सरकार निकम्मी, सिस्टम सिर्फ पंक्चर करता है

नागपुर में गडकरी ने मंच से सुनाई सिस्टम की सच्चाई

सरकार निकम्मी, सिस्टम सिर्फ पंक्चर करता है

नई दिल्ली, 26 जुलाई (एजेंसी) : केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी एक बार फिर अपनी बेबाक शैली में चर्चा में आ गए हैं. नागपुर के सुरेश भट सभागृह में आयोजित एक कार्यक्रम में गडकरी ने मंच से ही कह दिया, “सरकार निकम्मी है.” यह सुनकर कार्यक्रम में मौजूद लोग कुछ पलों के लिए चौंक गए. लेकिन गडकरी ने यहीं नहीं रुके. उन्होंने सरकारी तंत्र, नगर निगम और अन्य एजेंसियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठा दिए.

 

‘स्पोर्ट्स एज अ करियर’ सेमिनार को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि सरकारी सिस्टम सिर्फ चलती गाड़ी को पंक्चर करने का काम करता है. उन्होंने बताया कि नागपुर में वे 300 स्टेडियम बनवाना चाहते हैं. लेकिन सरकारी प्रक्रियाएं और सिस्टम इसमें रुकावट डालते हैं. उन्होंने कहा, “सरकार की अधीनस्थ संस्थाएं जैसे नगर निगम, नागपुर सुधार प्रन्यास, कोई काम की नहीं हैं. इसलिए मुझे अलग तरीके से काम करवाना पड़ता है.”

गडकरी ने बताया कि एक दुबई निवासी से उन्होंने स्टेडियम चलाने का अनुबंध तय किया है. निर्माण सरकार कराएगी, लेकिन मेंटेनेंस, संचालन और देखरेख उस व्यक्ति की जिम्मेदारी होगी. बदले में वह युवा खिलाड़ियों से मामूली शुल्क लेगा. गडकरी ने दो टूक कहा, “फ्री में कुछ नहीं होना चाहिए, क्योंकि मुफ्त चीज की कोई कदर नहीं करता.” उन्होंने कहा कि जब कोई पैसे देता है तो मेहनत भी करता है.
 

गडकरी ने कहा, “मैं कोई चार्टर्ड अकाउंटेंट या फाइनेंशियल एक्सपर्ट नहीं हूं, लेकिन मैं एक अच्छा फाइनेंशियल काउंसलर हूं.” उन्होंने बताया कि पैसे ना होते हुए भी वे 5 लाख करोड़ रुपए तक के प्रोजेक्ट्स करवा लेते हैं. गडकरी ने युवाओं को खेल और करियर के लिए ईमानदारी से मेहनत करने की सलाह दी और कहा कि मुश्किल वक्त में कोई साथ नहीं देता इसलिए आत्मनिर्भर बनना जरूरी है.

 


गडकरी ने एक और दिलचस्प किस्सा शेयर किया उन्होंने बताया कि नागपुर में हर साल होने वाले सांस्कृतिक महोत्सव में पहले नेताओं को पास बांटे जाते थे. इससे अव्यवस्था फैलती थी और तीन बार लाठीचार्ज तक करना पड़ता था. अब उन्होंने एक नया तरीका निकाला है अखबार में QR कोड छपवाकर लोग खुद अपना स्थान आरक्षित करते हैं.
 
गडकरी ने राजनीति पर भी तीखा कटाक्ष किया. उन्होंने कहा, “राजनीति फुकटियों का बाजार है, जहां लोग फ्री में कुछ पाने की उम्मीद से आते हैं.” उनके इस बयान ने वहां बैठे युवाओं और आयोजकों को चौंका तो जरूर दिया, लेकिन उनकी साफगोई ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया.
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