भाजपा ने कर्नाटक सरकार पर मार्क्स कार्ड प्रिंटिंग सौदे में टेंडर घोटाले का लगाया आरोप

भाजपा ने कर्नाटक सरकार पर मार्क्स कार्ड प्रिंटिंग सौदे में टेंडर घोटाले का लगाया आरोप

बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| कर्नाटक विधान परिषद में विपक्ष के नेता चलवाड़ी नारायणस्वामी ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर अवैध प्रक्रियाओं के माध्यम से निविदाएं देकर और चुनिंदा फर्मों को लाभ पहुंचाकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया|

विधानसभा में पत्रकारों को संबोधित करते हुए, नारायणस्वामी ने आरोप लगाया कि कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पोर्टल पर सरकार द्वारा जारी निविदाओं में विशिष्ट संस्थाओं को लाभ पहुंचाने के लिए हेरफेर किया जा रहा है| हमारे कार्यकाल के दौरान, एक अंक पत्र की छपाई की लागत ९.४५ रुपये तय की गई थी| हालांकि, वर्तमान सरकार के तहत, पैरा-मेडिकल बोर्ड ने १०० रुपये प्रति कार्ड की दर से निविदा आमंत्रित की| विरोध के बाद, इसे घटाकर ९१ रुपये कर दिया गया और बाद में फिर से संशोधित कर ४४ रुपये प्रति अंक पत्र, डिप्लोमा प्रमाण पत्र के लिए ४७ रुपये और इंटर्नशिप प्रमाण पत्र के लिए ४४ रुपये कर दिया गया| उन्होंने बताया कि इन दरों के लिए एक कार्य आदेश २९ नवंबर, २०२३ को संजयनगर, बेंगलूरु स्थित उर्ध्वा मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में जारी किया गया था| उन्होंने आरोप लगाया हैरानी की बात यह है कि इस काम के लिए वित्तीय बोली को १२ अप्रैल, २०२४ को ही मंजूरी दी गई, यानी कार्य आदेश जारी होने के चार महीने से भी ज्यादा समय बाद|

नारायणस्वामी ने कहा कि उन्होंने ८ जनवरी को सरकारी सचिव को पत्र लिखकर कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम के उल्लंघन को उजागर किया था, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला| उन्होंने मीडिया को पत्र और सहायक दस्तावेज दिखाए| उन्होंने दावा किया कि उर्ध्व मैनेजमेंट एक इवेंट मैनेजमेंट फर्म है, जिसे प्रिंटिंग का कोई अनुभव नहीं है और आरोप लगाया कि इसके निदेशक वेंकटरेड्डी डी पाटिल या तो चिकित्सा शिक्षा मंत्री शरणप्रकाश पाटिल के करीबी रिश्तेदार या सहयोगी हैं| उन्होंने कहा यह एक ब्लैक लिस्टेड फर्म है, जिसके खिलाफ लगभग २५ मामले दर्ज हैं|

फिर भी, सरकार ने वित्तीय बोली को अंतिम रूप दिए बिना ही यह ठेका सौंप दिया| टेंडर देने के पीछे के औचित्य पर सवाल उठाते हुए नारायणस्वामी ने कहा जब हमने ९.४५ रुपये प्रति मार्क्स कार्ड के हिसाब से कॉन्ट्रैक्ट जारी किया था, तो कुल राशि २.४५ लाख रुपये आई थी| इस मामले में, प्रिंट किए जाने वाले सर्टिफिकेट की संख्या भी निर्दिष्ट नहीं की गई है, जिससे मनमाने बिलिंग का रास्ता खुल जाता है| उन्होंने पारदर्शिता और जवाबदेही की पूरी तरह कमी का भी आरोप लगाया| उन्होंने कहा मुख्य सचिव और संबंधित विभाग को कई पत्र लिखने के बावजूद मुझे कोई जवाब नहीं मिला| इससे साफ पता चलता है कि सरकार घोटाले को छिपाने की कोशिश कर रही है| नारायणस्वामी ने जोर देकर कहा कि यह मामला मंत्री शरणप्रकाश पाटिल के अधिकार क्षेत्र में आता है और उन्होंने टेंडर प्रक्रिया की गहन जांच का आग्रह किया|

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