हाईकोर्ट ने एलडीए को लगाई फटकार
लखनऊ में करोड़ों की जमीन का फर्जीवाड़ा
लखनऊ, 21 अगस्त (एजेंसियां)। करोड़ों की जमीन के फर्जीवाड़े में हाईकोर्ट ने एलडीए को फटकार लगाई। समिति की 10 साल में सम्पत्ति बिक्री का ऑडिट कराने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि मामले की तफ्तीश की निगरानी एसपी स्तर के अफसर करेंगे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने राजधानी के गोमती नगर विस्तार की करोड़ों की जमीनों में फर्जीवाड़े मामले में एलडीए के अफसरों को कड़ी फटकार लगाई है। मामले में कोर्ट ने बहुजन निर्बल वर्ग सरकारी गृह निर्माण समिति की पिछले 10 साल में सम्पत्ति बिक्री का ऑडिट कराने समेत नियमों के उलंघन की जांच कराने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने यह आदेश बहुजन निर्बल वर्ग सरकारी गृह निर्माण समिति की याचिका पर दिया। याची समिति के अधिवक्ता शरद पाठक ने आरोप लगाया कि समिति के गठन का उद्देश्य अनुसूचित जाति के लोगों को आवासीय सुविधा देना था, लेकिन अयोग्य लोगों को जमीन आवंटित कर दी गई। यही नहीं, समिति के गैर सदस्यों द्वारा दी सम्पत्तियों की बिक्री भी कर दी गई। इसकी भारी धनराशि समिति के खाते में भी जमा नहीं की गई। याचिका में इस कथित फर्जीवाड़े मामले में सख्त कार्रवाई के निर्देश देने का आग्रह किया गया।
हाईकोर्ट ने कहा कि यह विचलित करने वाला है कि एलडीए के सात जिम्मेदार अफसरों ने इसकी जांच की, इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। कहा, यह भी काफी विचलित करने वाला है कि इन तथ्यों के राज्य सरकार की जानकारी में होने के बावजूद समिति की देखरेख करने वाले सदस्यों द्वारा नियमों के खिलाफ बैनामे करके काफी बड़ी रकम पार की गई। उधर, राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि राज्य, मामले में एफआईआर कराने की प्रक्रिया में है। इस पर कोर्ट ने बुधवार को दर्ज होने वाली एफआईआर पर उठाए गए कदमों की स्टेटस रिपोर्ट अगली सुनवाई पर 16 सितंबर को पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा अगर पुलिस अफसर जरूरी समझें तो समिति की जमीन का, पिछले 10 साल की बिक्री और समिति के खाते में जमा की गई इसकी रकम का ऑडिट करवा सकते हैं। साथ ही कहा कि जरूरी होने पर पुलिस अफसर धन शोधन अधिनियम के तहत भी कारवाई समेत रकम की वसूली को कदम उठा सकते हैं। कोर्ट ने सख्त ताकीद किया कि इस मामले की तफ्तीश का पुलिस अधीक्षक स्तर के अफसर द्वारा निगरानी की जाएगी। कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार से राजस्व कानून के तहत क्या कार्रवाई की गई, इसकी रिपोर्ट भी मांगी है।
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