चुनाव नहीं लड़ते तो पार्टी क्यों न हो सूची से बाहर!
बिहार में 17 राजनीतिक पार्टियों के रजिस्ट्रेशन पर संकट
चुनाव आयोग ने भेजी नोटिस, 10 दिन में जवाब मांगा
पटना, 12 जुलाई (एजेंसियां)। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राष्ट्रीय चुनाव आयोग बेहद सक्रिय है। राज्य निर्वाचन आयोग ने ऐसे 17 राजनीतिक दलों को नोटिस भेजी है, जिन्होंने 2019 के बाद से किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं लिया। यह नोटिस मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के कार्यालय से जारी हुई है। संबंधित दलों से जवाब देने को कहा गया है।
निर्वाचन विभाग के उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी मनोज कुमार सिंह ने संबंधित दलों से 10 दिनों में जवाब मांगा है। आयोग का मानना है कि इन दलों की निष्क्रियता चुनावी पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े करती है। राज्य निर्वाचन आयोग ने कहा कि जिन राजनीतिक दलों को नोटिस भेजी गई है, उन्होंने पिछले छह साल से कोई भी चुनाव नहीं लड़ा। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत सभी रजिस्टर्ड पार्टियों को विशेष अधिकार और सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन इन अधिकारों का लाभ उठाकर निष्क्रिय रहने वाले दलों को आयोग अब डीलिस्ट करने पर विचार कर रहा है। यानि, इन दलों का नाम पंजीकृत राजनीतिक दलों की सूची से हटा दिया जाएगा। आयोग ने यह भी कहा कि अगर कोई पार्टी अपना पक्ष उचित प्रमाणों के साथ नहीं रखती है, तो उनके रजिस्ट्रेशन पर कार्रवाई तय है।
राज्य निर्वाचन आयोग ने जिन 17 राजनीतिक दलों को नोटिस जारी किया है उनमें भारतीय बैकवर्ड पार्टी, भारतीय सुराज दल, भारतीय युवा पार्टी (डेमोक्रेटिक), भारतीय जनतंत्र सनातन दल, बिहार जनता पार्टी, देशी किसान पार्टी, गांधी प्रकाश पार्टी, हमदर्दी जनरक्षक पार्टी, समाजवादी विकास पार्टी (जनसेवक), क्रांतिकारी साम्यवादी पार्टी, क्रांतिकारी विकास दल, लोक आवाज दल, लोकतांत्रिक समता दल, राष्ट्रीय जनता पार्टी (भारतीय), राष्ट्रवादी जन कांग्रेस, राष्ट्रीय सर्वोदय पार्टी, सर्वजन कल्याण लोकतांत्रिक पार्टी और व्यवसाई किसान अल्पसंख्यक मोर्चा शामिल हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने इन दलों को 21 जुलाई तक सबूतों के साथ अपना पक्ष रखने के लिए कहा है, ताकि भारत निर्वाचन आयोग को उचित रिपोर्ट सौंपी जा सके। चुनाव आयोग का मानना है कि सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है कि वे लोकतांत्रिक व्यवस्था पारदर्शिता के साथ सक्रिय भागीदारी निभाएं।
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