एनजीओ के वेश में नेपाल को डंस रहा जेहादी सांप
बांग्लादेश के पाक-पोषित जेहादी कर रहे नेपाल की घेराबंदी
इस्लामोफासीवादी यूनुस का मिल रहा प्रत्यक्ष संरक्षण
सूफी यायावर
अमेरिकी डीप स्टेट के प्रतिनिधि व्यक्तित्वों जो बाइडेन, बिल एवं हिलेरी क्लिंटन, जॉर्ज सोरोस, अलेक्जेंडर सोरोस, बराक ओबामा और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से बांग्लादेश में हुए इस्लामी तख्तापलट के बाद पूरे दक्षिण एशिया में उग्रवाद का एक काला अध्याय शुरू हो गया है। इस्लामोफासीवादी मोहम्मद यूनुस के प्रत्यक्ष संरक्षण में इस्लामी और जेहादी ताकतों ने अपने आतंकी अभियान को तेज कर दिया है और बांग्लादेश में हिंदुओं, बौद्धों, ईसाइयों जैसे धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। बांग्लादेश के पाकिस्तान पोषित जेहादी तत्व एक एनजीओ का नकाब ओढ़ कर नेपाल की घेराबंदी कर रहे हैं, ताकि भारत को उत्तर और उत्तर-पूरब की तरफ से दबाया जा सके। इस एनजीओ का नाम है अलहाज शम्सुल हक फाउंडेशन (ऐश फाउंडेशन), जो आतंकवादियों के बीच एएसएच के नाम से जाना जाता है। ऐश फाउंडेशन ने नेपाल की कई राजनीतिक हस्तियों को उपकृत कर उनका मुंह बंद कर दिया है और वहां जहरीले वायरस की तरह पसरना शुरू कर दिया है।
एक तरफ बांग्लादेश में उत्पीड़न बेरोकटोक जारी है। दूसरी तरफ इस चरमपंथी योजना का दूसरा खतरनाक चरण पड़ोस के गैर-मुस्लिम देशों में शुरू किया गया है। नेपाल और भूटान जैसे गैर इस्लामिक देश कट्टरपंथी इस्लामवादी एजेंडे का निशाना बन रहे हैं। इस अंतरराष्ट्रीय जेहादी विस्तार का पहला निशाना नेपाल को बनाया जा रहा है। नेपाल-एक्सपेरिमेंट के बाद भूटान का नंबर आएगा। नेपाल एक शांतिपूर्ण हिंदू-बहुल देश है, जिसका धार्मिक उग्रवाद का कोई इतिहास नहीं है। 90 के दशक से ही नेपाल को आईएसआई ने भारत में आतंकियों के घुसाने का जरिया बनाया था। बाद में नेपाल आईएसआई का अड्डा बना और आईएसआई के मिर्जा दिलशाद बेग जैसे पिट्ठू नेपाल की राजनीति में सक्रिय होकर मंत्री तक बन गए। उसके बाद यह सिलसिला थमा नहीं। अब तो नेपाल को इस्लामिक जेहाद का शिकार बनाने की तैयारी है, जिसमें बांग्लादेश सक्रिय तौर पर शामिल हो गया है। वर्ष 2003 से अल-कायदा सहित कई इस्लामी आतंकवादी संगठन हिमालय के सुदूर और बीहड़ इलाकों में गुप्त प्रशिक्षण शिविर स्थापित करने के लिए नेपाली जमीन का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन समूहों ने अंतरराष्ट्रीय खुफिया जांच से बचने के लिए नेपाल को एक पनाहगाह के रूप में भी इस्तेमाल किया है। हालिया घटनाक्रम उनकी रणनीति में एक चिंताजनक बदलाव का संकेत देते हैं।
अफ्रीकी और अरब स्रोतों से मिल रही अकूत फंडिंग के सहारे नेपाल में लव-जेहाद और धर्मांतरण का नेटवर्क फैला कर नेपाल में सामाजिक-आर्थिक असंतुलन पैदा करने का कुचक्र काफी व्यापक कर दिया गया है। नेपाल में मुस्लिम आबादी वहां की कुल आबादी का केवल 5 प्रतिशत है। वहां मुस्लिम आबादी बढ़ाने के लिए अधिक आक्रामक और संरचित अभियान शुरू किया गया है। यह अभियान तब्लीगी जमात और गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के माध्यम से धार्मिक आउटरीच की आड़ में चलाया जा रहा है। हाल ही में आधिकारिक तौर पर खुलासा हुआ कि अलहाज शम्सुल हक फाउंडेशन (ऐश फाउंडेशन) नामक एक संगठन ने नेपाल में एक विशाल मस्जिद की आधारशिला रखी। यह स्थान विराटनगर के पास सुनसरी जिले के सुदूर इनरवा क्षेत्र में है। रज्जाक मस्जिद नामक इस मस्जिद को स्थानीय मुस्लिम आबादी का धार्मिक केंद्र बताया गया है।
ऐश फाउंडेशन के अध्यक्ष इंजीनियर मुहम्मद नासिर उद्दीन ने 18 जुलाई 2025 को स्थानीय क्षेत्र के सांसद, वार्ड अध्यक्ष और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में इस्लामिक पद्धति से मस्जिद का भूमिपूजन कराया। भूमि पूजन के साथ ही मस्जिद निर्माण की सामग्रियां भी पहुंचनी शुरू हो गई और 19 जुलाई से बृहद पैमाने पर मस्जिद निर्माण का कार्य शुरू हो गया। समारोह के दौरान ऐश फाउंडेशन के प्रमुख की सार्वजनिक टिप्पणियां और भी चिंताजनक थीं। उसने खुले तौर पर कहा कि यह मस्जिद मुसलमानों के धार्मिक केंद्र के रूप में रहेगी और नेपाल की 95 प्रतिशत गैर-मुस्लिम आबादी खास कर हिंदुओं के इस्लामी दावा (धर्मांतरण) के मुख्य केंद्र के रूप में भी काम करेगी। यह सार्वजनिक ऐलान है कि यह परियोजना धर्म परिवर्तन और जनसांख्यिकीय इंजीनियरिंग के दीर्घकालिक लक्ष्य की ओर खुलेआम बढ़ाया जा रहा कदम है।
ऐश फाउंडेशन ने दावा किया कि रज्जाक मस्जिद सुनसरी में मुसलमानों के लिए एक आध्यात्मिक और सांप्रदायिक केंद्र बनेगा और नेपाल के साथ-साथ पूरे दक्षिण एशिया में अंतर-सामुदायिक सहयोग, विकास और इस्लामिक सिद्धांतों की स्थापना का उदाहरण बनेगा। ऐश फाउंडेशन की स्थापना 2018 में बांग्लादेश में हुई थी और इसे 20 सितंबर 2022 को बांग्लादेश में एक एनजीओ संस्था के रूप में औपचारिक रूप से पंजीकृत (पंजीकरण संख्या 3201) किया गया था। इससे पहले यह एक संयुक्त स्टॉक कंपनी (आरजेएससी संख्या 620/2018) के रूप में काम करती थी। 18 जुलाई 2025 को फाउंडेशन ने मस्जिद निर्माण के लिए धन जुटाने और नेपाल तथा अन्य पड़ोसी देशों में इसी तरह की परियोजनाओं के विस्तार के लिए दान का सार्वजनिक आह्वान भी किया।
दान और धार्मिक प्रचार-प्रसार के परदे के पीछे एक गहरी और ज्यादा कपटी साजिश छिपी है। पाकिस्तान की आईएसआई तुर्की और चुनिंदा खाड़ी देशों सहित इस्लामी देशों के एक नेटवर्क के साथ मिलकर इस पहल का गुप्त रूप से समर्थन कर रही है। नेपाल के विराटनगर में बन रही रज्जाक मस्जिद के पूरी तरह बन जाने के बाद दिखावटी तौर पर यह धार्मिक संरचना अल-कायदा, आईएसआईएस, हमास, लश्
नेपाल की खुली सीमाओं और शांतिपूर्ण समाज का फायदा उठाकर चरमपंथी तत्व अब नेपाल के सामाजिक ताने-बाने में घुसपैठ कर रहे हैं और भविष्य में कलह और आतंक के बीज बो रहे हैं। नेपाल में जो कुछ हो रहा है, वह सभी क्षेत्रीय हितधारकों के लिए एक चेतावनी है। मानवतावाद और अंतर्धार्मिक संवाद की आड़ में आतंकवाद से जुड़े गैर-सरकारी संगठनों और आईएसआई समर्थित धार्मिक केंद्रों को अपनी जगह बनाने की अनुमति देना एक भयावह सुरक्षा जोखिम है। अगर इसे अनियंत्रित छोड़ दिया गया, तो नेपाल अखिल-इस्लामी उग्रवाद का केंद्र बन सकता है, जो न केवल इसकी अपनी संप्रभुता, बल्कि भारत, भूटान और व्यापक दक्षिण एशियाई क्षेत्र की स्थिरता के लिए भी खतरा बन सकता है। एससीओ देशों के बीच तत्काल कूटनीतिक और खुफिया समन्वय आवश्यक है ताकि इस सुनियोजित जेहादी विस्तार को रोका जा सके, इससे पहले कि यह एक और शांतिपूर्ण राष्ट्र को आग की लपटों में झोंक दे।
नेपाल के हिंदू बहुल क्षेत्र में ऐश फाउंडेशन (एएसएच) मस्जिदों का जाल खड़ा कर रहा है। इसने बैंक खातों का विवरण जारी कर बांग्लादेशियों से दान मांगा है ताकि वे हिंदू बहुल देश में और अधिक मस्जिदें बनाने और स्थानीय आबादी का धर्म परिवर्तन करने के मिशन में योगदान दे सकें। नेपाल के हिंदू संगठनों ने सरकार और पुलिस को इसके लिए सचेत किया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। उसकी वजह आप समझ सकते हैं। भारत के पड़ोसी देश नेपाल में हिंदुओं के खिलाफ मुस्लिमों की हिंसक घृणा की कई घटनाएं हो रही हैं। अप्रैल 2025 में नेपाल के परसा जिले के बीरगंज शहर में हिंसक मुस्लिम भीड़ ने हनुमान जयंती के जुलूस पर हमला किया था। उसके पहले जुलाई 2024 में मुस्लिमों ने नेपाल के सरलाही जिले में सड़क निर्माण कार्य रोक कर हिंदुओं पर हमला किया था और दलित हिंदुओं के घरों में तोड़फोड़ की थी। अभी हाल ही में मुस्लिमों ने रौतहट जिले में एक गांव का नाम बदलकर इस्लाम-नगर और ब्रह्म-स्थान का नाम बदलकर मदरसा-चौक कर दिया
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