शोभा करंदलाजे ने सीएम से जाति जनगणना रिपोर्ट खारिज करने का किया आग्रह

शोभा करंदलाजे ने सीएम से जाति जनगणना रिपोर्ट खारिज करने का किया आग्रह

बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने मुख्यमंत्री से पिछड़ा वर्ग के लिए स्थायी आयोग द्वारा सरकार को सौंपी गई जाति जनगणना रिपोर्ट को लेकर व्यक्त की जा रही कई शंकाओं के मद्देनजर कैबिनेट की बैठक में लागू किए बिना इसे खारिज करने का आग्रह किया है| इस संबंध में मुख्यमंत्री को दो पृष्ठों का पत्र लिखने वाली शोभा करंदलाजे ने कांताराजू आयोग की देखरेख में तैयार की गई कर्नाटक जाति जनगणना रिपोर्ट पर गंभीर चिंता व्यक्त की है|

उन्होंने इस बात पर असंतोष व्यक्त किया कि रिपोर्ट मूलतः त्रुटिपूर्ण है तथा राज्य की जनसांख्यिकीय वास्तविकता को प्रतिबिंबित करने में विफल रही है| आयोग के अनुसार, यह सर्वेक्षण ११ अप्रैल, २०१५ से ३० मई, २०१५ के बीच किया गया, जिसमें मात्र ५० दिनों की छोटी अवधि में ५.९ करोड़ की आबादी को शामिल किया गया| उन्होंने संदेह व्यक्त किया कि इससे प्रक्रिया की विश्वसनीयता और अखंडता पर गंभीर संदेह उत्पन्न होगा| सबसे उल्लेखनीय अंतर विभिन्न समुदायों के जनसंख्या आंकड़ों में है| उदाहरण के लिए, रिपोर्ट में कहा गया है कि वीरशैव लिंगायत की जनसंख्या केवल ३० मिलियन है, लेकिन विश्वसनीय अनुमानों के अनुसार यह संख्या १.२५ मिलियन से अधिक है| उन्होंने कहा कि इस तरह का कम प्रतिनिधित्व स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि डेटा संग्रहण वैज्ञानिक या व्यवस्थित तरीके से नहीं किया गया था| यद्यपि अकेले चन्नगिरी विधानसभा क्षेत्र में लगभग ६०,००० सदारा लिंगायत रहते हैं, लेकिन रिपोर्ट में लिंगायत समुदाय के सदारा उप-संप्रदाय के अंतर्गत केवल ६७,००० व्यक्तियों का ही उल्लेख है| ये विसंगतियां सर्वेक्षण के निष्कर्षों और जमीनी हकीकत के बीच विसंगति को उजागर करती हैं|

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्नाटक में अनुसूचित जातियां सबसे बड़ा समुदाय है, जिनकी संख्या लगभग १.१ करोड़ है और १०९ उप-जातियां हैं, तथा मुस्लिम आबादी १२.६ प्रतिशत है| इसमें मुसलमानों की संख्या बढ़ाने की सिफारिश की गई है| शोभा ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि यह निष्पक्ष और समावेशी प्रतिनिधित्व पर आधारित होने के बजाय एक विशिष्ट वोट बैंक को खुश करने के उद्देश्य से किया गया है| गृह मंत्री डॉ. जी. परमेश्वर ने पुष्टि की है कि जाति जनगणना से राज्य के खजाने को १६९ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है| त्रुटियों और अशुद्धियों से भरे सर्वेक्षण पर इतना अधिक व्यय उसके उद्देश्य और उपयोगिता पर प्रश्न उठाता है| उन्होंने मांग की है कि सरकार जाति जनगणना से संबंधित पद्धतियों, अनुसंधान और लागत के बारे में स्पष्टीकरण देने वाला एक श्वेत पत्र जारी करे| कई धार्मिक और सामुदायिक नेताओं ने पहले ही इस रिपोर्ट पर असहमति व्यक्त की है|

उन्होंने इसे अवैज्ञानिक, पक्षपातपूर्ण, अपूर्ण और पारदर्शिता से रहित बताया है| शोभा करंदलाजे ने रिपोर्ट की आलोचना करते हुए कहा है कि यह सामाजिक न्याय की दिशा में कदम उठाने के बजाय राजनीतिक एजेंडा को आगे बढ़ा रही है| यह दोहराना महत्वपूर्ण है कि १९४८ की जनगणना अधिनियम के तहत केवल केंद्र सरकार को ही पूर्ण पैमाने पर जाति जनगणना कराने का अधिकार है| उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य सरकारें सर्वेक्षण करा सकती हैं, लेकिन इस अभ्यास को आधिकारिक जनगणना के रूप में प्रस्तुत करने का कोई भी प्रयास असंवैधानिक और अवैध है| इन चिंताओं के मद्देनजर, मैं राज्य सरकार से वर्तमान जाति जनगणना रिपोर्ट को अस्वीकार करने का पुरजोर आग्रह करती हूं| मैं अनुरोध करती हूं कि एक नया, वैज्ञानिक और निष्पक्ष सर्वेक्षण कराया जाए| यह नया सर्वेक्षण आधार से जुड़े नागरिक सत्यापन पर आधारित होना चाहिए तथा प्रत्येक व्यक्ति की सूचित सहमति से संचालित किया जाना चाहिए| 

Read More बड़ा मंगल केवल पर्व नहीं, लखनऊ की धड़कन है

Tags: