नीट जनेऊ विवाद के बाद कलबुर्गी में दो लोग गिरफ्तार
कलबुर्गी/शुभ लाभ ब्यूरो| कलबुर्गी में दो परीक्षा कर्मचारियों को कथित तौर पर एक छात्र को ४ मई को आयोजित होने वाली नीट-यूजी परीक्षा से पहले अपना पवित्र धागा उतारने के लिए मजबूर करने के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के बाद तनाव बढ़ गया| इस घटना ने हिंदू समुदाय के वर्गों में आक्रोश पैदा कर दिया है, जिसके कारण पुलिस कार्रवाई हुई और कानूनी कार्यवाही को बढ़ावा मिला| राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट), जो राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित की जाती है, पूरे भारत में स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए अनिवार्य है|
कलबुर्गी में निर्दिष्ट नीट केंद्रों में से एक सेंट मैरी पीयू कॉलेज में यह विवाद सामने आया| पुलिस आयुक्त एस डी शरणप्पा के अनुसार, छात्र श्रीपद पाटिल की शिकायत के आधार पर रविवार देर रात एक प्राथमिकी दर्ज की गई| पाटिल ने आरोप लगाया कि परीक्षा केंद्र के दो कर्मचारियों ने हॉल में प्रवेश करने से पहले उसे अपना पवित्र धागा (जनेऊ) उतारने के लिए मजबूर किया, जिससे उसे मानसिक परेशानी हुई और उसकी धार्मिक भावनाओं का हनन हुआ| आरोपियों की पहचान शरण गौड़ा और गणेश के रूप में की गई है, जो परीक्षा संचालन की देखरेख करने वाली एक निजी एजेंसी में कार्यरत थे| उन पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा २९८ के तहत मामला दर्ज किया गया है, जो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर किए गए कार्यों से संबंधित है| स्टेशन बाजार पुलिस ने दोनों को हिरासत में ले लिया और आगे की जांच जारी है| खबर फैलते ही ब्राह्मण समुदाय के लोग परीक्षा केंद्र के बाहर विरोध प्रदर्शन करने के लिए एकत्र हो गए| प्रदर्शनकारियों ने परीक्षा पूरी करने के बाद छात्र को पवित्र धागा लौटाने से पहले एक अनुष्ठान किया|
सोमवार को रायचूर में बोलते हुए, कर्नाटक के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और लघु सिंचाई मंत्री, एनएस बोस राजू ने इस घटना को स्वीकार किया और कहा कि सरकार के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद, ऐसी हरकतें होती रहती हैं| उन्होंने पुष्टि की कि मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने इसमें शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का आदेश दिया है| परीक्षा हॉल में धार्मिक प्रतीकों को लेकर विवाद का यह पहला मामला नहीं है| २५ अप्रैल को, राज्य भाजपा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी) के दौरान हिंदू छात्रों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया गया| उन्होंने दावा किया कि पवित्र धागा पहनने वाले छात्रों को वापस भेज दिया गया, जबकि हिजाब पहनने वाली मुस्लिम लड़कियों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई|