कश्मीर के फिल्म पर्यटन पर भी लग गया ग्रहण
पहलगाम आतंकी हमले का असर
जम्मू, 23 मई (ब्यूरो)। कश्मीर वादी के सबसे खूबसूरत पर्यटनस्थल पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले ने कश्मीर के नवजात फिल्म पर्यटन पुनरुद्धार पर ग्रहण लगा दिया है, जिसके कारण कई निर्धारित शूटिंग रद्द और स्थगित करनी पड़ी हैं। दरअसल मनोरंजन उद्योग में भय व्याप्त होने के कारण, प्रोडक्शन हाउस घाटी से हट रहे हैं, जिससे व्यस्त शूटिंग सीजन पटरी से उतर गया है। लाइन प्रोड्यूसर और स्थानीय कलाकार, जिन्होंने इस साल मीडिया से जुड़े पर्यटन में उछाल की उम्मीद लगाई थी, कहते हैं कि इसका प्रभाव तत्काल और गंभीर रहा है।
श्रीनगर स्थित लाइन प्रोड्यूसर साइमा भट का कहना है कि मई और जून में हमारे पास फीचर फिल्मों और बड़े बजट की वेब सीरीज सहित चार प्रमुख शूटिंग की योजना थी। इन टीमों को पहलगाम के घास के मैदानों में फिल्मांकन करना था, ठीक उसी जगह जहां हमला हुआ था। उसके बाद, निर्माताओं ने रातोंरात फिल्मांकन छोड़ दिया और मनाली, शिमला और यहां तक कि स्विट्जरलैंड जैसे विकल्पों पर चले गए। हालांकि जमीनी स्तर पर सुरक्षा के बारे में प्रोडक्शन टीमों को आश्वस्त करने के प्रयासों के बावजूद, फिल्म निर्माता आशंकित हैं। भट के बकौल, हम लगातार उनसे संपर्क कर रहे हैं, यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि चीजें नियंत्रण में हैं। लेकिन डर बना हुआ है।
चिंताजनक बात यह है कि यह सिर्फ बॉलीवुड ही नहीं है, टॉलीवुड के क्रू ने भी पीछे हटना शुरू कर दिया है। एक अन्य अनुभवी लाइन प्रोड्यूसर ताहिर हुसैन ने बताया कि मई से जून के बीच में होने वाली एक फीचर फिल्म और कई म्यूजिक एल्बम की शूटिंग को या तो अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है या फिर स्थानांतरित कर दिया गया है। वैसे कुछ निर्देशक नई सेटिंग में फिट होने के लिए स्क्रिप्ट को फिर से लिख रहे हैं। नतीजा यह है कि अचानक हुई इस रुकावट ने कश्मीर के नाज़ुक सिनेमाई पुनरुत्थान को गंभीर झटका दिया है। हाल के वर्षों में, कश्मीर ने भारतीय सिनेमा के लिए एक पसंदीदा पृष्ठभूमि के रूप में अपनी ऐतिहासिक भूमिका को पुनः प्राप्त करना शुरू कर दिया था, जहां हाई-प्रोफाइल शूटिंग ने स्थानीय अर्थव्यवस्था और रचनात्मक कार्यबल को पुनर्जीवित किया।
अनंतनाग के एक महत्वाकांक्षी अभिनेता हसन जावेद कहते हैं कि यह दिल तोड़ने वाला है। उनका कहना था कि हममें से कई लोगों को आखिरकार भूमिकाएं या पर्दे के पीछे का काम मिल रहा था। जब हमें लगा कि चीजें सुधर रही हैं, तो सब कुछ फिर से ठंडा हो गया। फिल्म उद्योग में कई लोगों के लिए, इस हमले ने सुरक्षा की भावना को चकनाचूर कर दिया, जो अभी-अभी जड़ जमाना शुरू हुई थी। हुसैन ने याद करते हुए बताया कि एक समय था जब हम फिल्म यूनिट्स की संख्या के हिसाब से नहीं चल पाते थे। अब, एक भी यूनिट तारीखों की पुष्टि नहीं कर रही है।
निर्देशक-निर्माता मुश्ताक अली खान आशान्वित हैं। उन्होंने आशा प्रकट करते हुए कहा कि मैं बॉलीवुड की उन हस्तियों के संपर्क में हूं जो कश्मीर को पर्यटन और फिल्मांकन दोनों के लिए एक सुरक्षित गंतव्य के रूप में बढ़ावा देने के लिए अभियान की योजना बना रहे हैं। अगर स्थानीय उद्योग, लोग और सरकार मिलकर काम करें, तो हम उस आत्मविश्वास को फिर से हासिल कर सकते हैं। सेट से परे, पहलगाम की पर्यटन-निर्भर अर्थव्यवस्था पर इसका असर महसूस किया जा रहा है। दुकानदार, होटल व्यवसायी, टट्टू वाले और ट्रांसपोर्टर संघर्ष कर रहे हैं। अब्दुल रशीद, एक स्थानीय ड्राइवर जो नियमित रूप से फिल्म क्रू को ले जाता था, कहते हैं कि मंदी विनाशकारी है। उनका कहना था कि पिछले दो वर्षों में, मैं लगातार बॉलीवुड यूनिट्स के साथ घूमता रहा। इस साल, मुझे एक भी बुकिंग नहीं मिली है। यह केवल पर्यटकों पर हमला नहीं है, यह हमारी आजीविका पर हमला है। इस हमले के बाद से सुरक्षा बलों ने प्रमुख पर्यटन क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है, लेकिन पहलगाम हमले के परिणाम से यह पता चलता है कि कश्मीर की आर्थिक उम्मीदें कितनी कमजोर हैं, और कितनी जल्दी प्रगति को नुकसान पहुंच सकता है।