लगाया और कहा कि ऐसी पार्टी उन्हें कभी न्याय नहीं दिला सकती| उन्होंने आरोप लगाया कि सिद्धरामैया और एआईसीसी द्वारा ओबीसी तक पहुँच और भावनात्मक अपील सिर्फ इसलिए की जा रही है क्योंकि बिहार चुनाव नजदीक हैं| उन्होंने बताया कि आजादी के बाद से अब तक ७५ सालों में से लगभग ५५-६० साल कांग्रेस ने देश पर राज किया, और लगभग ५० साल तक केंद्र में एक ही परिवार सत्ता में रहा| अगर २०२५ में भी अन्याय हो रहा है, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है?