दिल्ली की भाजपा सरकार अब साफ करेगी यमुना का पावन जल

दिल्ली की भाजपा  सरकार अब साफ करेगी यमुना का पावन जल

नई दिल्ली, 23 अप्रैल(एजेंसी)। यमुना में सीवेज और अपशिष्ट जल गिरने से रोकने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाए गए हैं। लेकिन, इन एसटीपी द्वारा शोधित अधिकांश पानी मानक के अनुरूप नहीं है। यही वजह है कि यमुना पहले से अधिक प्रदूषित हो गई है।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, केवल 12 एसटीपी ही जल गुणवत्ता मानकों पर खरे उतरे हैं। इस स्थिति को सुधारने के लिए जल मंत्री प्रवेश वर्मा ने सख्त कदम उठाते हुए दिल्ली जल बोर्ड को सभी 37 एसटीपी का थर्ड पार्टी ऑडिट कराने का निर्देश दिया है।

 

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जल मंत्री ने कहा, हाल ही में दिल्ली जल बोर्ड के सीवेज प्रबंधन विभाग के साथ समीक्षा बैठक हुई। इसमें एसटीपी की क्षमता, गुणवत्ता और उन्नयन कार्य की समीक्षा की गई। थर्ड पार्टी ऑडिट से प्रत्येक एसटीपी की क्षमता और मौजूदा स्थिति का पता चलेगा।

फिलहाल 37 में से 18 एसटीपी में उन्नयन कार्य चल रहा है। सोनिया विहार, दिल्ली गेट और ओखला में तीन नए एसटीपी के निर्माण से करीब 47 मिलियन गैलन प्रतिदिन (एमजीटी) अतिरिक्त उपचार क्षमता बढ़ेगी।

 

भविष्य की कार्ययोजना तैयार

उन्होंने कहा, "इस समय यमुना में बड़ी मात्रा में बिना उपचारित सीवेज जा रहा है। इसे रोकने के लिए दिल्ली सरकार ठोस कदम उठा रही है। ऑडिट का फैसला इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इसकी रिपोर्ट के आधार पर भविष्य की कार्ययोजना तैयार की जाएगी।"

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दिल्ली सरकार ने 2025-26 के बजट में एसटीपी की मरम्मत के लिए 500 करोड़ रुपये और पुरानी सीवर लाइनों को बदलने के लिए 250 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, 37 में से 30 एसटीपी का संचालन निजी कंपनियों को सौंप दिया गया है।

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जल मंत्री ने इन सभी ऑपरेटरों को निर्धारित मानकों के अनुसार एसटीपी की कार्यक्षमता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।

 

वर्मा ने कुछ दिन पहले घोषणा की थी कि ओखला में 564 एमएलडी की क्षमता वाला एशिया का सबसे बड़ा अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र पूरी तरह से चालू हो गया है। दिल्ली जल बोर्ड ने विकेंद्रीकृत सीवेज उपचार संयंत्र (डीएसटीपी) पर भी काम शुरू कर दिया है।

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