कर्नाटक में 30 साल में 94% बढ़ी मुस्लिम आबादी
हिंदू लिंगायत बढ़े सिर्फ 8 प्रतिशत
बेंगलुरु, 22 अप्रैल (एजेंसियां)। 1984 से 2015 के बीच कर्नाटक में मुस्लिम आबादी लगभग दोगुनी हो चुकी है। 30 वर्षों में राज्य में मुस्लिम आबादी 94 प्रतिशत बढ़ी है। मुस्लिमों की आबादी दोगुनी होने के चलते वह अब ओबीसी के भीतर सबसे बड़ा समूह बन गई है। इस अवधि में कर्नाटक के लिंगायत हिंदुओं की जनसंख्या में लगभग 8 प्रतिशत ही बढ़ोतरी हुई। यह सारे आंकड़े कर्नाटक में करवाए गए जातिगत जनगणना के सर्वे से सामने आए हैं। मुस्लिम कर्नाटक में दलितों के बाद सबसे बड़ा समूह हैं।
1984 में कर्नाटक के भीतर जातियों की संख्या पता लगाने के लिए किए गए वेंकटस्वामी कमीशन के सर्वे ने मुस्लिमों की आबादी 39.63 लाख थी और यह प्रदेश की जनसंख्या में 10.97 प्रतिशत का हिस्सा रखते थे। इसी सर्वे में सामने आया था कि कर्नाटक में वीराशैव-लिंगायत 61.14 लाख हैं और उनका राज्य की आबादी में 16.92 प्रतिशत है। इसके अलावा वोक्कालिगा समुदाय की आबादी 42.19 लाख बताई गई थी और उनका राज्य की जनसंख्या में हिस्सा तब 11.68 प्रतिशत था। 1984 के सर्वे में राज्य की दलित आबादी 57.31 लाख बताई गई थी। दलितों का राज्य की आबादी में हिस्सा लगभग 16 प्रतिशत था।
2015 के सर्वे में यह स्थितियाँ पूरी तरह से बदल चुकी हैं। इस सर्वे से सामने आया है कि 1984 से 2015 के बीच कर्नाटक में मुस्लिम आबादी लगभग दोगुनी हो चुकी है। इस सर्वे के अनुसार, 2015 में मुस्लिम आबादी 76.9 लाख थी। यानि इन 30 वर्षों में राज्य में मुस्लिम आबादी 94 प्रतिशत बढ़ी है। इसी बीच लिंगायतों की आबादी मात्र 8.50 प्रतिशत बढ़ी जबकि वोक्कालिगा इस दौरान 46 प्रतिशत बढ़ पाए। मुस्लिमों की आबादी दोगुनी होने के चलते वह अब ओबीसी के भीतर सबसे बड़ा समूह हैं। उनका आरक्षण भी इस सर्वे में 4 प्रतिशत से बढ़ा कर 8 प्रतिशत करने की सिफारिश की गई है।
इसी सर्वे के अनुसार, राज्य की कुल आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी 18.08 प्रतिशत है, जो 2011 की जनगणना में 12.92 प्रतिशत बताई गई थी। सर्वे का यह आंकड़ा 2015 का है। ऐसे में 4 साल में मुस्लिम आबादी की हिस्सेदारी कर्नाटक में 5.16 प्रतिशत बढ़ गई। रिपोर्ट में उनका आरक्षण बढ़ाने की सिफारिश के पीछे राज्य में ओबीसी की हिस्सेदारी सबसे अधिक होना कारण बताया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में कुल आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी 69.60 प्रतिशत है, ऐसे में उन्हें जनसंख्या के आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए।
इस सर्वे ओबीसी आरक्षण 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 51 प्रतिशत करने की सिफारिश की गई है। यह सिफारिश अगर मानी जाती हैं, तो राज्य में कुल आरक्षण 85 प्रतिशत हो जाएगा। इस 85 प्रतिशत में 51 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण होगा जबकि 24 प्रतिशत आरक्षण अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए रहेगा। इसके अलावा 10 प्रतिशत आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानि ईडब्लूएस को पहले की तरह मिलता रहेगा। ध्यान देने योग्य बात यह है कि पिछड़ा वर्ग आयोग ने ओबीसी और मुस्लिम आरक्षण को बढ़ाने की सिफारिश तो की है लेकिन एससी-एसटी तथा ईडब्लूएस आरक्षण को पहले की तरह ही रखने की बात कही है।
कांग्रेस के अंदर ही अब 2015 के सर्वे का विरोध हो रहा है। कर्नाटक के उद्योग मंत्री एमबी पाटिल का कहना है कि कैबिनेट में सात लिंगायत मंत्री हैं और हम सभी एक साथ हैं। वहीं, वोक्कालिगा समुदाय के कई नेता और संत भी इस रिपोर्ट का खुलकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनकी जनसंख्या को कम आँककर उनके साथ अन्याय किया गया है। मंड्या से कांग्रेस विधायक रविकुमार गौड़ा (गनीगा) का कहना है कि रिपोर्ट में वोक्कालिगा समुदाय की संख्या कम बताई गई है। ये रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए।