कश्मीर में सबसे बड़ी समस्या थी अनुच्छेद 370 के हटने से खत्म हो गई
इंडोनेशियाई थिंक टैंक और शिक्षाविदों से बोले सलमान खुर्शीद
नई दिल्ली, 30 मई (एजेंसियां)। ‘ऑपरेशन सिंधु’ आउटरीच मिशन पर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने इंडोनेशिया में कहा कि अनुच्छेद 370 के हटने से जम्मू-कश्मीर में लंबे समय से चली आ रही अलगाववाद की समस्या खत्म हो गई है। सलमान खुर्शीद ने यह बात इंडोनेशियाई थिंक टैंक और शिक्षाविदों के सदस्यों के साथ बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सबसे बड़ी समस्या यही थी। इसके कारण वहां लंबे समय से अस्थिरता बनी हुई थी। इसके साथ ही यह इलाका भी देश के बाकी हिस्सों से अलग था। लेकिन, अनुच्छेद 370 को आखिरकार हटा दिया गया।
संविधान के अनुच्छेद 370 ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था, जिसे 5 अगस्त, 2019 को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने निरस्त कर दिया। निरस्तीकरण के बाद, राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया। अब ये दो शासित प्रदेश हैं।
जनता दल (युनाइटेड) के सांसद संजय झा के नेतृत्व में गए बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ गए खुर्शीद ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद माहौल में प्रगति हुई है। उन्होंने बाद के चुनाव में 65 प्रतिशत मतदाताओं के मतदान और शासित प्रदेश में एक निर्वाचित सरकार के गठन को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, इसके बाद 65 प्रतिशत भागीदारी के साथ चुनाव हुआ। आज वहां एक निर्वाचित सरकार है और इसलिए, लोगों के लिए वह सब कुछ खत्म करना उचित होगा, जिसमें कश्मीर में समस्या थी।
दक्षिण-पूर्व एशिया के किए गए प्रतिनिधिमंडल में भाजपा सांसद अपरूपता सारंगी, बृजलाल, प्रदीप बर्मन और हेमांग जयश्री, तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी, कांग्रेस के सलमान खुर्शीद और पूर्व भारतीय राजनयिक शामिल थे।
प्रतिनिधिमंडल ने याकातार प्रमुख थिंक टैंक और शिक्षाविदों, मीडिया, विदेशी मामलों के विशेषज्ञों और इंडोनेशियाई राजनीतिक दलों के नेशनल बैंडेड पार्टी (पीपीपी) के नेताओं के साथ व्यापक बातचीत की। 10 पर
‘अब सिर्फ दयालु बनकर काम नहीं चलेगा…’
शशि थरूर ने सिंधु जल संधि स्थगित करने की बताईं वजहें
बोगोटा, 30 मई (एजेंसियां)। कोलंबिया में ऑल पार्टी डेलीगेशन का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान से सिंधु जल संधि पर करार अच्छी नीयत और सौहार्द के भाव से 1960 में की थी। लेकिन पिछले चार दशकों से पाकिस्तान की ओर से प्रायोजित आतंकवाद के कारण इस संधि पर समय-समय पर प्रश्नचिन्ह उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि भारत को अब यह दिखाना होगा कि हम सिर्फ दयालु बनकर नहीं चल सकते। उन्होंने जोर देकर कहा कि जब तक पाकिस्तान अपनी ज़मीन से आतंकवाद को नहीं रोकता, तब तक यह संधि कैसे चल सकती है? यह स्पष्ट है कि मौजूदा भारतीय सरकार ने इस संधि को स्थगित करने का निर्णय सही लिया है। उन्होंने कहा, सिंधु जल संधि को स्थगित करने का भारत का प्रस्ताव उचित है और पाकिस्तान को भी इस प्रस्ताव में ये शब्द मंजूर हों।