बिना दस्तावेजों के बड़ी मात्रा में नकदी रखना अपराध नहीं: कोर्ट
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि चोरी या धोखे से प्राप्त की गई नकदी को बिना आधिकारिक दस्तावेजों के रखना कर्नाटक पुलिस अधिनियम की धारा ९८ के तहत तब तक अपराध नहीं माना जाता है, जब तक कि यह साबित न हो जाए कि यह पैसा चोरी या धोखाधड़ी के माध्यम से प्राप्त किया गया था|
चल्लेकारे चेक-पोस्ट के दौरान बिना किसी आधिकारिक दस्तावेज के ८.३८ लाख रुपये जब्त किए जाने से संबंधित एक हालिया मामले में, याचिकाकर्ता आंध्र प्रदेश के आर. अमरनाथ ने मामले को चुनौती दी थी| न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौड़ा की अगुवाई वाली एकल न्यायाधीश पीठ ने मामले की जांच की और यह आदेश जारी किया| अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में, अपराध साबित करने के लिए, यह स्थापित किया जाना चाहिए कि नकदी या तो चोरी की गई थी या धोखे से प्राप्त की गई थी|
मामले के दस्तावेजों की समीक्षा करने के बाद, अदालत ने कहा कि पुलिस अधिनियम की धारा ९८ के तहत, गैर-संज्ञेय अपराधों (जिसमें नकदी के अवैध कब्जे के कुछ मामले शामिल हैं) को तब तक दंडनीय अपराध नहीं माना जाता है जब तक कि चोरी या धोखे से हासिल किया गया हो|
इसके अलावा, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १५५(२) के अनुसार, पुलिस को गैर-संज्ञेय अपराधों की जांच करने से पहले मजिस्ट्रेट से पूर्व अनुमति प्राप्त करना आवश्यक है| अदालत ने पाया कि इस मामले में ऐसी अनुमति नहीं ली गई थी| अदालत ने यह भी कहा कि ऐसा कोई उचित संदेह या सबूत नहीं था जिससे पता चले कि नकदी चोरी की गई थी या धोखाधड़ी के माध्यम से प्राप्त की गई थी|
रिकॉर्ड में ऐसे सबूत या संदेह के बिना, धारा ९८ के तहत अपराध साबित करने के लिए आवश्यक तत्व गायब हैं| ऐसी परिस्थितियों में आरोपों को आगे बढ़ाना कानूनी प्रक्रियाओं का दुरुपयोग माना जाएगा| इसलिए, अदालत ने याचिकाकर्ता के खिलाफ चल्लेकरे पुलिस द्वारा दर्ज मामले को रद्द करने का आदेश दिया और शिकायत को खारिज कर दिया|