खालिस्तान समर्थक सांसद अमृतपाल पर बढ़ा रासुका

खालिस्तान समर्थक सांसद अमृतपाल पर बढ़ा रासुका

नई दिल्ली, 19 अप्रैल (एजेंसियां)। पंजाब में खालिस्तान समर्थक खडूर साहिब से निर्दलीय सांसद अमृतपाल सिंह को अभी जेल की ही रोटियां खानी पड़ेंगी। उस पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की अवधि को एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है। अमृतपाल सिंह के ऊपर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाई गई है। पहले इसकी अवधि दो साल थीजो 23 अप्रैल को पूरी हो रही है। अब पंजाब सरकार ने इसे एक साल के लिए बढ़ा दिया है। ऐसे में अमृतपाल सिंह को अप्रैल 2026 तक जेल में रखा जाएगा। अमृतपाल सिंह पिछले दो साल से असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है।

23 अप्रैल को अमृतपाल की बंदी के दो साल पूरे हो रहे हैं। अब उसके बंदी की कुल अवधि तीन साल हो गई है। उसे 23 अप्रैल 2026 तक जेल में रखा जाएगा। अमृतपाल ने 2024 का लोकसभा चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा था और खडूर साहिब सीट से जीत दर्ज की थी। उसकी बंदी की अवधि पूरी होने के चलते पंजाब पुलिस की एक टीम ने अमृतपाल को पंजाब में लाने के लिए असम जाने की पूरी तैयारी भी कर ली थीलेकिन ऐन मौके पर राज्य और केंद्र सरकार की सुरक्षा एजेंसियों ने आपसी विचार-विमर्श के बाद अमृतपाल को एक साल के लिए और एनएसए के तहत बंदी रखने का फैसला लिया है। अमृतसर के जिला मजिस्ट्रेट की सिफारिश पर राज्य के गृह विभाग ने एक साल की हिरासत अवधि को और बढ़ाया है। अमृतपाल के ऊपर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के के अतिरिक्त अवैध गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत भी केस दर्ज है।

खालिस्तान समर्थक संगठन वारिस पंजाब दे का स्वयंभू मुखिया बना अमृतपाल देश विरोधी विचारों से लैस है और उस पर अपने साथियों के साथ गुरु ग्रन्थ साहिब की आड़ लेकर अजानला के थाने पर हमला करने का भी आरोप है। इसी अपराध के चलते उसको कई दिनों तक जान बचाने के लिए भागना भी पड़ा था परन्तु बाद में उसने पुलिस बल की सख्ती के सामने हाथ खड़े कर दिए। इसके बाद अमृतपाल समेत खालिस्तान समर्थक संगठन के 10 सदस्यों को मार्च 2023 में डिब्रूगढ़ केंद्रीय कारागार में रखा गया था। उसे संगठन पर कार्रवाई के तहत पंजाब के विभिन्न हिस्सों से रासुका के तहत गिरफ्तार किया गया था। अमृतपाल सिंह के सात सहयोगियों को इसी साल 21 मार्च को पंजाब लाया गया था। इसके बाद पपलप्रीत को 11 अप्रैल को पंजाब लाया गया था। रासुका की अवधि खत्म होने पर उसके खिलाफ दूसरे मामले में मुकदमा चलाया गया और गिरफ्तार कर लिया गया। अमृतपाल ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिख कर संसद के अधिवेशन में हिस्सा लेने की भी गुहार लगाई थी और कहा था कि लगातार अनुपस्थित रहने के कारण उसकी सदस्यता जा सकती है।

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