केंद्र सरकार ने SC में दाखिल किया जवाब
बताया कानून में बदलाव क्यों जरूरी था
सरकार ने अदालत से कहा कि यह सेटेड लीगल पोजिशन है कि कोर्ट को संसद द्वारा बनाए गए कानूनों पर बिना विस्तृत सुनवाई के रोक नहीं लगानी चाहिए. सरकार के अनुसार, 2016 से अब तक वक्फ संपत्ति में 116 गुना की वृद्धि दर्ज की गई है. केंद्र ने स्पष्ट किया कि वक्फ बोर्ड एक मुस्लिम धार्मिक संस्था नहीं है. इसमें किया गया संशोधन संविधान के अनुरूप है. इसमें मौलिक अधिकारों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है.
नई दिल्ली, 26 अप्रैल,(एजेंसी)। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून को लेकर अपना जवाब दाखिल कर दिया है. केंद्र सरकार ने बताया कि 1923 से वक्फ बाय यूजर प्रावधान के तहत रजिस्ट्रेशन जरूरी होने के बाद इसका दुरुपयोग कर निजी और सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित कर जाता रहा है. इसे रोकना आवश्यक था. केंद्र सरकार ने कहा कि वक्फ बाय यूजर की व्यवस्था खत्म होने से मुस्लिम समुदाय का वक्फ करने का अधिकार नहीं छीना गया है. इस तरह से कानून के दुरुपयोग पर लगाम लगाने की कोशिश की गई है. सरकार का आरोप है कि इस कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं.
सरकारी और निजी संपत्तियों को हथियाया जा रहा
जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) को पांच सितंबर 2024 को दी गई सूचना के अनुसार, 5,975 सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित किया जा चुका था. सरकार के अनुसार, पुराने कानून के तहत वक्फ बाय यूजर एक “सुरक्षित स्वर्ग” बन गया था. इससे सरकारी और निजी संपत्तियों को हथियाया जा रहा था.
संशोधन संविधान के अनुरूप है
सरकार ने अदालत से कहा कि यह सेटेल्ड लीगल पोजिशन है. अदालत को संसद की ओर से बनाए गए कानूनों पर बिना किसी विस्तृत सुनवाई के रोक नहीं लगानी चाहिए. सरकार के अनुसार, 2016 से अब तक वक्फ संपत्ति में 116 गुना का इजाफा हुआ है. केंद्र ने जानकारी दी कि वक्फ बोर्ड एक मुस्लिम धार्मिक संस्था नहीं है. इसमें किया गया संशोधन संविधान के अनुरूप है. इसमें मौलिक अधिकारों का किसी तरह का उल्लंघन नहीं हुआ है.
समावेशी प्रतिनिधित्व का संकेत है
सरकार ने यह भी बताया कि वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्ड में 22 सदस्यों में अधिकतम दो गैर-मुस्लिम भी हो सकते हैं. यह समावेशी प्रतिनिधित्व का संकेत है. सरकार ने अपने जवाब में कहा कि बीते 100 वर्षों से वक्फ बाय यूजर मौखिक नहीं, बल्कि रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के तहत ही होता रहा है. अदालत अब इस केस की पूरी सुनवाई के बाद फैसला लेगा.