हाथ से हाथ मिले, आंख से आंख
चीन के राष्ट्रपति से मिले भारत के विदेश मंत्री
राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हुई सीधी बात
तनाव कम करने की सकारात्मक पहल
बीजिंग, 15 जुलाई (एजेंसियां)। भारत और चीन के बीच बीते कुछ वर्षों से चले आ रहे सीमा तनाव के बीच एक सकारात्मक तस्वीर सामने आई है। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने बीजिंग में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। यह मुलाकात शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक के मौके पर हुई। यह पहला मौका था जब जयशंकर ने सीमा पर हालिया तनाव कम होने के बाद शी जिनपिंग से सीधे बात की। विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से शुभकामनाएं दीं। साथ ही उन्होंने भारत-चीन के द्विपक्षीय संबंधों में हाल के सुधारों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के नेताओं का रुख इस संबंध में काफी अहम रहा है और रिश्तों को नई दिशा देने में मदद कर रहा है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और इसके पहले चीन के विदेश मंत्री वांग यी से भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर की हुई मुलाकात के बाद दोनों देशों को यह महसूस हो रहा है कि सीमा को लेकर दोनों देशों में तनाव कम हुआ है। चीन के समक्ष यह स्पष्ट हुआ है कि भारत-चीन के संबंध दुनिया के लिए कितने अहम हैं। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, भारत और चीन के बीच स्थिर संबंध दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं। पिछले नौ महीनों में हमने अपने द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करने की दिशा में अच्छी प्रगति की है। यह सीमा पर तनाव के समाधान और वहां शांति बनाए रखने की हमारी क्षमता का परिणाम है। यही पारस्परिक रणनीतिक विश्वास और संबंधों के सहज विकास की बुनियाद है। अब जरूरी है कि हम सीमा से जुड़े अन्य मुद्दों पर भी ध्यान दें, जिनमें तनाव कम करना भी शामिल है। विदेश मंत्री ने कहा, हमारे संबंधों के कई पहलू और आयाम हैं, क्योंकि हम पड़ोसी देश भी हैं और प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं भी। लोगों के बीच संपर्क को सामान्य बनाने की दिशा में उठाए गए कदम आपसी सहयोग को बढ़ा सकते हैं। इस संदर्भ में यह भी जरूरी है कि व्यापार में बाधाएं और प्रतिबंधात्मक कदम न उठाए जाएं। मुझे उम्मीद है कि इन मुद्दों पर और गहराई से चर्चा होगी। भारत और चीन के बीच स्थिर और रचनात्मक संबंध न केवल हमारे लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए लाभकारी हैं। यह तभी संभव है जब हम एक-दूसरे के प्रति सम्मान, साझा हित और संवेदनशीलता के आधार पर संबंधों को आगे बढ़ाएं।
जयशंकर ने कहा, हम पहले भी सहमत हो चुके हैं कि मतभेदों को विवाद नहीं बनने देना चाहिए और प्रतिस्पर्धा को कभी भी संघर्ष नहीं बनने देना चाहिए। इसी आधार पर हम अपने संबंधों को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ा सकते हैं। जयशंकर ने चीनी पक्ष को एससीओ की अध्यक्षता के लिए शुभकामनाएं दीं और कहा, हम कल फिर मिलेंगे और भारत अच्छे परिणाम और फैसलों के लिए प्रतिबद्ध है। हमारे द्विपक्षीय संबंधों में हमें दूरदर्शिता अपनाने की जरूरत है। अक्टूबर 2024 में कजान में हमारे नेताओं की बैठक के बाद भारत-चीन संबंध धीरे-धीरे सकारात्मक दिशा में बढ़े हैं। हमारी जिम्मेदारी है कि इस रफ्तार को बनाए रखें। उन्होंने कहा, हाल के समय में हमने कई अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में मिलकर संवाद किया है। उम्मीद है कि अब यह नियमित रूप से एक-दूसरे के देशों में होगा। इस साल भारत और चीन के बीच कूटनीतिक संबंधों के 75 साल पूरे हो रहे हैं। हमें खुशी है कि कैलाश मानसरोवर यात्रा भी पांच साल बाद फिर से शुरू हुई है। इस पर सहयोग के लिए मैं चीनी पक्ष का धन्यवाद करता हूं।
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