बांग्लादेश को गंगा का पानी देना बंद करो
यूनुस सरकार की हरकतों के खिलाफ तेजी से उठी मांग
एक साल में खत्म हो जाएगा गंगा संधि का समय
नई दिल्ली, 26 अप्रैल (एजेंसियां)। पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार द्वारा सिंधु जल संधि स्थगित किए जाने के बाद अब बांग्लादेश के साथ भी गंगा जल करार तोड़ने की मांग हो रही है। भाजपा के स्पष्टवादी सांसद निशिकांत दुबे ने भारत सरकार से यह मांग करते हुए कहा है कि बांग्लादेश भी भारत और हिंदुओं के खिलाफ लगातार हिंसा फैलाने में लगा है और पाकिस्तान के साथ साठगांठ कर आतंकवाद का नया भू-राजनीतिक समीकरण खड़ा कर रहा है। लिहाजा, बांग्लादेश को भी गंगा से मिल रहा पानी बंद होना चाहिए और उसके साथ गंगा जल करार तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाना चाहिए।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा, पाकिस्तान की शह पर बांग्लादेश भी बहुत छटपटा रहा है, उसका भी गंगा नदी का पानी बंद करने का समय आ गया है। हमारा पानी पीकर जीएगा और पाकिस्तान का गाना गाएगा। यह अब नहीं चलेगा। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में पर्यटकों का धर्म पूछ कर उन्हें मारे जाने की घटना के बाद पूरे देश में आक्रोश है। भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। इन सब के बीच, बांग्लादेश की हरकतें भी सामने आ रही हैं। इसलिए अब बांग्लादेश के खिलाफ भी सख्त एक्शन लेने की मांग की जा रही है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने तो यहां तक कहा कि पापियों को गंगा जल पिलाने का क्या औचित्य है? निशिकांत दुबे ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के कानूनी सलाहकार आसिफ नजरुल और लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हारुन इजहार से मुलाकात का हवाला देते हुए भारत सरकार से मांग की है कि बांग्लादेश को गंगा का पानी देना तत्काल रोका जाए।
उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश को पानी देने को लेकर 1996 में भारत और बांग्लादेश के बीच गंगाजल संधि हुई थी। यह संधि 30 साल के लिए हुई थी। इस संधि के तहत भारत और बांग्लादेश ने फरक्का बैराज में गंगा नदी के पानी को साझा करने पर सहमति जताई थी। यह बैराज 1975 में बनाया गया था। इस संधि के तहत भारत बैराज में कितना पानी छोड़ेगा इसकी मात्रा तय की गई थी। हालांकि, अब बैराज में पानी की कमी हो रही है। इसकी वजह से बांग्लादेश को पानी की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है। बांग्लादेश भारत पर बार-बार आरोप लगाता रहा है कि वह जानबूझकर बैराज से कम पानी छोड़ रहा है। इस संधि के मुताबिक अगर पानी की उपलब्धता 75,000 क्यूसेक बढ़ती है तो भारत के पास 40,000 क्यूसेक पानी लेने का पूरा अधिकार रहेगा। अगर फरक्का बैराज में 70,000 क्यूसेक से कम पानी है तो फिर बहाव को दोनों देशों के बीच बांटा जाएगा। अगर बहाव 70,000 से 75,000 क्यूसेक तक रहता है तो फिर बांग्लादेश को 35,000 क्यूसेक पानी दे दिया जाएगा। इस समझौते की अवधि 30 साल की है। अब यह कुछ ही वक्त में संधि की अवधि भी खत्म होने वाली है।