हिंसा की फिराक में लगे तीन पाकिस्तानी जासूस
वाराणसी, मुरादाबाद और लखनऊ से पकड़े गए
लखनऊ, 23 मई (एजेंसियां)। उत्तर प्रदेश में एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (एटीएस) ने तीन पाकिस्तानी जासूसों को पकड़ा है। ये गिरफ्तारियां वाराणसी, मुरादाबाद और लखनऊ से हुई हैं। ये तीनों हिंसक वारदात को अंजाम देने की तैयारी में थे।
वाराणसी से तुफैल नाम के एक जासूस को गिरफ्तार किया गया है। वह पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहा था और भारत की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील जानकारियां पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं को भेज रहा था। तुफैल का संवाद 600 से अधिक पाकिस्तानी फोन नंबरों से जुड़ा पाया गया है। तुफैल फेसबुक के जरिए पाकिस्तान के फैसलाबाद की एक महिला नफीसा से भी सम्पर्क में था, जिसका पति पाकिस्तानी फौज में है। आरोपी के पास से उसका मोबाइल फोन और सिम कार्ड भी बरामद कर लिया गया है। तुफैल ने पाकिस्तानी आतंकी समूह तहरीक-ए-लब्बैक के नेता मौलाना शाह रिजवी के वीडियो वॉट्सऐप ग्रुप में साझा किए थे। इन संदेशों में गजवा-ए-हिंद (भारत पर इस्लामी कब्जा), बाबरी मस्जिद विध्वंस का बदला लेने और भारत में शरिया कानून लागू करने जैसी भड़काऊ बातें शामिल थीं। जांच में यह भी पता चला है कि जासूस तुफैल वाराणसी के राजघाट, नमो घाट, ज्ञानवापी, रेलवे स्टेशन और लाल किले जैसे संवेदनशील स्थानों की तस्वीरें पाकिस्तान भेज रहा था। इसके अलावा, उसने वाराणसी में ऐसे वॉट्सऐप ग्रुप के लिंक भी साझा किए थे, जिनसे स्थानीय लोग पाकिस्तानी नेटवर्क से जुड़ सकें।
दूसरा मामला मुरादाबाद का है, जहां शहजाद को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के लिए जासूसी करने और सीमा पार तस्करी में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि शहजाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर सक्रिय है और पाकिस्तानी एजेंसी के समर्थन से तस्करी और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त है। इस सूचना के आधार पर, रामपुर जिले के टांडा इलाके के रहने वाले शहजाद को मुरादाबाद से गिरफ्तार कर लिया गया। उस पर भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने सहित कई आरोप लगाए गए हैं। जांच में ये भी पता चला है कि शहजाद आईएसआई के निर्देश पर भारत में एजेंटों को पैसे देता था। उस पर आरोप है कि वह रामपुर और उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों से लोगों की भर्ती करता था। वह उन्हें यह कहकर गुमराह करता था कि वे तस्करी के लिए पाकिस्तान जा रहे हैं, जबकि असल में उन्हें आईएसआई के लिए काम करना था। आईएसआई के लोग उनके वीजा और यात्रा दस्तावेजों का इंतज़ाम करते थे। अधिकारियों का कहना है कि शहजाद इन एजेंटों को भारतीय सिम कार्ड भी मुहैया कराता था ताकि वे भारत में जासूसी गतिविधियों को अंजाम दे सकें।
दिल्ली का रहने वाला मोहम्मद हारुन कबाड़ी लखनऊ से पकड़ा गया। वह दिखाने के लिए कबाड़ी का काम करता है, लेकिन उस पर पाकिस्तान उच्चायोग में तैनात कर्मचारी मुजम्मल हुसैन के साथ मिलकर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील जानकारी साझा करने का आरोप है। एटीएस के मुताबिक, हारुन और मुजम्मल हुसैन मिलकर पाकिस्तान का वीजा दिलाने के नाम पर अलग-अलग खातों से अवैध वसूली भी करते थे। जांच में पता चला है कि हारुन की पाकिस्तान में रिश्तेदारी है, जिसके चलते वह अक्सर वहां आता-जाता रहता था। इसी दौरान उसकी मुलाकात मुजम्मल हुसैन से हुई। मुजम्मल के कहने पर हारुन ने उसे कई बैंक खाते भी मुहैया कराए थे, जिनमें वीजा चाहने वाले लोगों से पैसे डलवाए जाते थे।
ये तीनों गिरफ्तारियां दिखाती हैं कि पाकिस्तान अपनी खुफिया एजेंसियों के जरिए भारत में घुसपैठ और जासूसी की लगातार कोशिश कर रहा है। उत्तर प्रदेश एटीएस इन मामलों की गहराई से जांच कर रही है ताकि इन नेटवर्कों का पूरी तरह से पर्दाफाश किया जा सके और देश की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
तीन बार पाकिस्तान और 10 बार सऊदी जा चुका है शहजाद
लखनऊ, 23 मई (एजेंसियां)। पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए रामपुर टांडा निवासी शहजाद के बारे में एटीएस को पता चला है कि वह तीन बार पाकिस्तान और 10 बार सऊदी अरब जा चुका है। शहजाद ने शुरुआत में ड्राइविंग की, इसके बाद वह तस्करी और फिर जासूसी करने लगा। शहजाद शुरुआत में गाड़ी चलाता था, लेकिन जल्द ही उसने कॉस्मेटिक्स, मसाले व कपड़ों की तस्करी शुरू कर दी। इसके बाद उसका पाकिस्तान आना-जाना शुरू हुआ और वह आईएसआई एजेंटों के संपर्क में आया। इसके बाद उसने भारत में आईएसआई के लिए भारत में काम करना शुरू किया। गिरफ्तारी के बाद उसकी गतिविधियों की जांच में कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। उसने रामपुर के कई युवकों को पाकिस्तान भेजा और वहां आईएसआई से ट्रेनिंग दिलवाई।
शहजाद ने भारत में रह रहे आईएसआई एजेंटों को फर्जी नाम-पते पर सिम कार्ड दिलवाए और रुपए की भी व्यवस्था की। इन सिम कार्ड्स का इस्तेमाल पाकिस्तान में बैठे हैंडलर्स से सम्पर्क में रहने के लिए किया जाता था। शहजाद ने कई बार भारत के कई हिस्सों से लोगों को तस्करी के बहाने पाकिस्तान भेजा। इन यात्राओं के लिए जरूरी वीजा और दस्तावेज आईएसआई एजेंटों के माध्यम से बनवाए गए। इस पूरी प्रक्रिया में पाकिस्तानी दूतावास का अधिकारी अहसान उर रहमान उर्फ दानिश भी सक्रिय भूमिका में रहा।