‘वोट चोरी’ के मुद्दे पर विपक्ष में दरार
उमर अब्दुल्ला बोले—यह कांग्रेस का एजेंडा, INDIA गठबंधन से कोई लेना-देना नहीं
नई दिल्ली, 15 दिसम्बर,(एजेंसियां)। कांग्रेस द्वारा उठाए गए ‘वोट चोरी’ के मुद्दे ने विपक्षी INDIA गठबंधन के भीतर मतभेदों को उजागर कर दिया है। जहां कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर चुनाव आयोग और भाजपा पर सीधे आरोप लगा रही है, वहीं जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने इससे साफ दूरी बना ली है। उमर अब्दुल्ला ने दो टूक शब्दों में कहा है कि ‘वोट चोरी’ कांग्रेस का मुद्दा है, INDIA गठबंधन का नहीं।
दरअसल, कांग्रेस ने अपने ‘वोट चोरी’ अभियान को धार देने के लिए राजधानी दिल्ली में एक बड़ी रैली आयोजित की, जिसमें पार्टी नेताओं ने चुनाव आयोग पर भाजपा के साथ मिलकर मतदान प्रक्रिया में कथित हेरफेर करने के आरोप लगाए। कांग्रेस का दावा है कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और अन्य प्रक्रियाओं के जरिए मतदाताओं के अधिकारों को प्रभावित किया जा रहा है। हालांकि, चुनाव आयोग और भाजपा दोनों ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
इसी बीच उमर अब्दुल्ला ने मीडिया से बातचीत में कांग्रेस के रुख से खुद को और अपनी पार्टी को अलग करते हुए कहा कि INDIA गठबंधन के सभी दलों के अपने-अपने मुद्दे और प्राथमिकताएं हैं। उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने ‘वोट चोरी’ और SIR को अपना मुख्य मुद्दा बनाया है। यह उनका अधिकार है। हर पार्टी अपने एजेंडे तय करने के लिए स्वतंत्र है। INDIA गठबंधन का इससे कोई सीधा संबंध नहीं है। हम कांग्रेस को यह बताने वाले कौन होते हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए, और वे हमें क्या करना है, यह तय नहीं कर सकते।”
उमर अब्दुल्ला का यह बयान ऐसे समय आया है, जब हाल ही में उन्होंने INDIA गठबंधन की स्थिति की तुलना ‘जीवन रक्षक प्रणाली’ पर पड़े मरीज से की थी। दिल्ली में हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट के दौरान उन्होंने कहा था कि गठबंधन कभी-कभी झटकों से उबरता है, लेकिन फिर बिहार जैसे चुनावी नतीजे आते हैं और गठबंधन फिर से कमजोर पड़ जाता है। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा था कि ऐसे हालात में गठबंधन को बार-बार “आईसीयू” में ले जाना पड़ता है।
अब्दुल्ला ने बिहार की राजनीति का जिक्र करते हुए कहा कि INDIA गठबंधन की रणनीतिक चूक ने नीतीश कुमार को दोबारा एनडीए की ओर धकेल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में सीट-बंटवारे के दौरान झारखंड मुक्ति मोर्चा को सही तरीके से शामिल न कर पाना भी गठबंधन की बड़ी विफलता रही। उनके अनुसार, समन्वय की कमी और समय पर फैसले न लेने से विपक्ष को नुकसान उठाना पड़ा।
उमर अब्दुल्ला की इन टिप्पणियों पर गठबंधन सहयोगियों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता मनोज झा ने उनके बयान को “जल्दबाजी” करार दिया। मनोज झा ने कहा कि अगर INDIA गठबंधन संकट में है, तो उमर अब्दुल्ला भी उसी का हिस्सा हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि गठबंधन को पुनर्जीवित करने के लिए उन्होंने खुद क्या प्रयास किए हैं। झा ने कहा, “यह किसी एक दल की जिम्मेदारी नहीं है। सभी दलों को मिलकर जिम्मेदारी निभानी होगी। केवल तंज कसने से जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती।”
वहीं, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के महासचिव डी राजा ने भी INDIA गठबंधन के भीतर बढ़ती खींचतान पर चिंता जताई। उन्होंने सभी सहयोगी दलों से आत्मनिरीक्षण करने की अपील की। डी राजा ने कहा कि जब धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक दल एकजुट होकर INDIA ब्लॉक के गठन पर सहमत हुए थे, तब उनका उद्देश्य साफ था—संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करते हुए भाजपा को सत्ता से चुनौती देना। उन्होंने सवाल किया कि अब ऐसा क्या हो गया है कि गठबंधन अपेक्षित तालमेल के साथ काम नहीं कर पा रहा है।
कुल मिलाकर, ‘वोट चोरी’ का मुद्दा कांग्रेस के लिए जहां भाजपा के खिलाफ एक बड़ा राजनीतिक हथियार बनता दिख रहा है, वहीं INDIA गठबंधन के भीतर इस पर एकराय नहीं बन पा रही है। उमर अब्दुल्ला के बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विपक्षी एकता की राह अभी आसान नहीं है और 2026–27 के चुनावी दौर से पहले गठबंधन को अपनी रणनीति और समन्वय पर गंभीरता से काम करना होगा।

