श्रीरामलला मंदिर में 30 को होगी 18 मूर्तियों की स्थापना

श्रीरामलला मंदिर में 30 को होगी 18 मूर्तियों की स्थापना

अयोध्या09 अप्रैल (एजेंसियां)। श्रीराम मंदिर के निर्माण कार्य में तेजी देखने को मिल रही है। योगी सरकार की निगरानी में यह ऐतिहासिक राम मंदिर निर्माण कार्य अंतिम चरण की ओर बढ़ रहा है। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि मंदिर के प्रथम तल पर राम दरबार और परकोटा में छह मंदिरों की स्थापना होगी। इनमें सूर्यभगवतीअन्नपूर्णाशिवलिंगगणपति और हनुमान जी की मूर्तियां शामिल हैं। इसके अलावाशेषावतार मंदिर में लक्ष्मण जी की मूर्ति स्थापित की जाएगी। सप्त मंडप में महर्षि वाल्मीकिवशिष्ठविश्वामित्र, अगस्त्य मुनिनिषाद राजशबरी और अहिल्या की मूर्तियां स्थापित होंगी। ये सभी प्रतिमाएं सफेद मकराना मार्बल से तैयार की गई हैंजिनका निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। मूर्तियों के श्रृंगारवस्त्र और आभूषणों की तैयारी भी जोरों पर है।

चंपत राय ने बताया कि तुलसीदास जी की मूर्ति पहले ही स्थापित की जा चुकी है और यात्री सुविधा केंद्र के मंडप में श्रद्धालु उनके दर्शन कर सकेंगे। 15 अप्रैल के बाद जयपुर से इन मूर्तियों को अयोध्या लाने का कार्य शुरू होगा। जैसे-जैसे मूर्तियां पहुंचेंगीउन्हें निर्धारित स्थानों पर रखा जाएगा। कुल 18 प्रतिमाओं की स्थापना का कार्य लार्सन एंड टुब्रो द्वारा सम्पन्न किया जाएगा। 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर राम दरबार को प्रथम मंजिल के गर्भगृह में स्थापित कर दिया जाएगा। जून में ट्रस्ट के सभी सदस्यों की उपस्थिति में तीन दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित होगाजिसमें जलवासअन्नवासऔषधिवास और शैय्यावास जैसे अनुष्ठान शामिल होंगे।

शेषावतार मंदिर का कार्य बाद में शुरू होगाजिसके लिए अंदर के टावर क्रेन हटाए जाएंगे। इसके बाद परकोटा के उत्तर और दक्षिण हिस्से का निर्माण शुरू होगाराम मंदिर का निर्माण कार्य जो अक्टूबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। मंदिर में चार द्वार बनाए जा रहे हैं- उत्तर दिशा का द्वारक्रॉसिंग 11 का द्वारक्रॉसिंग 3 का द्वार और राम जन्मभूमि का मुख्य प्रवेश द्वार। इन द्वारों के नाम रामानुजशंकराचार्यमाधवाचार्य और रामानंदाचार्य की परंपराओं के आधार पर रखे जाएंगेजो भारत की आध्यात्मिक एकता को दर्शाएंगे। महासचिव चंपत राय ने बताया कि शिखर का पूजन हो चुका है और भुज दंड सहित अन्य हिस्सों की स्थापना क्रमिक रूप से की जाएगी। प्रयागराज के पुरंदर दास और गिलहरी की प्रतिमाएं भी मंदिर परिसर में स्थापित होंगी। योगी सरकार की सक्रिय भागीदारी से यह परियोजना न केवल धार्मिकबल्कि सांस्कृतिक और पर्यटन के लिहाज से भी अयोध्या को नई पहचान दे रही है। सरकार का लक्ष्य है कि यह मंदिर संपूर्ण भारत के लिए एकता और श्रद्धा का प्रतीक बने।

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