भारत के सुखोई जैसे लड़ाकू विमानों से शत्रु सेना में खौफ

 पाकिस्तान के लिए परेशानी का सबब बन रही भारत की युद्धक क्षमता

भारत के सुखोई जैसे लड़ाकू विमानों से शत्रु सेना में खौफ

नई दिल्ली, 30 अप्रैल (एजेंसियां)। 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए भयानक आतंकवादी हमले में 26 हिंदू पर्यटकों को चुन-चुन कर मारे जाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव खतरनाक नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है। पहलगाम में आतंकी हमला पाकिस्तान के इस्लामी सैन्य प्रतिष्ठान द्वारा किया गया थाजिसने दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति पैदा कर दी। दोनों देश इसके लिए तैयार हो रहे हैंलेकिन पाकिस्तानी सेना और खुफिया अधिकारी चिंतित भी हैं। दुनियाभर के रणनीतिक विश्लेषक यह मानते हैं कि यदि युद्ध छिड़ जाता हैतो दोनों सेनाओं के बीच की असमानता युद्ध के मैदान में साफ-साफ दिखेगी। भारत के खतरनाक एसयू-30एमकेआई या राफेल लड़ाकू विमानों और थलसेना की लड़ाकू युद्ध-क्षमता को लेकर पाकिस्तान का आकलन उसे चिंता में डाल रहा है।

अगर संघर्ष छिड़ता है तो भारत के सैन्य हार्डवेयर की श्रेष्ठता को नकारा नहीं जा सकता। पाकिस्तान की सेनाजिसमें उसका परमाणु शस्त्रागार भी शामिल हैभारत की अधिक उन्नत प्रणालियों की तुलना में काफी पुरानी मानी जाती है। भारत की हवाई युद्ध क्षमता में एसयू-30एमकेआई निर्णायक भूमिका निभाने के लिए तैयार है। यह भारत की विमानन ताकत को काफी आगे बढ़ाती है। इसके बेड़े में डसॉल्ट मिराज 2000, राफेल एमएस और साब जेएएस 39 ग्रिपेन भी शामिल हैंजो सब पाकिस्तानी वायुसेना के भंडार में मौजूद विमानों से बहुत बेहतर हैं। रणनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि युद्ध की स्थिति में इस्लामाबाद को बहुआयामी अपमान का सामना करना पड़ेगा। बलूचिस्तानखैबर पख्तूनख्वावजीरिस्तान और तालिबान-नियंत्रित सीमा क्षेत्रों में उग्रवादी आंदोलनों के और भी मजबूत होने के साथ-साथ इसकी आंतरिक दरारें भी बदतर होती जा रही हैं।

एसयू-30एमकेआई सिर्फ़ एक और लड़ाकू विमान नहीं हैयह भारत की तकनीकी शक्ति और रक्षा आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। भारत के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएलऔर रूस के सुखोई डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एसयू-30एमकेआई आज घातक स्तर की क्षमता पा चुका है। आज 260 से ज्यादा एसयू-30एमकेआई भारतीय वायुसेना की सेवा में हैं। यह भारत का सबसे बड़ा लड़ाकू बेड़ा हैजो हवाई श्रेष्ठता से लेकर रणनीतिक बमबारी और समुद्री अभियानों तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एसयू-30एमकेआई को भारत की अनूठी परिचालन आवश्यकताओं के तहत अत्यधिक अनुकूलित किया गया है। भारत के रक्षा योजनाकारों ने हिमालय जैसे चुनौतीपूर्ण इलाकों में निरंतर उच्च-ऊंचाई वाले अभियानों के मुताबिक इस विमान में संशोधनों की सिफारिश की थी। संशोधनों के साथ एसयू-30एमकेआई में रूसइजराइलफ्रांस और स्वदेशी भारतीय प्रणालियों की तकनीकों का बेहतर मिश्रण शामिल है। विमानन विशेषज्ञों का कहना है कि एसयू-30एमकेआई की वायुगतिकीय श्रेष्ठता और नियंत्रण सटीकता को पाकिस्तान वायुसेना कम्पीट नहीं कर सकती। हवा से हवाहवा से जमीन और जहाज रोधी मिसाइलों से लैस यह जेट अपने 12 हार्डपॉइंट पर आठ टन तक का पेलोड ले जा सकता है। खास बात यह है कि यह रूसी मूल की मिसाइलों जैसे कि आर-73 और आर-77 के साथ-साथ भारत में विकसित हथियार जैसे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल और ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल भी दाग सकता है। एसयू-30एमकेआई में पश्चिमी तकनीकों का समावेश हैजिसमें फ्रांसीसी नेविगेशन सिस्टम और भारतीय मिशन कंप्यूटर शामिल हैंजो इसे ऑपरेशनल लचीलापन देता है, जो पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों में नहीं है। सिस्टम का यह मिश्रण सुनिश्चित करता है कि एसयू-30एमकेआई पारंपरिक युद्ध परिदृश्यों और उच्च-प्रौद्योगिकी, नेटवर्क-केंद्रित युद्ध दोनों में प्रतिद्वंद्वियों से आगे रहे।

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