चुप रहे तो धमकी देने वालों को मिलेगी ताकत

टैरिफ विवाद पर चीन के राजदूत ने अमेरिका पर किया पलटवार

चुप रहे तो धमकी देने वालों को मिलेगी ताकत

चीन ने कहा, भारत-चीन प्रतिद्वंदी नहींसाझेदार हैं

पीएम मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों से बात की

नई दिल्ली, 22 अगस्त (एजेंसियां)। चीन ने अमेरिका के टैरिफ नीति की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि वह इस प्रकार के टैरिफ का पूरी तरह से विरोध करता है। चीन का कहना है कि यह अमेरिका की एकतरफा और अनुचित व्यापार नीति हैजो वैश्विक व्यापार की व्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकती है। अमेरिका के भारत पर लगाए गए दोगुने टैरिफ को लेकर अब चीन खुलकर भारत के पक्ष में खड़ा हो गया है। चीन ने भारत के समर्थन में एक सख्त और स्पष्ट संदेश दिया है। भारत में चीन के राजदूत शू फीहोंग ने कहाअमेरिका लंबे समय से मुक्त व्यापार से लाभ उठाता रहा हैलेकिन अब वह टैरिफ को सौदेबाजी के हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। ऐसे में चुप्पी केवल धमकाने वाले को और हिम्मत देती है। चीन भारत के साथ मजबूती से खड़ा रहेगा।

नई दिल्ली के थिंक टैंक चिंतन रिसर्च फाउंडेशन और सेंटर फॉर ग्लोबल इंडिया इनसाइट्स की ओर से आयोजित कार्यक्रम में चीनी राजदूत फीहोंग ने कहा कि भारत और चीन प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि साझेदार हैं। दोनों देशों को आपस में रणनीतिक विश्वास और सहयोग को बढ़ाना चाहिए। चीन ने अमेरिका के टैरिफ नीति की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि वह इस प्रकार के टैरिफ का पूरी तरह से विरोध करता है।

चीन के राजदूत शू फीहोंग ने इस मुद्दे पर कहा कि अमेरिका विभिन्न देशों से अत्यधिक कीमतें वसूलने के लिए दबाव बना रहा है और भारत पर लगाए गए टैरिफ इसी नीति का हिस्सा है। राजदूत फीहोंग ने यह भी कहा कि वह विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओजैसे बहुपक्षीय व्यापार ढांचे की रक्षा के लिए भारत का समर्थन करेगा। यह बयान भारत और चीन के बीच बढ़ते सहयोग और रणनीतिक साझेदारी को भी दर्शाता है।

चीन सरकार की मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स अब भारत के साथ दोस्ती और विकास की बातें खुल कर करने लगा है। ट्रंप के टैरिफ के बीच चीन अब भारत के साथ अपनी दोस्ती पक्की करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है। 6 अगस्त को ग्लोबल टाइम्स ने भारत-चीन रिश्ते को प्रगाढ़ करने वाला एक लेख प्रकाशित किया था। इसके अलावा भारत स्थित चीन के दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने भी सोशल मीडिया पर उक्त लेख शेयर करते हुए उन्होंने हाथी और ड्रैगन की दोस्ती दिखाने वाली तस्वीर शेयर कर लिखा थाआज के समय में दोनों देशों के लिए सहयोग और सहमति को बढ़ाना और एशिया व विश्व स्तर पर शांति को बढ़ावा देना समझदारी की बात होगी।

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चीन ने भारत के साथ हाल ही में सीमा विवाद को सुलझाने के लिए डब्लूएमसीसी कार्य समूह बनानेसीमा बाजारों को फिर से खोलने और रिवर डेटा साझा करने जैसे कदम उठाए हैं। चीनी राजदूत ने भारत और चीन को एशिया की डबल इंजन शक्ति बताया और कहा कि दोनों देशों को मिलकर बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को मजबूत करना चाहिए। राजदूत फेइहोंग ने बतायाभारतीय तीर्थयात्रियों के लिए चीन की ओर से कैलाश पर्वत और झील की यात्रा फिर से शुरू की है। भारत ने भी चीनी नागरिकों के लिए पर्यटक वीजा फिर से शुरू कर दिया है। इसके जरिए दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और रणनीतिक सहय़ोग को बढ़ाने की और काम किया जा रहा है। यह भी उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह बीजिंग की यात्रा पर जाने वाले हैं। 2018 के बाद ये उनकी पहली चीन यात्रा होगी। इस यात्रा को दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने के अवसर के रूप में देखा जा रहा है।

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उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार 21 अगस्त को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से भी फोन पर बातचीत की। दोनों राष्ट्र प्रमुखों में यूक्रेन युद्धव्यापारआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्शन समिट समेत सभी क्षेत्रों में अपनी सामरिक साझेदारी बढ़ाने को लेकर बातचीत हुई। मैक्रों हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलकर लौटे हैं। इस बातचीत के बाद पीएम मोदी ने कहादोस्त मैक्रों के साथ बहुत अच्छी बातचीत हुई। यूक्रेन और पश्चिम एशिया में संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान के प्रयासों पर विचारों को लेकर बातचीत हुई है। साथ हीभारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।

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मैक्रों ने इस बातचीत के बाद हिंदी में ट्वीट किया। मैक्रों ने लिखाहमने यूक्रेन युद्ध पर अपने विचार साझा किए ताकि एक न्यायपूर्ण और स्थाई शांति की ओर बढ़ा जा सकेजिसमें यूक्रेन और यूरोप की सुरक्षा के लिए मजबूत गारंटी हो। व्यापार से जुड़े मामलों में हमने तय किया कि हम अपने आर्थिक संबंध और हर क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेंगे। यही हमारी असली ताकत और स्वतंत्रता की कुंजी है। हमने यह तय किया कि हम 2026 में फ्रांस की अध्यक्षता वाली जी-7 समिट और भारत की अध्यक्षता वाली ब्रिक्स समिट की तैयारी में मिलकर काम करेंगे।

उधर, अमेरिकी दूतावास ने ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बड़बोलेपन पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि भारत में मतदान के लिए 175 करोड़ रुपए देने की ट्रंप की बात बिल्कुल तथ्यहीन है। अमेरिकी दूतावास ने ट्रंप के दावों को खारिज करते हुए साफ किया कि यूएसएड ने भारत में कभी भी मतदान या चुनाव से जुड़ी कोई गतिविधि नहीं कीउसकी सभी योजनाएं केवल विकास और सहयोग पर केंद्रित थीं। टैरिफ विवाद के बीच भारत पर अलग ढंग से व्यापार का दबाव बनाने के लिए ट्रंप ने नया दांव चला। ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी एजेंसी यूएसएड ने भारत में मतदान बढ़ाने के लिए 175 करोड़ रुपए दिए। लेकिन नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। अमेरिकी दूतावास ने भारत के विदेश मंत्रालय को बताया कि 2014 से 2024 तक यूएसएड ने भारत में चुनाव या मतदान से जुड़ा कोई काम नहीं किया और न ही ऐसी कोई रकम दी या ली और न ही भारत में मतदान से जुड़ी कोई गतिविधि की।

फरवरी 2025 में विवाद तब शुरू हुआ जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (डीओजीई) की एक समीक्षा का हवाला देते हुए दावा किया कि यूएसएड दुनिया भर में चुनाव और मतदाता संबंधी परियोजनाओं को फंड कर रहा है। ट्रंप ने खास तौर पर कहा कि भारत को भी इसमें शामिल किया गया था और 2.1 करोड़ डॉलर (174.3 करोड़ रुपए) मतदाता संख्या बढ़ाने के लिए रखे गए थे। इस दावे से नई दिल्ली में तुरंत चिंता बढ़ी और भारत के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका से पूरे मामले की विस्तृत जानकारी मांगी। विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास से पिछले दस साल में भारत में चलाए गए सभी यूएसएड कार्यक्रमों की पूरी जानकारी देने को कहा। मंत्रालय ने खर्च का विवरणसहयोगी संगठनों की जानकारी और यह भी पूछा कि क्या किसी तरह की मतदाता जुटाने से जुड़ी गतिविधियां हुई थीं।

इस पर अमेरिकी दूतावास ने विस्तार से जवाब देते हुए आंकड़े सौंपे थे। दूतावास ने साफ किया था कि सभी कार्यक्रम केवल भारत सरकार के साथ किए गए सात साझेदारी समझौतों के तहत ही चलाए गए हैं। ये कार्यक्रम मुख्य रूप से विकास सहयोगस्वास्थ्यशिक्षाऊर्जा और शासन सुधार से जुड़े थेन कि मतदान या चुनाव से। अमेरिकी दूतावास ने साफ कहा कि यूएसएड ने 2014 से 2024 के बीच भारत में मतदान के लिए न तो 21 मिलियन डॉलर (175 करोड़ रुपए) लिए और न ही दिए और न ही कोई मतदान संबंधी कोई गतिविधि चलाई।

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