भारत की सुरक्षा से खिलवाड़ खत्म होगा
पाकिस्तान को ड्रोन देता है तुर्की के राष्ट्रपति का दामाद
भारत के एयरपोर्ट संभालती है तुर्की के राष्ट्रपति की बेटी
सेलिबिस एविएशन कंपनी का सुरक्षा लाइसेंस खारिज
तुर्की से व्यापार/पर्यटन खत्म करने की मांग तेज
नई दिल्ली, 16 मई (एजेंसी)। पाकिस्तान को बायराकतार ड्रोन की सप्लाई करने वाली कंपनी के मालिक सेल्कबुक बायराकतार तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन का दामाद है। सेल्बिस एविएशन कंपनी में हिस्सेदारी है। यह कंपनी भारत के नौ एयरपोर्ट्स में ग्राउंड हैंडलिंग जैसे संवेदनशील काम संभालती है। भारत सरकार ने सेल्बिस एविएशन की सुरक्षा मंजूरी तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी है। लिहाजा, तुर्की की यह कंपनी अब भारत में कोई भी ग्राउंड हैंडलिंग का काम नहीं कर सकेगी।
कई पाकिस्तानी संगठनों और खुफिया एजेंसियों से जुड़े लोगों के संपर्क में रहने वाली इस कंपनी के 26/11 हमले से जुड़े लोगों से संपर्क में होने के भी सबूत सरकार ने दिए हैं।
खुलासा हुआ है कि भारत की एयरपोर्ट सुरक्षा से जुड़े काम तुर्की की जिस कंपनी सेलिबिस एविएशन को दिया गया है, उसमें तुर्की की राष्ट्रपति एर्दोगन की बेटी सुमेया एर्दोगन की हिस्सेदारी है। यह कंपनी 2010 में भारत आई थी। यह भारत के दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, कोच्चि, लखनऊ, तिरुवनंतपुरम, मैंगलोर, त्रिची और चंडीगढ़ हवाईअड्डों पर काम करती है। इस कंपनी को लेकर लगातार खुफिया एजेंसियां और सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट कर रही थीं।
सेलिबिस एविएशन के विदेशी रिश्ते भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे थे। लिहाजा, भारत सरकार ने कंपनी को दी गई सभी सुरक्षा मंजूरियां तत्काल रद्द कर दी हैं।
एविएशन का जिम्मेदारी यूनिटेक्स एयर को दिया गया है। सेलिबिस कंपनी में तुर्की की राष्ट्रपति की बेटी का मालिकाना हिस्सा है। पाकिस्तान को ड्रोन सप्लाई करने वाली कंपनी के मालिक को दुनिया में बदनाम हुए हैं।
सेलिबिस एविएशन भारत में मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद, कोच्चि, लखनऊ, मैंगलोर, तिरुवनंतपुरम, त्रिची और चंडीगढ़ हवाई अड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग करती है। अब यह सभी ठेके रद्द कर दिए गए हैं।
बीसीएएस (ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी) विभाग ने सुरक्षा संबंधी चिंताओं के मद्देनजर फैसला लिया है। पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंधु के तहत शुरू किए गए अभियान में इसी ने पाकिस्तान के साथ खाड़ी और उसे हरियाणा के कई गांव भेजे गए ड्रोन, जिसका इस्तेमाल घुसपैठ और हमले में हुआ। इन्हीं ड्रोन ने भारत पर हमले के लिए पाकिस्तान को बड़ी मदद दी।
बीसीएएस ने कंपनी को जारी सुरक्षा मंजूरी को रद्द करते हुए कहा कि ऐसे संगठनों को देश के भीतर रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा बनें।
अब भारत सरकार का फोकस उन कंपनियों पर है जो तुर्की की कंपनियों के साथ व्यापार करती हैं। तुर्की की कंपनियों के साथ चल रहे सभी सरकारी और गैर सरकारी समझौते खारिज किए जा सकते हैं।
80 से अधिक कंपनियों से 250 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ है।