रूस का भारत को तेल की गारंटी: पश्चिमी दबाव नाकाम, पुतिन का बड़ा आश्वासन
नई दिल्ली, 5 दिसम्बर,(एजेंसियां)। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को भारत को लगातार और बिना किसी बाधा के ऊर्जा आपूर्ति देने का ठोस भरोसा दिया। यह आश्वासन ऐसे समय आया है जब भारत द्वारा रियायती दरों पर रूसी कच्चे तेल की बढ़ती खरीद पर पश्चिमी देशों का दबाव लगातार बढ़ रहा है। नई दिल्ली में हुए 23वें भारत–रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में पुतिन ने भारत के ऊर्जा सुरक्षा हितों का सम्मान करते हुए स्पष्ट किया कि रूस भविष्य में भी भारत का सबसे भरोसेमंद ईंधन साझेदार बना रहेगा।
पुतिन ने कहा कि रूस, भारत की तेजी से बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। “हम भारत की उभरती अर्थव्यवस्था के लिए निर्बाध ईंधन आपूर्ति जारी रखेंगे। दोनों देश पारस्परिक व्यापार में राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग को प्राथमिकता दे रहे हैं और यह प्रणाली अब 96 प्रतिशत भुगतान लेनदेन में लागू हो चुकी है," पुतिन ने कहा।
उन्होंने यह भी बताया कि भारत–रूस व्यापार में पिछले वर्ष 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे यह आंकड़ा 64 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इस वर्ष भी यही रफ्तार कायम रहने की संभावना है। पुतिन ने विश्वास जताया कि दोनों देश जल्द ही 100 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य की ओर बढ़ेंगे। इसके लिए दोनों देशों की सरकारें उन बाधाओं को दूर करने में जुटी हैं जो व्यापार विस्तार में रोड़ा बनती हैं।
राष्ट्रपति पुतिन ने यूरेशियन आर्थिक संघ (EAEU) और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने पर भी जोर दिया। उनके अनुसार, यह समझौता भविष्य में भारत–रूस व्यापारिक संबंधों को नई गति देगा और कई क्षेत्रों में सहयोग के नए अवसर खोलेगा।
ऊर्जा के अलावा, परमाणु बिजली उत्पादन के क्षेत्र में भी भारत और रूस मजबूत साझेदार बने हुए हैं। पुतिन ने बताया कि भारत के सबसे बड़े परमाणु संयंत्र की छह में से तीन इकाइयों को ऊर्जा ग्रिड से सफलतापूर्वक जोड़ा जा चुका है। शेष इकाइयों का कार्य तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
पुतिन ने यह भी कहा कि रूस और भारत नए अंतरराष्ट्रीय परिवहन गलियारों पर काम कर रहे हैं, जिनमें उत्तर-दक्षिण परिवहन मार्ग (INSTC) शामिल है, जो रूस और बेलारूस को हिंद महासागर के बंदरगाहों से जोड़ेगा। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार लागत में भारी कमी आएगी और व्यावसायिक रफ्तार कई गुना बढ़ेगी।
रक्षा सहयोग पर भी रूस ने स्पष्ट किया कि मास्को बीते पाँच दशकों से भारतीय सेना को आधुनिक बनाने में मदद करता रहा है। इसमें वायु रक्षा, लड़ाकू विमान, मिसाइल प्रणालियाँ और नौसैनिक क्षमताएँ शामिल हैं। पुतिन ने कहा कि भविष्य में भी यह सामरिक सहयोग और मजबूत होगा।
ब्रिक्स और एससीओ जैसे वैश्विक मंचों पर रूस और भारत पहले की तरह ही एक-दूसरे के मजबूत रणनीतिक साझेदार बने रहेंगे। पुतिन ने कहा कि अगले वर्ष भारत ब्रिक्स की अध्यक्षता संभालेगा और रूस उसे पूर्ण सहयोग देगा।
अंत में पुतिन ने विश्वास व्यक्त किया कि यह शिखर सम्मेलन और हुए समझौते दोनों देशों की जनता के हित में रूस–भारत रणनीतिक साझेदारी को और गहराई देंगे।

