पांच जिलों में फिर से हरियाली लेकर आई ईशन नदी
छोटी नदियों के कायाकल्प से बढ़ रही हरियाली
लखनऊ, 20 जुलाई (एजेंसियां)। उत्तर प्रदेश सरकार के संकल्प और स्थानीय लोगों के समर्पण से एक और भूली-बिसरी नदी को नया जीवन मिल गया है। वर्षों से सूखी, गाद से भरी और अतिक्रमण की शिकार रही ईशन नदी अब फिर से बहने लगी है। एटा, हाथरस, मैनपुरी, कन्नौज और कानपुर नगर में यह नदी हरियाली और खुशहाली का संदेश लेकर लौटी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्पष्ट निर्देशों पर राज्य स्वच्छ गंगा मिशन, नमामि गंगे और ग्रामीण जलापूर्ति विभाग भी युद्धस्तर पर इस कार्य को अंजाम दे रहे हैं।
प्रदेश में छोटी नदियों के कायाकल्प का अभियान न केवल पारिस्थितिकी को संजीवनी दे रहा है, बल्कि किसानों की खुशहाली का माध्यम भी बन रहा है। एटा के जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह ने बताया कि एटा जिले में 57 किलोमीटर लंबी ईशन नदी का पुनरुद्धार होने से 44 ग्राम पंचायतों के किसान लाभान्वित हुए हैं। मनरेगा के तहत तालाबों की खुदाई की गई, वहीं वन विभाग तथा संबंधित जिला गंगा समितियों ने नदी के किनारे बड़े पैमाने पर पौधरोपण कर हरियाली को बढ़ावा दिया है। ईशन नदी का पुनरुद्धार अब पूरे उत्तर प्रदेश के लिए एक प्रेरणादायी मॉडल बन चुका है।
ईशन नदी जनपद एटा के विकास खंड निधौली कलां के ग्राम नगला गोदी (ग्राम पंचायत मनौरा) से एटा में प्रवेश करती है। सीडीओ डॉ. नागेंद्र नारायण मिश्र के अनुसार यह नदी निधौली कलां के 10, शीतलपुर के 4 और सकीट के 30 ग्राम पंचायतों से गुजरती है। एटा जिले की कुल 44 ग्राम पंचायतों से होते हुए यह नदी मैनपुरी, कन्नौज से गुजरकर कानपुर नगर के बिल्हौर में गंगा नदी में समाहित हो जाती है। सरकार की पहल और जन सहयोग ने ईशन नदी को पुनर्जीवित कर दिया है। यह वही नदी है जो कभी अतिक्रमण से दब चुकी थी, लेकिन अब जीवनदायिनी जलधारा बन गई है। सिंचाई एवं लघु सिंचाई विभाग के तकनीकी सहयोग ने इस काम को आसान बनाया, जबकि प्रमुख नालों की सफाई का कार्य सिंचाई ड्रेनेज खंड द्वारा किया गया। जल संकट को देखते हुए नदी को सदानीरा बनाए रखने हेतु यह योजना बनाई गई है। नदी का यह पुनर्जागरण न सिर्फ एक पर्यावरणीय प्रयास है, बल्कि यह एक सामाजिक और आर्थिक बदलाव की कहानी भी है।
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