सियासत के सिर पर नाच रहा फोन टैपिंग का भूत
बीआरएस पर शिकंजा कसने की तैयारी में कांग्रेस सरकार
अदालत में रखना होगा फोन टैपिंग का पूरा ऑडियो रिकॉर्ड
हैदराबाद, 20 जुलाई (एजेंसियां)। तेलंगाना फोन टैपिंग मामले का भूत सियासत पर सिर पर बैठा लगातार नाच रहा है। तेलंगाना में साल 2023 में विधानसभा चुनाव हुए थे। इससे ठीक पहले तेलंगाना की स्पेशल ऑपरेशन टीम की एक एसओटी ने कथित तौर पर कम से कम 600 लोगों के फोन टैप किए। इस बात की जानकारी हैदराबाद पुलिस की तरफ से की गई जांच में मिली है। उस वक्त राज्य में चंद्रशेखर राव की बीआरएस सत्ता में थी और कांग्रेस और भाजपा विपक्ष में थी।
टैपिंग 16 नवंबर से 30 नवंबर 2023 के बीच हुई थी। टैपिंग 2018-19 में भी हुई थी। जो सबूत मिले हैं वह साबित करते हैं कि राज्य विधानसभा चुनाव से 15 दिन पहले कम से कम 600 लोगों की बिना किसी कारण के निगरानी की गई थी। जिन लोगों के फोन सर्विलांस पर रखे गए थे, उनमें राजनेता, चुनावी एक्सपर्ट, पत्रकार, पार्टी वर्कर और कारोबारी शामिल थे। सर्विलांस का दायरा इतना बड़ा था कि 600 लोगों के रिश्तेदारों, कर्मचारियों और यहां तक कि ड्राइवर के फोन तक भी टैप किए गए थे। जिन लोगों के फोन टैप किए गए, उनमें से ज्यादातर का संबंध विपक्ष से था। हालांकि सत्ता गलियारे में बैठे एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि फोन टैपिंग के ठोस सबूत पुलिस के पास नहीं हैं। अदालत में फोन टैपिंग का पूरा ऑडियो रिकॉर्ड रखना होगा।
हैदराबाद पुलिस ने गवाही के लिए तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष महेश कुमार गौड़ और भाजपा नेता व केंद्रीय राज्य मंत्री बंडी संजय कुमार को भी बुलाया था। इस फोन टैपिंग का आरोप सबसे पहले मार्च 2024 में सामने आया। एसआईबी के एएसपी ने हैदराबाद के पंजागुट्टा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। इसमें डीएसपी प्रणीत राव पर खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए अवैध तरीकों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया। पंजागुट्टा पुलिस ने इस मामले में छह आरोपियों को नामजद किया। इनमें पूर्व एसआईबी चीफ टी प्रभाकर राव, प्रणीत राव, एएसपी एम थिरुपथन्ना और एन भुजंगा राव, पूर्व डीसीपी टी राधा किशन राव और टेलीविजन चैनल के मालिक एन श्रवण कुमार शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने प्रभाकर राव को अगस्त तक गिरफ्तारी से राहत दे रखी है। लेकिन डी प्रणीत राव, भुजंगा राव, एम थिरुपथन्ना और टी राधा किशन राव को गिरफ्तार किया गया जो अभी जमानत पर हैं। एन श्रवण कुमार वर्तमान में एक अलग मामले में चंचलगुडा जेल में बंद हैं। उन्हें भी सुप्रीम कोर्ट ने फोन टैपिंग मामले में गिरफ्तारी से राहत दी है। पूर्व एसआईबी चीफ से कई बार पूछताछ हो चुकी है।
बीआरएस एमएलसी और प्रवक्ता श्रवण कुमार दासोजू ने कहा, रेवंत रेड्डी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार फोन टैपिंग मामले का इस्तेमाल बीआरएस नेतृत्व की छवि खराब करने के लिए एक राजनीतिक हथियार के रूप में कर रही है। अगर फोन इंटरसेप्शन हुआ भी था, तो कानून के अनुसार मुख्य सचिव, डीजीपी और गृह सचिव वाली टॉप कमेटी की इजाजत से पुलिस और खुफिया विभागों द्वारा इसकी मंजूरी दी गई होगी। बीआरएस पार्टी का इससे कोई लेना-देना नहीं है। जांच करने वाली टीम के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि एसआईबी की स्पेशल ऑपरेशन टीम सर्विलांस रिकॉर्ड नष्ट कर देती है। एसआईबी का काम वामपंथी उग्रवाद की जांच करना है। एसआईबी केवल माओवादियों से जुड़े लोगों पर ही निगरानी रखता है। फिर फोन टैपिंग मामले में एसआईबी को कैसे संलग्न किया गया, इसकी भी जांच होनी चाहिए।
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