भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र को बना रहे इस्लामिक गढ़
दक्षिण भारत की संस्थाएं भी कर रही हैं धर्मांतरण की फंडिंग
भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र , इस्लामिक गढ़
लखनऊ, 14 जुलाई (एजेंसियां)। भारत-नेपाल सीमा-क्षेत्र इस्लामिक गढ़ बनता जा रहा है। विदेश के साथ भारत के दूसरे हिस्सों से भी धर्मांतरण के लिए यहां पैसा आ रहा है। इसका खुलासा आयकर विभाग की गोपनीय जांच में हुआ है, जिसकी विस्तृत रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजने के बाद केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां और यूपी सरकार सक्रिय हुई और दक्षिण भारत की धार्मिक संस्थाओं की फंडिंग से बने मदरसे और मस्जिदों को जमींदोज किया जाने लगा। आयकर रिपोर्ट इशारा कर रही है कि नेपाल सीमा पर जमालुद्दीन उर्फ छांगुर जैसे तमाम राष्ट्रविरोधी तत्व सक्रिय हैं और वह इलाके की डेमोग्राफी बदलने के साथ अर्थव्यवस्था को भी चोट पहुंचा रहे हैं।
दरअसल, आयकर विभाग, लखनऊ की जांच इकाई ने बीते फरवरी माह में नेपाल सीमा से सटे जिलों में 2000 के नोट बदलने की सूचना पर छापे मारे थे। इस दौरान बड़े पैमाने यूपीआई ट्रांजैक्शन के जरिए संदिग्ध खातों में करोड़ों रुपए आने का पता चला। यह रकम पुलवामा हमले की तर्ज पर भेजी जा रही थी, जिसके स्रोत का पता लगाना आसान नहीं होता है। आयकर विभाग की प्रारंभिक जांच में 150 करोड़ रुपए की फंडिंग होने के सुराग मिले हैं, जिनका इस्तेमाल अवैध धर्मांतरण के साथ मजिस्द, मदरसे और मजारें आदि बनाने में हो रहा है। जिस तरह पुलवामा आतंकी हमले के लिए यूपीआई का इस्तेमाल किया गया, उसकी तरह इन सभी राष्ट्रविरोधी और गैरकानूनी गतिविधियों के लिए हजारों यूपीआई ट्रांजैक्शन होने का पता चला है। जांच के दौरान बलरामपुर के एक मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति के बैंक खाते में करीब 12 करोड़ रुपए तमिलनाडु की एक धार्मिक संस्था द्वारा भेजे जाने का पता चला, जिसकी आयकर विभाग गहनता से जांच कर रहा है।
आयकर विभाग की जांच में पता चला कि श्रावस्ती, बहराइच, बलरामपुर, सि
आयकर विभाग की रिपोर्ट मिलने के बाद गृह मंत्रालय सतर्क हो गया, जिसके बाद दिल्ली से आए अधिकारियों ने आईबी के अफसरों के इन सीमावर्ती इलाकों का दौरा किया था। जिसके बाद यूपी सरकार को पूरे मामले की जानकारी दी गई और अवैध तरीके से बनाई गई मस्जिदों, मदरसों और मजारों को नेस्तनाबूद किया जाने लगा। वहीं दूसरी ओर इस फंडिंग के दृष्टिगत ईडी को भी कार्रवाई करने को कहा गया है। दक्षिण भारत में आयकर विभाग भी संदेह के दायरे में आईं संस्थाओं की जांच कर रही हैं।
इस रिपोर्ट के बाद ही बलरामपुर में छांगुर और उसके करीबियों पर कानूनी शिकंजा कसना शुरू किया गया। बता दें कि छांगुर के खिलाफ जांच करीब डेढ़ वर्ष पहले शुरू हुई थी, जिसका मुकदमा भी नवंबर 2024 में दर्ज किया गया था। इसके बावजूद करीब आठ महीने तक एटीएस ने छांगुर के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की। माना जा रहा है कि गृह मंत्रालय के दखल के बाद छांगुर समेत ऐसे सभी राष्ट्रविरोधी तत्वों पर कार्रवाई शुरू की गई है।