यूपी समेत छह राज्यों में SIR की समयसीमा बढ़ाई, जारी हुआ नया शेड्यूल
चुनाव आयोग का बड़ा फैसला
नई दिल्ली, 11 दिसम्बर,(एजेंसियां)। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और अंडमान-निकोबार सहित छह राज्यों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की समयसीमा बढ़ाने का बड़ा फैसला लिया है। यह निर्णय संबंधित राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO) द्वारा भेजे गए अनुरोधों के बाद लिया गया है। आयोग ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि सभी राज्यों में SIR प्रक्रिया को अधिक सुव्यवस्थित और प्रभावी बनाने के लिए संशोधित कार्यक्रम लागू किया जा रहा है।
यह बदलाव उस समय आया है जब देशभर में मतदाता सूची के संशोधन का दूसरा चरण तेजी से चल रहा है। SIR प्रक्रिया चुनावी सुधारों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन करना, फर्जी या अवैध नाम हटाना और उन नागरिकों को शामिल करना है जो अब तक रजिस्टर नहीं हो पाए थे।
आयोग के नए शेड्यूल के अनुसार, तमिलनाडु और गुजरात को अब अपनी SIR रिपोर्ट 19 दिसंबर 2025 तक जमा करनी होगी। पहले यह अंतिम तिथि 14 दिसंबर 2025 तय की गई थी। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और अंडमान एवं निकोबार के लिए भी समय सीमा बढ़ाते हुए अंतिम तिथि 23 दिसंबर 2025 कर दी गई है, जबकि पूर्व निर्धारित तिथि 18 दिसंबर 2025 थी। सबसे बड़ा बदलाव उत्तर प्रदेश के लिए किया गया है, जहां अब SIR रिपोर्ट जमा करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है, जो पहले 26 दिसंबर 2025 थी।
चुनाव आयोग के इस कदम को कई विशेषज्ञ बेहद महत्वपूर्ण मान रहे हैं, खासतौर पर उन राज्यों के संदर्भ में जहां 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल में आगामी साल चुनाव प्रस्तावित हैं, और इन राज्यों में मतदाता सूची की शुद्धता चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता और पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी। असम में भी 2026 में चुनाव होंगे, हालांकि वहां SIR को अलग नाम ‘विशेष संशोधन’ दिया गया है।
देश में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहा है। बिहार में SIR का पहला चरण सितंबर 2025 में विधानसभा चुनावों से पहले पूरा किया गया था, जिसके बाद अब दूसरे चरण पर जोर दिया जा रहा है। अंडमान-निकोबार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में SIR प्रक्रिया जारी है।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब कई राज्यों में अवैध प्रवासियों का मुद्दा लगातार सुर्खियों में है। बांग्लादेश और म्यांमार की सीमाओं से लगे राज्यों में अवैध घुसपैठ को लेकर सख्त कार्रवाई की जा रही है। SIR प्रक्रिया में जन्मस्थान और नागरिकता की गहन जांच की जाती है, जिससे मतदाता सूची में अवैध प्रवासियों के नाम शामिल होने की संभावना को खत्म किया जा सके। इसी कारण यह प्रक्रिया राष्ट्रीय सुरक्षा और जनसांख्यिकीय संतुलन के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है।
ज्यादातर राज्यों में अंतिम बार मतदाता सूची का विशेष गहन संशोधन वर्ष 2002 से 2004 के बीच हुआ था। उसके बाद से समय-समय पर नियमित संशोधन होते रहे, लेकिन कई राज्यों ने अभी तक विस्तृत SIR प्रक्रिया पूरी नहीं की थी। अब आयोग के सख्त निर्देशों के बाद इन राज्यों ने अपनी मतदाता सूचियों को अपडेट करने की गति बढ़ा दी है।
चुनाव आयोग का यह कदम चुनावी व्यवस्था को पारदर्शी बनाने और मतदाता पहचान की अखंडता को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा सुधार माना जा रहा है। नए शेड्यूल से राज्यों को अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए अतिरिक्त समय मिलेगा, जिससे SIR प्रक्रिया अधिक व्यापक और विश्वसनीय बन सकेगी।

