कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए नाथूला में पूरी हो रही तैयारियां

अगले महीने से शुरू होगी यात्रा

 कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए नाथूला में पूरी हो रही तैयारियां

नाथुला पास, 19 मई (एजेंसियां)। कैलाश मानसरोवर यात्रा इस साल जून से शुरू हो रही है जो कि अगस्त महीने तक जारी रहेगी। इस अवधि में लगभग 250 यात्रियों को दर्शन करने का मौका मिलेगा। यात्रियों का चयन कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के तहत होता है।

कोविड-19 महामारी के चलते 2019 में बंद हुई कैलाश-मानसरोवर यात्रा अगले महीने से नाथुला के रास्ते फिर होने जा रही है। यात्रा को लेकर खास उत्साह देखने को मिल रहा है। वहीं यात्रा को लेकर तैयारियां भी जोरों पर हैं। इस बाबत सिक्किम में भारत-चीन सीमा पर यात्रा का मार्ग दुरुस्त किया जा रहा है। यहां तैयारियां अंतिम चरणों में है। इसमें बुनियादी ढांचे का विकास भी शामिल है।

नाथुला में जारी निर्माण कार्यों के श्रम प्रभारी सुनील कुमार ने बताया कि मार्ग के किनारे दो अनुकूलन केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। एक 16वें मील (10,000 फीट) पर और दूसरा कुपुप रोड (14,000 फीट) के किनारे हंगू झील के पास। हर केंद्र में दो पांच-बिस्तर वाली और दो दो-बिस्तर वाली इमारतें होंगी। साथ ही इनमें तीर्थयात्रियों के लिए एक चिकित्सा केंद्रकार्यालयरसोई और अन्य आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। इन अनुकूलन केंद्रों के जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण का काम अगले चार से पांच दिनों में पूरा होने की उम्मीद है। इनमें कुल 50-60 लोग रह सकेंगे।

कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होने का यहां के स्थानीय निवासियों और 2016 की यात्रा में भाग लेने वाले आईके रसैली ने फिर से खुलने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यहां पर्यटन फिर से शुरू होगा और इससे स्थानीय लोगों की आजीविका में सुधार होगा। कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए सिक्किम मार्ग अपनी अच्छी सड़क कनेक्टिविटी के कारण सबसे सुरक्षित और सबसे सुलभ बना हुआ है। काबी लुंगचोक के विधायक थिनले शेरिंग भूटिया ने भी सिक्किम के रास्ते यात्रा को फिर से खोलने की पहल का स्वागत किया है। इसके लिए उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों का आभार व्यक्त किया। भूटिया ने कहा कि सिक्किम शांतिपूर्ण राज्य हैजहां आतंकवादी गतिविधियों का कोई इतिहास नहीं है। इसके चलते यह मानसरोवर तीर्थयात्रियों के लिए सबसे सुरक्षित मार्ग साबित हो रहा है। उन्होंने आश्वासन दिया कि यात्रा शुरू होने से पहले मार्ग पर शौचालय और अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाएंगी।

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गौरतलब है कि मानसरोवर यात्रा के लिए नाथुला मार्ग को फिर से खोलने की मांग सिक्किम के राज्यसभा सांसद डीटी लेप्चा ने संसद में उठाया थाजिसके बाद भारत सरकार और सिक्किम सरकार के बीच समन्वित प्रयास किए गए। नाथुला के रास्ते यात्रा को फिर से शुरू करने से न केवल तीर्थयात्रियों को राहत मिलेगी बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। 30 जून से शुरू हो रही कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए यात्रियों को 2019 के मुकाबले में ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। इस बार चीन प्रति यात्री 17 से 20 हजार रुपए तक ज्यादा शुल्क वसूल कर रहा है। उत्तराखंड के लिपुलेख के रास्ते यात्रा करने पर प्रति व्यक्ति 1.84 लाख रुपए खर्च होंगे। हालांकि इसमें से 95 हजार रुपए चीन का शुल्क होगा। 2019 में 1.30 लाख रुपए के खर्च में 77 हजार रुपए प्रति यात्री शुल्क चीन ने वसूला था। वहीं नाथू ला से यात्रा करने पर चीन प्रति यात्री 2.05 लाख रुपए वसूल करेगा। इस मार्ग से यात्रा पर कुल खर्च 2.84 लाख रुपए आएगा। दोनों मार्गों से 17000 से 25000 रुपए तक खर्चा बढ़ा है।

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पहले लिपुलेख से कैलाश मानसरोवर यात्रा में 20-21 दिन लगते थे जबकि इस बार 23 दिन लगेंगे। इसका कारण यात्रियों का दिल्ली में 12 दिन गुजारना शामिल है। सिर्फ नौ दिन तिब्बत में गुजरेंगे। वहीं नाथू ला से यात्रा में 25 दिन लगेंगे। पहले 23 दिन लगते थे। इस बार यात्री 10 दिन तिब्बत तो 15 दिन भारत में बिताएंगे।

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कैलाश मानसरोवर यात्रा इस साल जून से शुरू हो रही है जो कि अगस्त महीने तक जारी रहेगी। इस अवधि में लगभग 250 यात्रियों को दर्शन करने का मौका मिलेगा। यात्रियों का चयन कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के तहत होता है। विदेश मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर ऑनलाइन पंजीकरण किया जाता है। हर साल आवेदन प्रक्रिया मार्च से अप्रैल माह तक चलती है। इस वर्ष पंजीकरण कराने की अंतिम तिथि 13 मई रही। पंजीकरण के लिए पासपोर्ट और फिटनेस प्रमाणपत्र अनिवार्य होते हैं। 

इस वर्ष यात्रा दो प्रमुख मार्गोंउत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे और सिक्किम के नाथुला दर्रे से होगी। उत्तराखंड से यात्रा की शुरुआत करने वाले यात्री लिपुलेख दर्रे से रवाना होंगे। यहां से कैलाश मानसरोवर की दूरी लगभग 5000 किमी है और यात्रा में 24-26 दिन का वक्त लग सकता है। इस यात्रा के दौरान ट्रैकिंग करनी होती है। कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए यह कठिन मार्ग माना जाता है। सिक्किम से यात्रा की शुरुआत करने वाले यात्रियों का जत्था नाथू ला पास से रवाना होगा। यह यात्रा सड़क मार्ग द्वारा की जाएगीजिसमें 20-22 दिन का समय लगेगा।

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