रद्दी नोटों से होगी इंटीरियर डिजाइनिंग, बनेंगे फर्नीचर
भारतीय रिजर्व बैंक ने दी औपचारिक मंजूरी
लखनऊ, 01 जून (एजेंसियां)। सड़े और गले पुराने नोटों का अब रचनात्मक इस्तेमाल किया जाएगा। इससे अब फर्नीचर बनाए जाएंगे। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इसकी औपचारिक अनुमति दे दी है। प्लास्टिक से लेकर लकड़ी और धातुओं के फर्नीचर तो बाजार में बहुत हैं, लेकिन अब नोट (करेंसी) से बने पार्टिकल बोर्ड के फर्नीचर भी दिखेंगे। कटे-फटे और सड़े-गले नोटों से बने रंग-बिरंगे बोर्ड तैयार करने पर रिजर्व बैंक काम कर रहा है। इसके तहत नष्ट किए गए नोटों को लकड़ी के बुरादे के साथ मिलाकर पार्टिकल बोर्ड तैयार किया जाएगा। इस बोर्ड का इस्तेमाल फर्नीचर सहित अन्य काम में किया जा सकेगा। इससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होगा।
बैंकनोट पेपर में सुरक्षा धागे, फाइबर, सुरक्षा स्याही और छपाई में इस्तेमाल अन्य रसायनों के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए रिजर्व बैंक को करेंसी के निपटान के लिए टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल समाधान की तलाश थी। इसके लिए एक अध्ययन कराया गया था। अध्ययन से प्राप्त निष्कर्षों को आरबीआई ने अब लागू करने का फैसला किया है।
पिछले कुछ वर्षों में, आरबीआई हर वर्ष 15 हजार टन सड़े-गले नोट को नष्ट करता है। करेंसी को नष्ट करने के लिए विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक व प्राधिकरण फिलहाल अलग-अलग तरीके अपनाते हैं। इनमें से अधिकांश जमीन में गाड़ने या जलाते हैं। लेकिन, ये तरीके पर्यावरण के अनुकूल नहीं हैं क्योंकि ये मिट्टी को प्रभावित कर सकते हैं या पर्यावरण को खराब कर सकते हैं। अध्ययन में सड़े-गले बैंकनोट से तैयार उत्पाद पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ ही टिकाऊ भी पाए गए हैं। इनसे लंबे समय तक चलने वाली सामग्री जैसे बोर्ड पैनल, इंटीरियर डिजाइन के लिए सामग्री, पार्टिकल बोर्ड फर्नीचर आदि बनाया जा सकता है। इस संबंध में आरबीआई ने लकड़ी विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईडब्ल्यूएसटी) के साथ काम शुरू किया है। अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर, रिजर्व बैंक ने पार्टिकल बोर्ड निर्माताओं को पैनल में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू भी कर दी है। ये निर्माता अपने बोर्ड में लकड़ी के कणों के साथ अंतिम उपयोग के लिए करेंसी ब्रिकेट खरीदेंगे। इनसे जल्द बाजार में इंटीरियर डिजाइन के उत्पाद और पार्टिकल बोर्ड से बने फर्नीचर बाजार में दिखाई देंगे।
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