कभी पर्यटकों से गुलजार था कश्मीर, आज है वीरानियों में
पहलगाम नरसंहार का पूरा हुआ एक माह
सुरेश एस डुग्गर
जम्मू, 22 मई। पहलगाम आतंकी हमले ने न केवल मासूम जिंदगियों को निगल लिया, बल्कि जम्मू कश्मीर के पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी गहरा जख्म दिया है। कश्मीरियों की सारी आशा अब सुरक्षा बहाल होने और देश-दुनिया के पर्यटकों के दोबारा लौटने पर टिकी है। लेकिन फिलहाल, जन्नत-ए-कश्मीर सन्नाटे और डर के साए में जी रहा है।
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले को एक महीना बीत चुका है, लेकिन इसका खौफ अभी भी पूरे कश्मीर घाटी पर छाया हुआ है। इस हमले में 26 निर्दोष और निहत्थे पर्यटकों को आतंकवादियों ने बेरहमी से गोली मार दी थी। अब जबकि गर्मी का मौसम अपने चरम पर है, तब भी जम्मू कश्मीर के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर वीरानी और सन्नाटा पसरा हुआ है। टूर ऑपरेटर शौकत मीर के शब्दों में, हमले ने न सिर्फ इंसानियत को शर्मसार किया बल्कि कश्मीर के हजारों लोगों की आजीविका भी छीन ली। होटल मालिकों, टैक्सी चालकों, दुकानदारों और स्ट्रीट वेंडर्स को भारी नुकसान हो रहा है। टैक्सी की किस्त भरना, ऑफिस किराया देना तक मुश्किल हो गया है। डल झील के किनारे ड्राई फ्रूट और केसर बेचने वाले व्यापारी अली कहते हैं कि इस मौसम में तो हमें 15 एक्स्ट्रा स्टाफ रखना पड़ता था, लेकिन इस बार दुकान में ताले लगाने की नौबत आ गई है। कई दिन से कोई बिक्री नहीं हुई।
श्रीनगर की डल झील, जो आमतौर पर गर्मियों में पर्यटकों से गुलजार रहती है, आज सूनी और शांत है। न तो शिकारे में बैठकर झील की सैर करते सैलानी दिखते हैं, न ही किनारे पर भीड़भाड़। शिकारा चलाने वाले बिलाल के बकौल, पिछले 24 दिन से मेरा शिकारा वहीं खड़ा है, कोई सवारी नहीं। पिछले साल तो तीन शिफ्ट में हम लोग शिकारा चला रहे थे। डल झील के आसपास के होटल, हाउसबोट, रेस्टोरेंट और दुकानें खाली पड़ी हैं। वहां जहां कभी टैक्सियों की लंबी कतारें हुआ करती थीं, आज पूरी सड़क वीरान पड़ी है, मानो कोई कर्फ्यू लगा हो। हालांकि पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके में मौजूद आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक कर के 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया। जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तानी सेना ने भारत पर ड्रोन हमलों की कोशिश की, लेकिन भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने उन्हें नाकाम कर दिया। इसके बाद पाकिस्तान ने सीमा पर संघर्ष विराम का प्रस्ताव दिया।
श्रीनगर के लाल चौक जैसे सेल्फी हॉटस्पॉट और फोटोग्राफी स्थलों पर भी एक अजीब सी खामोशी है। जहां हर दिन सैकड़ों पर्यटक तस्वीरें खींचा करते थे, वहां अब सन्नाटा है। कश्मीरी काहवा बेचने वाले सलामत रूंधे गले से कहते हैं कि ऐसा सन्नाटा मैंने कोविड के समय के बाद पहली बार देखा है। वैसे कश्मीर घाटी में सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह चाक-चौबंद है। पुलिस के साथ-साथ सेना की भी भारी तैनाती है। एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस अड्डे और संवेदनशील इलाकों में सघन तलाशी अभियान चल रहा है। इसके बावजूद डर और असुरक्षा की भावना के चलते पर्यटक कश्मीर आने से कतरा रहे हैं।