युद्ध की ओर बढ़ रहा है सीजफायर उल्लंघन का सिलसिला
सुरेश एस डुग्गर
जम्मू, 30 अप्रैल। पहलगाम हमले के उपरांत पाकिस्तान सेना द्वारा एलओसी के बाद अब इंटरनेशनल बार्डर पर भी मोर्चे खोलते हुए सीजफायर उल्लंघन का जो सिलसिला बढ़ाया है वह सीमावासियों में युद्ध की आशंका बढ़ा रहा है। सीमा पर रहने वालों के लिए वैसे यह कोई पहला मौका नहीं होगा जब उन्हें जंग की आहट के बीच जीवनयापन करना पड़ रहा हो। करगिल युद्ध के बाद संसद पर हुए हमले और पुलवामा हमले के उपरांत भी वे युद्ध की स्थिति में बर्बाद हो चुके हैं पर कोई आर-पार का फैसला नहीं हो पाया था।
यही कारण था कि अखनूर क्षेत्र के परगवाल सेक्टर में ग्रामीणों ने बीती देर रात कई राउंड गोलीबारी की आवाज सुनी तो उन्हें दहशत में इसलिए आ जाना पड़ा क्योंकि इस तरह का संघर्ष विराम उल्लंघन 7-8 साल बाद हो रहा है। हालांकि सीमावासी कहते हैं, हमें इन सबकी आदत है, लेकिन अभी हम हाई अलर्ट पर हैं। इसी तरह से कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास बसा हाजीनार गांव पिछले हफ्ते तक अपनी दिनचर्या से गुलजार रहने वाला एक ऐसा ही गांव है। लेकिन 1500 से अधिक आबादी वाला यह सुदूर गांव अब खामोश हो गया है और युद्ध के साये में जी रहा है। दरअसल 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद एलओसी पर गोलीबारी की पुनरावृत्ति ने फरवरी 2021 से भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच संघर्ष विराम समझौते द्वारा लाई गई नाजुक शांति को बिगाड़ दिया ह।.
गोलीबारी की इन घटनाओं से कई गांवों में भय और दहशत का माहौल पैदा हो गया है, जिससे लोग सहमे हुए हैं। जानकारी के लिए पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादियों ने 25 पर्यटकों और एक स्थानीय टट्टू संचालक की हत्या कर दी थी, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को कम कर दिया। इसमें सिंधु जल संधि को निलंबित करके पाकिस्तान को पानी देना बंद करना, अटारी-वाघा बार्डर को बंद करना और भारत में पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने के लिए कहना शामिल है। इस बढ़े हुए तनाव ने हाजीनार गांव के जाफर हुसैन लोन जैसे लोगों को सबसे बुरी स्थिति के लिए तैयार रहने के लिए प्रेरित किया है।
गांव के लोगों का कहना है कि गांव में सामुदायिक तथा निजी बंकरों का पुनर्निर्माण कर दिया है तथा लोगों की बाहर आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया है। पूर्व सरपंच लोन कहते थे कि हम पिछले चार सालों से शांति से रह रहे थे। बंकर बंद थे और धूल जमा हो गई थी। लोग गोले या गोलीबारी के डर के बिना स्वतंत्र रूप से घूम रहे थे, लेकिन पहलगाम आतंकी हमले के बाद हमारे गांव में डर फिर से लौट आया है। पिछले कुछ दिनों में, एलओसी के इस गांव में चार सामुदायिक भूमिगत बंकरों का पुनर्निर्माण किया गया है, जिनका निर्माण पिछले दशक में केंद्र सरकार द्वारा किया गया था। नागरिक आबादी की सुरक्षा के लिए भारत सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर में लगभग 14,460 बंकरों (सामुदायिक और व्यक्तिगत) का निर्माण किया गया। अन्यथा, पिछले तीन दशकों से अधिक समय में गोलाबारी और गोलीबारी के कारण पूरे क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग हताहत और घायल हुए हैं।
इसके अलावा इससे सम्पत्तियों और आजीविका का नुकसान हुआ और हजारों ग्रामीणों को सुरक्षा के लिए अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। लेकिन सामुदायिक बंकरों में दो कमरे और एक शौचालय था, जिसमें 100 लोग रह सकते थे, जिससे उन्हें अपने गांवों के ऊपर से उड़ते गोले से कुछ सुरक्षा मिली। परगवाल के अमन सिंह कहते हैं कि कल रात करीब 8.30-9 बजे 3-4 राउंड फायरिंग की गई। हम अपने खेतों में काम कर रहे थे, तभी हमें सब कुछ बंद करके अपने घर वापस जाने के लिए कहा गया। उसके बाद कुछ नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि 50 प्रतिशत फसल अभी भी कटनी बाकी है। उल्लेखनीय है कि भारतीय सेना के अनुसार बीती रात को नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार जम्मू कश्मीर के कई सेक्टरों में अपनी चौकियों से पाकिस्तानी सेना ने बिना उकसावे के छोटे हथियारों से गोलीबारी की गई। इसका भारतीय सेना ने करारा जवाब दिया।
नरेश शर्मा कहते हैं कि कल जब गोलियां चलाई गईं तो हम अपने खेतों में काम कर रहे थे, तभी हमें फोन आया कि सब कुछ रोककर अपने घर वापस लौट जाएं। जबकि जारी एक बयान में भारतीय सेना ने बताया कि पाकिस्तानी सेना ने जम्मू क्षेत्र के नौशहरा, सुंदरबनी और अखनूर सेक्टरों में भारतीय ठिकानों को निशाना बनाया। बाद में कहा गया कि बारामुल्ला और कुपवाड़ा जिलों में उत्तर में और साथ ही परगवाल सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के पार भी इसी तरह के संघर्ष विराम उल्लंघन दर्ज किए गए। हालांकि भारतीय सेना के जवानों की ओर से भी जवाबी कार्रवाई की गई। इसके साथ ही पाकिस्तानी सेना ने उत्तरी कश्मीर में बारामुला और कुपवाड़ा में एलओसी पर और परगवाल सेक्टर के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गोलीबारी की। पर दहशत का माहौल उन्हें घुट घुट कर जीने को मजबूर कर रहा हे क्योंकि वर्ष 2001 से वे आर-पार की लड़ाई के प्रति सुन तो रहे हैं पर वह अभी तक नहीं हुई है।