कायरों की करतूत पर कहर का खौफ
पाकिस्तान को सता रहा बालाकोट जैसी स्ट्राइक का डर
भारत की तैयारियां सूंघने में लगे पाकिस्तान के टोही विमान
सीमा क्षेत्र में भारतीय सेना के ध्रुव हेलीकॉप्टरों की गश्त शुरू
नई दिल्ली, 23 अप्रैल (एजेंसियां)। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पूरे देश में पाकिस्तान के खिलाफ सीधा एक्शन लेने की मांग तेज हो गई है। यह स्पष्ट हो चुका है कि पहलगाम हमले में सीधे तौर पर पाकिस्तान एवं पीओके में बैठे आतंकी सरगनाओं का हाथ है। पाकिस्तान को अपनी इस हरकत की बालाकोट जैसी सख्त जवाबी कार्रवाई का डर सताने लगा है। भारत से सटी सीमा पर पाकिस्तान के टोही विमानों की गश्त पाकिस्तान का यह डर साफ-साफ दिखा रही है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आदेश पर भारतीय सेना के ध्रुव हेलीकॉप्टरों ने सीमा क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर गश्त शुरू कर दी है।
भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित ने कहा है कि पाकिस्तान इस समय खौफ में है, उसे जवाबी हमले का डर सता रहा है। उन्होंने कहा है कि भारत से सटी सीमा पर टोही विमान लगातार गश्त लगा रहे हैं और पाकिस्तान की वायुसेना को अलर्ट पर रखा गया है। पुलवामा हमले के बाद भी ऐसा ही देखा गया था। तब भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक की थी, उसके बाद पाकिस्तान ने भी अपनी वायुसेना को एक्शन में ला दिया था। ऐसी स्थिति में भी पाकिस्तान अपनी घिनौनी हरकतों और बयानबाजियों से बाज नहीं आ रहा है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि भारत की सरकार अल्पसंख्यकों को परेशान कर रही है, इसीलिए लोगों का कत्लेआम किया जा रहा है। पहलगाम हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ ) ने ली है, जिसका आका सज्जाद गुल और सैफुल्लाह खालिद पीओके में बैठा हुआ घटना को संचालित कर रहा था। टीआरएफ संगठन को लश्कर का ही छद्म संगठन माना जाता है, जिसे खतरनाक आतंकी सज्जाद गुल चला रहा है। सज्जाद गुल हाफिज सईद का राइट हैंड भी कहा जाता है। भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने सज्जाद के खिलाफ बड़ा इनाम घोषित कर रखा है, उसकी तलाश लगातार जारी है। टीआरएफ को लश्कर का मुखौटा माना जाता है।
टीआरएफ के सरगना सज्जाद गुल को लेकर कहा जाता है कि वो पाकिस्तान में बैठकर ही ऑपरेट करता है, वो अपने आतंकियों को निर्देश देता रहता है, लेकिन खुद कभी सामने नहीं आता। पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड आतंकी सैफुल्लाह खालिद को बताया जा रहा है। वह हाफिज सईद का करीबी है और पाकिस्तानी सेना के साथ उसके गहरे संबंध हैं। लश्कर-ए-तैयबा के डिप्टी चीफ सैफुल्लाह खालिद को सैफुल्लाह कसूरी के नाम से भी जाना जाता है। देश में हुए कई बड़े आतंकी हमलों में उसका नाम सामने आ चुका है। पहलगाम हमले से दो महीने पहले सैफुल्लाह खालिद पाकिस्तान के पंजाब के कंगनपुर पहुंचा था। यहां उसे पाकिस्तानी सेना के कर्नल जाहिद जरीन खट्टर ने जेहादी भाषण देने के लिए वहां बुलाया था। वहां उसने पाकिस्तानी सेना को भारत के खिलाफ भड़काया था। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में आईएसआई और पाकिस्तानी सेना की बैठक में उसने कहा था, मैं वादा करता हूं कि आज 2 फरवरी 2025 है। हम दो फरवरी 2026 तक कश्मीर पर कब्जा करने की पूरी कोशिश करेंगे। आने वाले दिनों में हमारे मुजाहिदीन हमले तेज होंगे। दो फरवरी 2026 तक कश्मीर आजाद हो जाएगा। उसके भाषण को सुनने के लिए बड़ी संख्या में हथियारबंद आतंकी शामिल हुए थे।
पिछले साल एबटाबाद के जंगल में हुए आतंकी कैंप में सैफुल्लाह खालिद मौजूद था। इस कैंप में सैकड़ों पाकिस्तानी लड़कों ने हिस्सा लिया था। इसका आयोजन लश्कर-ए-तैयबा की राजनीतिक शाखा पीएमएमएल और एसएमएल ने किया था। इस कैंप से आतंकी हमलों के लिए लड़कों को चुना गया था। इन लड़कों को टारगेट किलिंग के लिए ट्रेनिंग दी गई थी। यहां सैफुल्लाह ने भारत के खिलाफ भड़काऊ भाषण देकर लड़कों को भड़काया था। इन लड़कों की पाकिस्तानी सेना की मदद से सीमा पार घुसपैठ करने की बात भी सामने आई थी।
टीआरएफ की कहानी 14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले के साथ ही शुरू हुई थी। धीरे-धीरे यह संगठन अपनी ताकत को बढ़ाता चला गया और इसे पाकिस्तान समर्थित कुछ आतंकी संगठनों के साथ पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का भी साथ मिला। पांच अगस्त 2019 को जैसे ही जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई गई, यह संगठन पूरे कश्मीर में सक्रिय हो गया। कल पहलगाम में हुए हमले में शामिल चार आतंकियों में से दो स्थानीय आतंकी हैं और दो पाकिस्तानी आतंकी। चश्मदीदों से मिले संकेत पर तीन आतंकियों के स्केच भी जारी किए गए हैं। स्थानीय आतंकियों के नाम आदिल अहमद ठाकुर और आशिफ शेख बताए जा रहे हैं। आदिल ठाकुर लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। आदिल गुरी, बिजबेहड़ा का रहने वाला बताया जा रहा है। आसिफ शेख का जैश-ए-मोहम्मद से कनेक्शन बताया जा रहा है। आशिफ मोंघामा, मीर मोहल्ला (त्राल) का रहने वाला बताया जा रहा है। आतंकियों ने बॉडी कैमरा भी लगा रखा था। यानि, हमले की पूरी घटना को आतंकियों ने रिकॉर्ड किया था। पहलगाम के बैसरन पर्यटक स्थल पर चार आतंकवादी मौजूद थे। उनमें से एक आदिल गुरी था, जो कथित तौर पर 2018 में पाकिस्तान से वापस आकर फिर भाग गया था। दूसरे आतंकवादी की पहचान आसिफ शेख के रूप में हुई है। गुरी और शेख के साथ दो अन्य आतंकवादियों ने भी आतंक मचाया है, जो पाकिस्तानी नागरिक थे।
हमले के फौरन राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) को पहलगाम भेज दिया गया है। एनआईए ने मामले की जांच शुरू कर दी है। पहलगाम का बैसरन इलाका पूरी तरह सेना से घिरा हुआ इलाका माना जाता है, तो आतंकी सुरक्षा घेरा लांघ कर बैसरन पर्यटन स्थल तक कैसे पहुंचे, यह गंभीर मसला है। एनआईए यह पता कर रही है कि आतंकियों को इस जगह पहुंचाने में कोई स्थानीय मदद मिली या नहीं। यह भी पता चला है कि स्थानीय लोगों ने पर्यटकों को बचाने की कतई कोशिश नहीं की। आतंकी लोगों के धर्म पूछ कर ताबड़तोड़ गोलियां चलाते रहे और स्थानीय लोग बिस्मिल्लाहे रहमाने रहीम की रट लगाते रहे।