विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं के विस्तार से अपराध नियंत्रण में तेजी

फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट से युवाओं के सपनों को मिल रही उड़ान

 विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं के विस्तार से अपराध नियंत्रण में तेजी

लखनऊ17 अगस्त (एजेंसियां)। योगी सरकार ने जीरो टॉलरेंस नीति के तहत प्रदेश में अपराध और अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए पुलिस विभाग को टेक्नोलॉजी से जोड़ने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। योगी सरकार ने पिछले आठ वर्षों में अपराध की रोकथामअपराधियों की पहचान और कोर्ट में प्रभावी पैरवी के जरिए कठोर सजा दिलाने के लिए फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला का विस्तार किया है। वहीं प्रदेश में फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट की स्थापना भी कीताकि प्रदेश के युवा फॉरेंसिक के क्षेत्र में अपना करियर बना सकें। साथ ही इसके माध्यम से फॉरेंसिक के जरिये साइबर अपराध समेत अपराधियों को फॉरेंसिक साक्ष्यों के आधार पर कड़ी सजा दिलाई जा सके।

योगी सरकार ने प्रदेश के पहले फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट की स्थापना की है। वर्तमान में यह संस्थान फॉरेंसिक शिक्षा और अनुसंधान का प्रमुख केंद्र है। यहां प्रशिक्षु वैज्ञानिकोंपुलिस अधिकारियों और जांच से जुड़े कर्मियों समेत छात्रों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।। साथ ही नई तकनीकों पर शोध कार्य भी किया जा रहा है। इससे उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी फॉरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में नई पहचान मिल रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शी सोच का ही परिणाम है कि प्रदेश में विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं को न सिर्फ विस्तार दिया गयाबल्कि उन्हें अत्याधुनिक संसाधनों से भी लैस किया गया है। प्रदेश में विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं की संख्या और क्षमता में वृद्धिआधुनिक तकनीक का समावेश और प्रशिक्षित वैज्ञानिकों की नियुक्ति ने प्रदेश में अपराध नियंत्रण की गति को तेज कर दिया है। फॉरेंसिक विज्ञान को लेकर उठाए गए ये कदम केवल अपराधियों को सजा दिलाने तक ही सीमित नहीं हैंबल्कि ये समाज में न्याय और सुरक्षा की भावना को भी मजबूत कर रहे हैं। यह पहल उत्तर प्रदेश को एक सुरक्षितन्यायपूर्ण और आधुनिक राज्य बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है।

वर्ष 2017 से पहले प्रदेश में महज 4 विधि विज्ञान प्रयोगशालाएं संचालित थी। इन प्रयोगशालाओं का संचालन लखनऊवाराणसीआगरा और गाजियाबाद में किया जा रहा था। वहीं मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने अपराध नियंत्रण और न्याय प्रणाली को मजबूत करने के उद्देश्य से नई प्रयोगशालाओं की स्थापना का निर्णय लिया। नतीजतन वर्ष 2017 के बाद 8 नई प्रयोगशालाएं स्थापित की गईं। वर्तमान समय में प्रदेश में कुल 12 विधि विज्ञान प्रयोगशालाएं सक्रिय हैं। इनमें झांसीप्रयागराजगोरखपुरकानपुरबरेलीगोंडाअलीगढ़ और मुरादाबाद शामिल हैं। योगी सरकार का यह विस्तार अपराध जांच की दिशा में क्रांतिकारी कदम साबित हुआ है। पहले जहां सीमित संख्या में उपलब्ध प्रयोगशालाओं के कारण मामलों के निस्तारण में विलंब होता थावहीं अब विभिन्न जिलों में उपलब्ध प्रयोगशालाओं से पुलिस और न्यायालयों को समयबद्ध रिपोर्ट प्राप्त हो रही है।

प्रदेश सरकार ने आधुनिक तकनीकों से लैस फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए और भी जिलों में नए केंद्र खोलने का निर्णय लिया है। इसी क्रम में अयोध्याबस्तीबांदाआजमगढ़, मीरजापुर और सहारनपुर में 6 नई प्रयोगशालाओं की स्थापना का कार्य प्रगति पर है। इन प्रयोगशालाओं के शुरू हो जाने के बाद प्रदेश में अपराध नियंत्रण और साक्ष्य संकलन की प्रक्रिया और भी प्रभावी हो जाएगी। उत्तर प्रदेश की विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। राज्य स्तर पर अंगुली चिन्ह ब्यूरो और उससे जुड़े नेटवर्क को हाईटेक बनाया गया है। इससे एसटीएफ की 9 यूनिटएटीएस की 1 यूनिट और जीआरपी की 12 इकाइयों को जोड़ा गया है। वहीं98 लोकेशनों पर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की स्थापना की गयी है। इस व्यवस्था के चलते एनसीआरबी नई दिल्ली द्वारा जारी डैशबोर्ड में प्रदेश को पहला स्थान प्राप्त हुआ है। अब तक लगभग 4,14,473 फिंगरप्रिंट्स का डिजिटलीकरण किया जा चुका है। इससे अपराधियों की पहचान और अज्ञात शवों के मिलान की प्रक्रिया सरल और त्वरित हुई है।

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